सुदर्शन न्यूज़ के कार्यक्रम ‘UPSC जिहाद’ के प्रसारण पर रोक लगाने की माँग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस कार्यक्रम में ज़कात फ़ाउंडेशन पर आरोप लगाए जाने से जिनलोगों को परेशानी हैं वे टीवी को नज़रअंदाज़ कर उपन्यास पढ़ सकते हैं या फिर टीवी बंद कर सकते हैं।
<𝗛𝗲𝗮𝗿𝗶𝗻𝗴 𝗢𝗻 𝗦𝘂𝗱𝗮𝗿𝘀𝗵𝗮𝗻 𝗧𝗩’𝘀 𝗦𝗵𝗼𝘄 𝗢𝗻 “𝗨𝗣𝗦𝗖 𝗝𝗶𝗵𝗮𝗱”>#SupremeCourt‘s Justice DY Chandrachud led three-judge bench will resume hearing plea which has sought a stay on @SudarshanNewsTV‘s show with the tagline “#UPSC_Jihad“#BindasBol@SureshChavhanke pic.twitter.com/sbK0VdP9EL
— Live Law (@LiveLawIndia) September 21, 2020
अभियोजन पक्ष के वकील की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात कही। अभियोजन पक्ष कहना था कि ‘UPSC जिहाद’ कार्यक्रम में सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर इन चीफ़ सुरेश चव्हाणके ने जो कहा है वह हेट स्पीच की श्रेणी में आता है। अभियोजन पक्ष के वकील ने यह आरोप भी लगाया था कि जो तस्वीरें उम्मीदवारों को परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकती हैं, उसे कार्यक्रम में गलत रूप में पेश कर दिखाया गया है। इतना ही नहीं कार्यक्रम में उन्हें जिहादी षड्यंत्र रचने वाले की तरह दिखाया गया है।
दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी ने दर्शकों पर वह कार्यक्रम देखने का दबाव नहीं बनाया है। जिन लोगों को उस कार्यक्रम से किसी भी तरह की समस्या है, वह उससे किनारा कर सकते हैं। न्यायालय को केवल एक सूरत में इस केस की सुनवाई में समय खर्च करना चाहिए, अगर वह ज़कात फ़ाउंडेशन पर लगाए गए आरोपों से संबंधित है। इसके अलावा मामले की सुनवाई का कोई और आधार नहीं होना चाहिए।
इसके पहले 3 न्यायाधीशों की पीठ जिसमें न्यायाधीश चंद्रचूड़ के अलावा इन्दू मल्होत्रा और केएम जोसफ शामिल हैं, ने कार्यक्रम के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश दिया था। न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने टोपी, दाढ़ी, हरे रंग और बैकग्राउंड में आन के चित्रण को लेकर आपत्ति जताई थी।
सुदर्शन चैनल का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता ने कहा, कार्यक्रम में ज़कात फ़ाउंडेशन को मिलने वाली फंडिंग पर सवाल उठाया गया था। जिस फंडिंग के ज़रिए परीक्षाओं की कोचिंग की आर्थिक मदद की जाती है। इसके अलावा सुरेश चव्हाणके ने कहा था, “देश हित के लिए इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा होना बहुत ज़रूरी है कि ज़कात फ़ाउंडेशन जैसी संस्थाओं को फंडिंग कैसे मिलती है?” उन्होंने यह भी कहा कि पूरे 4 कार्यक्रम की शृंखला में ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि एक समुदाय के किसी व्यक्ति को UPSC का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।
आज इस मामले में ऑपइंडिया, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और अपवर्ड ने ‘इंटरवेंशन एप्लीकेशन’ (हस्तक्षेप याचिका) दायर की थी। ‘फ़िरोज़ इक़बाल खान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में अनुमति-योग्य फ्री स्पीच को लेकर रिट पेटिशन दायर की गई थी।
‘हस्तक्षेप याचिका’ में कहा गया है, “सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए जो मुद्दे आए हैं, जाहिर है कि उसके परिणामस्वरूप फ्री स्पीच की पैरवी करने वालों पर प्रकट प्रभाव पड़ेगा। साथ ही ऐसी संस्थाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, जो जनता के लिए सार्वजनिक कंटेंट्स का प्रसारण करते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता की ओर से ये निवेदन है कि इन्हें भी इस मामले में एक पक्ष बनाया जाए। इस प्रक्रिया में एक पक्ष बना कर भाग लेने की अनुमति दी जाए।”