सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने भारत सरकार द्वारा दिए गए निर्देश पर सफाई दी है। बता दें कि ‘किसान आंदोलन’ के दौरान गलत अफवाह उड़ा कर जनता को भड़काने वाले हैंडल्स पर रोक लगाने के लिए ट्विटर को कहा गया था, लेकिन उसने कुछ देर तक उन पर रोक लगा कर फिर से उन सभी को चालू कर दिया। इसके बाद भारत सरकार ने नोटिस जारी किया था, जिस पर ट्विटर ने अब सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया दी है।
अपनी प्रतिक्रिया में उसने लिखा है कि वो पारदर्शिता को स्वस्थ सार्वजनिक चर्चाओं और विश्वास प्राप्त करने का आधार मानता है। उसने कहा कि लोग समझते हैं कि वो कैसे अपने कंटेंट्स को मॉडरेट करता है और कैसे दुनिया भर की विभिन्न सरकारों से डील करता है। उसने कहा कि वो इसके परिणामों और इससे उपजने वाली परिस्थितियों को लेकर भी पारदर्शी है। साथ ही उसने ‘ओपन इंटरनेट’ और ‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति’ के दुनिया भर में खतरे में होने की भी बात कही।
ट्विटर ने लिखा है कि नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद कैसे उसने अपने नियमों को लागू किया और अपने मूल्यों का बचाव किया, इस सम्बन्ध में वो विस्तृत विवरण साझा करना चाहता था। उसने दावा किया कि ट्विटर लोगों की आवाज़ों को सशक्त कर रहा है और सभी के साथ अपनी सेवाओं में लगातार सुधार ला रहा है। उसने कहा कि दिल्ली हिंसा के बाद भी न्यायिक रूप से बिना पक्षपात के उसने कंटेंट्स को लेकर कार्रवाई की। ट्विटर ने गिनाया:
- हमने ऐसे सैकड़ों हैंडल्स पर कार्रवाई की जिन्होंने हमारे नियमों का उल्लंघन किया। हिंसा भड़काना, अपशब्दों का इस्तेमाल, किसी को नुकसान पहुँचाने की कामना, धमकियों – इन सभी कंटेंट्स पर कार्रवाई की।
- हमने सुनिश्चित किया कि ट्रेंड्स सेक्शन में ऐसा कोई भी कंटेंट न आने पाए, जो ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करता हो।
- प्लेटफॉर्म मैनीपुलेशन और स्पैम वाले 500 हैंडल्स को हमने सस्पेंड किया।
- हमने ऐसी अफवाहों से भी निपटने का प्रयास किया, जिससे वास्तविक जीवन में हानि की संभावना हो। हमारी पॉलिसी के उल्लंघन वाले कंटेंट्स हटाए गए।
ट्विटर ने बताया है कि पिछले 10 दिनों में उसे भारत के केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) IT एक्ट के अनुच्छेद-69 के तहत कई निवेदन मिले, जिनमें कुछ हैंडल्स को ब्लॉक करने को कहा गया। ट्विटर ने कहा कि इनमें से दो आपात ब्लॉकिंग के लिए थे, जिन पर हमने अस्थायी रूप से अमल किया लेकिन फिर उसे रिस्टोर कर दिया क्योंकि हमें लगा कि भारतीय कानून के हिसाब से ये ठीक है।
ट्विटर ने कहा है कि इसके बाद उसे केंद्र सरकार द्वारा दिशानिर्देशों का पालन न करने को लेकर नोटिस मिला। एक तरह से यहाँ कंपनी ने भारतीय नियम-कानूनों को लेकर खुद की व्याख्या करने की ठानी है, जबकि ये कार्य अदालत का है। ट्विटर ने उलटा भारत सरकार पर ही आरोप लगा दिया है कि उसने जो निर्देश दिए वो कानून के हिसाब से सही नहीं है। अर्थात, एक विदेशी कंपनी किसी देश की सरकार से ज्यादा वहाँ का कानून समझती है। कंपनी ने कहा है:
- हमने हानिकारक कंटेंट्स की विजिबिलिटी को कम किया। उन्हें सर्च टर्म्स में आने से रोका और साथ ही ट्रेंड्स में वो न दिखें, ऐसी व्यवस्था की।
- MeitY के निर्देश के बाद हमने ट्विटर के नियमों का उल्लंघन करने वाले 500 हैंडल्स को सस्पेंड किया।
- हमने ऐसे कई हैंडल्स पर रोक लगाई, जो अब भारत में नहीं दिखेंगे। हाँ, वो विदेशों में ज़रूर दिखेंगे क्योंकि हमें नहीं लगता कि ये भारतीय कानून के अनुरूप है। साथ ही हम ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ और ‘बोलने की स्वतंत्रता’ की सुरक्षा को अपना मूल्य समझते हैं। उन पर रोक लगाने का अर्थ होगा भारतीय कानून में दिए गए अभिव्यक्ति की आज़ादी के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन।
- हमने ऐसे सभी हैंडल्स के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है जो राजनेताओं, पत्रकारों, मीडियाकर्मियों और एक्टिविस्ट्स के हैं। हम भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे और ससम्मान उनसे वार्ता करते रहेंगे।
However, we have not taken any action on accounts that consist of news media entities, journalists, activists, and politicians. We will continue to advocate for the right of free expression on behalf of the people we serve, and are exploring options under Indian law.
— Twitter Safety (@TwitterSafety) February 10, 2021
ट्विटर ने ये भी साझा किया कि किसी हैंडल को ‘Withheld’ करने का अर्थ क्या होता है। उसने लिखा है कि अगर किसी अन्य प्रशासन से उसे कोई अनुरोध प्राप्त होता है तो उस खास क्षेत्र में उस कंटेंट को ब्लॉक कर दिया जाता है, जबकि बाकी जगह वो दिखता रहता है। साथ ही कोर्ट के सीलबंद ऑर्डर न मिलने की स्थिति में वो यूजरों को इस प्रतिबंध के बारे में विवरण देता है। साथ ही उसे बताया है कि हैंडल्स पर रोक लगाने के लिए कैसे निवेदन देना है।
यहाँ ये ध्यान देने वाली बात है कि भारत में वो राजनेताओं के हैंडल ब्लॉक न करने की बातें कर रहा है, जबकि अमेरिका में उसने वहाँ के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हैंडल को ही सस्पेंड कर दिया था। भारत में अगर किसी ने वार्ड का चुनाव भी लड़ा हो तो वो ‘राजनेता’ है, तो क्या उसे भड़काऊ कंटेंट्स शेयर करने का ओहदा मिल जाएगा? यहाँ तो सारे वामपंथी एक्टिविस्ट हैं और ब्लॉग लिखने वाले भी पत्रकार हैं। तब तो इन शब्दों की आड़ में किसी पर कार्रवाई नहीं हो सकेगी।
जहाँ तक अमेरिका की बात है, वहाँ पहले संशोधन के बाद ही ‘फ्री स्पीच’ की बात है, जिसे उनके लोकतंत्र का लंबे समय से खड़ा स्तंभ बताया गया है। लेकिन, वहाँ स्पष्ट किया गया है कि ये ‘प्रेस’ की सुरक्षा के लिए है। भारत में इस तरह के किसी शब्द का मेंशन नहीं है। इस तरह से ट्विटर लगातार भारत में अमेरिका के कानून के हिसाब से चीजों की व्याख्या कर के हम पर थोप रहा है। वो अपने नियमों को भारतीय संविधान और नियम-कानून से ऊपर रख रहा है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के निर्देशों की अवहेलना कर के भारतीय संविधान और नियम-क़ानून की अपने हिसाब से ऊटपटाँग व्याख्या कर रहे ट्विटर को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने जवाब दिया है। लेकिन, दिलचस्प ये है कि भारत सरकार ने जवाब देने के लिए ट्विटर नहीं, बल्कि सोशल मीडिया का भारतीय स्वदेशी माध्यम चुना। मंत्रालय ने ‘Koo App’ पर ट्विटर की बदतमीजी पर प्रतिक्रिया दी है।
बताते चलें कि बुधवार (3 फरवरी 2021) को केंद्र सरकार ने ट्विटर को स्पष्ट कह दिया था कि ‘किसान’ प्रदर्शन को लेकर जितने भी भड़काऊ ट्वीट हैं, उन्हें हटाया जाए वरना जेल और जुर्माना दोनों के लिए कंपनी तैयार रहे। केंद्र सरकार ने 257 अकाउंट को ब्लॉक करने का आदेश ट्विटर को दिया था। ये सभी अकाउंट #ModiPlanningFarmerGenocide (किसानों के नरसंहार के लिए मोदी की प्लानिंग) नाम से हैशटैग चला रहे थे। लेकिन, ट्विटर ने भारत सरकार के निर्देश को धता बता दिया।