YouTube पर तहफ्फुज-ए-दीन नाम का इस्लामिक चैनल है, जिसे यूट्यूब समेत दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़ी संख्या में लोग देखते हैं। इसके सात लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं। YouTube पर इसके वीडियो को 10 करोड़ से अधिक लोगों ने देखा है। लेकिन अगर इसकी वेबसाइट को देखें तो इसका स्पष्ट उद्देश्य है कि हजरत के बंदों को फिर से पुनर्जीवित करना है। ये लगातार समसामयिक विषयों और हिंदुओं के खिलाफ गलत और भ्रामक सूचनाएँ फैलाता है।
लुधियाना कोर्ट बम धमाकों का मास्टरमाइंड था हिंदू
पिछले साल 28 दिसंबर 2021 की एक रिपोर्ट में तहफ्फुज-ए-दीन चैनल के पत्रकार सैयद फारूक अहमद ने झूठ फैलाया कि लुधियाना कोर्ट बम धमाके का मास्टमाइंड हिंदू था। उसने कहा, “लुधियाना बम विस्फोट का मास्टरमाइंड और हिंदू आतंकवादी जसविंदर सिंह मुल्तानी को जर्मनी में गिरफ्तार किया गया था। उसे पकड़ने के लिए भारत सरकार ने जर्मन सरकार से अनुरोध किया था।”
जबकि, हकीकत ये है कि जसविंदर सिंह मुल्तानी एक खालिस्तानी आतंकी है औऱ वो खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस से जुड़ा हुआ है। उसे जर्मनी की पुलिस ने 28 दिसंबर 2021 को लुधियाना कोर्ट बम ब्लास्ट के मामले में गिरफ्तार किया था।
‘भोपाल में हनुमान जयंती पर ‘हिंदू आतंकियों’ ने निकाली शोभा यात्रा’
इसी तरह से एक अन्य रिपोर्ट में सैयद फारूक अहमद ने हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलते हुए बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से जुड़े हिंदुओं को आतंकवादी करार दिया। फारूक के मुताबिक, “हिंदू आतंकवादियों ने घोषणा की है कि वे भोपाल में हनुमान जयंती पर शोभा यात्रा निकालेंगे।” उसने कहा कि ऐसा मुस्लिमों में डर फैलाने के लिए किया गया है।
इसके साथ ही खरगोन की हिंसा पर झूठ फैलाते हुए सैयद फारुक ने दावा किया कि हिंदुओं के डर से मुस्लिमों ने खरगोन छोड़ दिया है। जबकि सच ये है कि खरगोन के जिस इलाके में रामनवमी पर हिंसा हुई थी वो मुस्लिम बहुल इलाका है औऱ वो इलाका छोड़ने वाले हिंदू थे। रिपोर्ट्स से इस बात का पता चलता है कि मुस्लिम बहुल इलाके से शोभा यात्रा के गुजरने के दौरान मुस्लिमों ने पथराव किया था। इस घटना में शिवम नाम के 16 साल के लड़के को गंभीर चोटे आई थीं और उसकी सर्जरी होनी थी।
द कश्मीर फाइल्स को बताया फर्जी
इस YouTube चैनल के फाउंडर कारी जियाउर रहमान फारुकी ने कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर बनी विवेक अग्निहोत्री की फिल्म फिल्म द कश्मीर फाइल्स को फर्जी करार दिया औऱ दावा किया कि ये फिल्म मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाती है। फारुकी ने कहा, “फिल्म देखने वाले संघियों को इसने उकसाया और थिएटर से बाहर निकलने के बाद ‘जय श्री राम’ और ‘देश के गद्दारों को’ वाले नारे लगाए। अगर वहाँ दाढ़ी और टोपी वाला मुस्लिम होता तो ये संघी उसके साथ क्या-क्या कर सकते थे।
चैनल के एंकर ने इसे झूठ करार देते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर प्रतिबंध लगाने के बजाय इसे प्रमोट कर रहे हैं। हालाँकि, आप उनके जैसे आदमी से कोई उम्मीद कर भी नहीं सकते, जिनके हाथ खून से लथपथ हैं। गुजरात 2002 के दंगे मुल्क के इतिहास पर काला धब्बा है।
हालाँकि, चैनल के एंकर ने जिस घटना का जिक्र किया है कि गुजरात गंगों के दौरान एक महिला के साथ बलात्कार कर उसकी कोख को चीर दिया था, उसमें महिला के भ्रूण को सही पाया गया। 2010 में उस महिला का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने इसका खुलासा किया था। लेकिन फारुकी ने बड़ी ही चालाकी से उस घटना को दरकिनार कर दिया जब गोधरा में अयोध्या से वापस लौट रहे महिलाओं, बच्चों समेत 59 हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया था।
इसी तरह से बीबीसी की भ्रामक रिपोर्ट को दिखाया, जिसमें कश्मीरी पंडितों को फिल्म द कश्मीर फाइल्स की आलोचना करते हुए दिखाया गया है। हालाँकि, बाद में बीबीसी की कथित गहन रिपोर्टिंग की पोल खुली तो पता चला कि वो सभी तो कॉन्ग्रेसी और भाजपा के विरोधी थे। पोल खुलने के बाद बीबीसी ने इस पर स्पष्टीकरण तो दिया, लेकिन माफी नहीं माँगी।
गौरतलब है कि फिल्म द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद से देश में एक सियासी भूचाल आ गया था। लेफ्ट-लिबरल मीडिया फिल्म पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाते हुए भ्रामक जानकारी फैलाया।
मुस्लिम महिलाओं को फँसा रहे हिंदू
ऐसी ही एक रिपोर्ट तहफ्फुज-ए-दीन इस्लामिक मीडिया चैनल ने अगस्त 2021 में जारी की। इसमें अहमद ने ये आरोप लगाया कि हिंदू युवक मुस्लिम महिलाओं को फँसाकर उन्हें शादी करने का लालच दे रहे हैं और फिर शादी के बाद उन्हें हिंदू धर्म अपनाने को कह रहे हैं। उसने आरोप लगाया कि केंद्र में जब से मोदी सरकार आई है, तभी से लव जिहाद, गोहत्या आदि के नाम पर मुस्लिमों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
इसमें ये आरोप लगाया गया है कि हिंदू पुरुष मुस्लिम महिलाओं का रेप कर रहे हैं औऱ इस रैकेट में हिंदू महिलाएँ भी शामिल हैं। अहमद ने दावा किया कि मुस्लिम महिलाओं को फँसाने के लिए हिंदुओं को पैसे भी दिए जाते हैं। लेकिन जिस तरह से अहमद ने बताया है, ठीक उसी तरह लव जिहाद किया जाता है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहाँ मुस्लिमों ने अपनी पहचान छुपाकर हिंदू महिलाओं को शादी का लालच दिया। बाद में उनका जबरन इस्लामिक धर्मान्तरण कराया जाता है या फिर उनकी हत्या कर दी जाती है।
कारी जियाउर रहमान फारूकी है चैनल का संस्थापक
तहफ्फुज-ए-दीन मीडिया ऐसा इस्लामिक मीडिया संगठन की स्थापना औरंगाबाद के कारी जियाउर रहमान फारुकी ने की थी। उसके पिता हजरत मौलाना महफूज उर रहमान फारूकी रहमानी अक्सर चैनल पर आकर इस्लाम पर ज्ञान बाँटते हैं। इस चैनल के जरिए अक्सर एक प्रकार का नरैटिव बनाने की कोशिशें की जाती हैं कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मुस्लिमो को लगातार टार्गेट किया जा रहा है।