सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (2 अगस्त 2021) को केरल के पूर्व कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में पूर्व कैथोलिक पादरी ने उस लड़की से शादी करने के लिए अंतरिम जमानत की माँग की थी, जिसके साथ उसने दुष्कर्म किया और उसे गर्भवती कर दिया था। वहीं, पीड़िता ने भी वडक्कुमचेरी की जमानत की याचिका का समर्थन किया था, ताकि दोनों की शादी हो सके।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने उस लड़की से शादी करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसके साथ उसने दुष्कर्म किया और उसे गर्भवती कर दिया था। pic.twitter.com/qynYPLeDQQ
— IANS Hindi (@IANSKhabar) August 2, 2021
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अदालत ने केरल के कोट्टियूर बलात्कार मामले की पीड़िता द्वारा दायर उस आवेदन पर भी विचार करने से इनकार किया है, जिसमें उसने रॉबिन वडक्कमचेरी से शादी करने की इच्छा व्यक्त की थी। बताया जा रहा है कि पीड़िता ने पादरी की याचिका का समर्थन करते हुए कहा था कि वह सामाजिक कलंक से बचने और अपने बच्चे को वैधता देने के लिए यह शादी करना चाहती है।
Livelaw के मुताबिक, कोर्ट ने कहा कि बलात्कार पीड़िता से शादी करने के लिए रॉबिन की सजा को कम करने से इनकार करने वाले हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं दिखता है। जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अभियोजक से हाईकोर्ट के समक्ष अपनी बात रखने को कहा।
वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता किरण सूरी ने कहा कि पीड़िता बच्चे की वैधता के लिए आरोपित से शादी करना चाहती है। याचिका में पीड़िता ने कहा है कि उसका बच्चा स्कूल जाने की उम्र का है। ऐसे में उसे बच्चे के एडमिशन के लिए पिता के नाम का उल्लेख करना जरूरी है।
बताया जा रहा है कि 45 वर्षीय आरोपित रॉबिन ने पीड़िता से शादी करने की माँग वाली एक याचिका के साथ केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने रॉबिन की इस याचिका को ठुकरा दिया था।
गौरतलब है कि पादरी रॉबिन को फरवरी 2019 में एक अदालत ने पीड़िता से बलात्कार और उसे गर्भवती करने का दोषी पाते हुए 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। उसे वेटिकन की तरफ से पादरी के पद से भी बर्खास्त कर दिया गया था।
बता दें कि पादरी को 27 फरवरी, 2017 को कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास से गिरफ्तार किया गया था, जब वह देश से बाहर जाने की तैयारी कर रहा था। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने के बाद पादरी को 17 फरवरी, 2019 को थालास्सेरी की एक अदालत ने 20 साल कैद की सजा सुनाई थी। सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसकी माँ अपने बयान से मुकर गई थी। इसके बावजूद, अदालत पहले से एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर आगे बढ़ी और अपना फैसला सुनाया।