तेलंगाना हाई कोर्ट ने मंगलवार (7 जुलाई, 2020) को प्राइवेट अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों से निर्धारित राशि से अत्यधिक शुल्क लिए जाने को लेकर दायर याचिका पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
कोविड-19 के बढ़ते मामले और अस्पतालों के रुख को देखते हुए यह जनहित याचिका (PIL) एडवोकेट श्रीकिशन शर्मा ने दायर की थी। जिसके तहत राज्य सरकार से यह आग्रह किया गया था कि वह निजी अस्पतालों में मरीजों से अत्यधिक बिल वसूलने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही याचिका में कोरोना वायरस से संक्रमित सभी मरीजों के इलाज और उसकी बिलिंग के मामले में पारदर्शिता के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के लिए भी कहा गया।
याचिकाकर्ता ने यह बताया कि महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते वहाँ के राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों में ज्यादा बिल वसूलने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन इस तरह का कोई प्रतिबंध तेलंगाना सरकार ने अभी तक निजी अस्पतालों में नहीं लगाया है।
वहीं डिवीजन बेंच ने थुम्बे अस्पताल द्वारा एक दिन के इलाज के लिए 1 लाख रुपए से अधिक कीमत वसूलने पर उसके खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से की गई कार्रवाई के बारे में अदालत को सूचित करने का निर्देश दिया है।
पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) का जवाब देने के लिए राज्य सरकार, चार निजी अस्पताल- मेडिसिन, यशोदा, सनशाइन एंड केयर के संस्थापक नेशनल कॉउन्सिल और स्टेट कॉउन्सिल को नोटिस जारी किया गया। इसके साथ पीआईएल में निजी कॉरपोरेट अस्पतालों पर क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन एक्ट, 2010 और इंडियन मेडिकल काउंसिल प्रोफेशनल कंडक्ट एटिकेट एंड एथिक्स रेगुलेशन, 2002 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
निजी कॉरपोरेट अस्पतालों द्वारा किए जा रहे शोषण को प्रमाणित करने के लिए याचिकाकर्ता ने पीआईएल में कोविड-19 मरीजों और अन्य रोगियों के बिल का हवाला भी दिया है। इस डिवीज़न बेंच में चीफ जस्टिस राघवेंद्र सिंह चौहान जस्टिस बी विजयसेन रेड्डी शामिल थे। जिन्होंने राज्य सरकार से इस मुद्दे को लेकर रिपोर्ट माँगी है।
कोर्ट ने इस मामले को 14 जुलाई तक बढ़ाते हुए केंद्र सरकार और निजी अस्पतालों को भी नोटिस जारी किया। वहीं निजी अस्पतालों द्वारा लिए जा रहे अधिकतम राशि को लेकर सोमवार (6 जुलाई, 2020) को लोगों ने ट्विटर के जरिए तेलगांना गवर्नर डॉ. तमिलिसाई सौन्दरराजन से इस मामले को लेकर शिकायत की थी, जिसको देखते हुए राज्यपाल ने निजी अस्पतालों की प्रबंधन टीमों के साथ एक वर्चुअल समीक्षा भी की।
इस वीडियो कॉन्फ्रेंस में अस्पतालों के विभिन्न प्रतिनिधियों जैसे कि किम्स (KIMS), यशोदा, बसवा तारकम, विरंचि, रेनबो और सनशाइन, कॉन्टिनेंटल और अन्य अस्पतालों लोग मौजूद थे। कॉन्फ्रेंस में राज्यपाल ने बेड की उपलब्धता, सुविधाओं के बारे में विवरण माँगा और निजी अस्पतालों पर भारी भरकम बिल वसूलने के आरोपों पर प्रबंधन से सवाल किया था।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही हैदराबाद का यशोदा हॉस्पिटल में कोरोना वायरस से संक्रमित मनोज कोठारी को हॉस्पिटल से 4.21 लाख रुपए का बिल थमाया था। जिसका भुगतान नहीं कर पाने पर हॉस्पिटल ने जबरन उसे कैद कर लिया था।
मनोज 20 जून को यशोदा हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया, “29 जून को मैं ठीक हो गया और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज करने के लिए बोल दिया गया। लेकिन उसी 29 जून से मैं यहीं हॉस्पिटल में लगभग कैद हूँ। ना तो किसी से मिल पा रहा हूँ न ही किसी से बात करने दिया जा रहा है। अगर मुझे कुछ हो गया तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा?” मनोज को बताया गया कि जब वो बाकी रकम का भुगतान करेंगे तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
बता दें मनोज कोठारी का यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से 5 लाख रुपए का बीमा है। जिसमें कंपनी ने केवल सिर्फ 1.2 लाख रुपए का ही भुगतान किया। इंश्योरेंस कंपनी के अनुसार तेलंगाना सरकार ने जो दर तय किया है, वो सिर्फ उसी का भुगतान करेगी। हॉस्पिटल जहाँ मनोज भर्ती हुए, उसका कहना है कि वो बाकी रकम खुद से जमा करें और घर जाएँ। बाद में इंश्योरेंस कंपनी से सेटलमेंट अमाउंट ले लें।