Wednesday, October 16, 2024
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गुजरात के 68 जजों के प्रमोशन पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, वे जज भी शामिल जिन्होंने राहुल गाँधी को माना था दोषी: कहा- नियमों का पालन नहीं हुआ

बताते चलें कि प्रमोशन वाली सूची में राहुल गाँधी को मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि के मामले में उन्हें दो साल की सजा सुनाने वाले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा और गुजरात यूनिवर्सिटी मानहानि मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी करने वाले जज भी शामिल हैं। 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुजरात (Gujarat) की निचली अदालत के 68 न्यायिक अधिकारियों के जिला जज के रूप में प्रमोशन पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इन जजों को उनके पहले वाले पद पर वापस भेजने का आदेश दिया है। इन 68 जजों में हरीश वर्मा भी हैं, जिन्होंने मानहानि केस में राहुल गाँधी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार वाली सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच की इस फैसले के बाद गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लग गई है। दरअसल, इन जजों को प्रमोट करने की सिफारिश गुजरात हाईकोर्ट ने की थी। इसके बाद गुजरात की भाजपा सरकार ने इन जजों के प्रमोशन की अधिसूचना भी जारी कर दी थी।

अपने फैसले में जस्टिस शाह ने कहा, “राज्य सरकार ने याचिका लंबित रहने के दौरान अधिसूचना जारी की है। हम हाईकोर्ट की सिफारिश और राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हैं और जजों को उनके मूल पद पर वापस भेजते हैं।”

जस्टिस शाह ने आगे कहा कि प्रमोशन मेरिट एवं वरिष्ठता के सिद्धांत तथा योग्यता परीक्षा पास करने के बाद की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह हाईकोर्ट की सिफारिश और राज्य सरकार की अधिसूचना अवैध है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि स्थगन आदेश उन जजों की सूचियों पर भी लागू होगा, जिनका नाम 68 जजों के नामों के अलावा हैं।

बता दें कि जस्टिस एमआर शाह 15 मई 2023 को सेवानिवृत होने वाले हैं। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच के पास जाएगा। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जिस बेंच को यह मामला सौंपेंगे, उसमें अब आगे इसकी सुनवाई होगी।

बता दें कि 68 जजों के प्रमोशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सीनियर सिविल जज कैडर के दो अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा था कि 65 प्रतिशत कोटा नियम के तहत इन जजों का प्रमोशन किया गया, जो कि अवैध है। याचिका में दलील दी गई थी कि प्रमोशन मेरिट कम सीनियरिटी के सिद्धांत पर और योग्यता टेस्ट पास करने पर की जानी चाहिए।

याचिका दाखिल करने वाले न्यायिक अधिकारी रवि कुमार मेहता और सचिन प्रजापराय मेहता ने अपनी अर्जी में कहा कि कई ऐसे जज हैं, जिन्होंने पदोन्नति के लिए हुई परीक्षा में ज्यादा अंक हासिल किए हैं। इसके बावजूद उनका सिलेक्शन नहीं किया गया और उनसे कम अंक पाने वाले जजों को प्रमोट किया गया।

बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था और पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात हाईकोर्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। जिस समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किया गया, उस समय इन जजों के प्रमोशन की फाइल राज्य सरकार के पास लंबित थी। इसके बावजूद एक हफ्ते के अंदर राज्य सरकार ने जजों के प्रमोशन की अधिसूचना जारी कर दी।

बताते चलें कि प्रमोशन वाली सूची में राहुल गाँधी को मोदी उपनाम से जुड़े मानहानि के मामले में उन्हें दो साल की सजा सुनाने वाले ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हरीश हसमुखभाई वर्मा और गुजरात यूनिवर्सिटी मानहानि मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी करने वाले जज भी शामिल हैं। 

दरअसल, न्यायिक अधिकारी रवि और सचिन ने भी प्रमोशन से संबंधित यह परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में रवि को 200 में से 135.5 अंक मिले थे, जबकि सचिन को 148.5 अंक हासिल हुए थे। वहीं, राहुल गाँधी को सजा सुनाने वाले जज को सिर्फ 127 अंक मिले थे। इसके अलावा भी कई ऐसे जज हैं, जिन्हें रवि और सचिन से कम अंक मिले। इसके बावजूद इन्हें प्रमोट किया गया। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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