Saturday, May 18, 2024
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जिस मालेगाँव ब्लास्ट पर कॉन्ग्रेस ने रची थी ‘हिन्दू आतंकवाद’ की थ्योरी, उसमें समीर शरद कुलकर्णी के खिलाफ ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक: पलट चुके हैं 34 गवाह

अब जुलाई 2024 में इस मामले की अगली सुनवाई होगी। इसी मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी फँसाया गया था, हाल ही में वो मुंबई स्थित NIA की अदालत में पेश भी हुई थीं।

जिस मालेगाँव बम ब्लास्ट का इस्तेमाल कर के कॉन्ग्रेस पार्टी और उसके समर्थकों ने ‘भगवा/हिन्दू आतंकवाद’ की फर्जी थ्योरी गढ़ी थी, अब उस मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले ने ऐसे तत्वों को तगड़ा झटका दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने समीर शरद कुलकर्णी के खिलाफ चल रही ट्रायल पर रोक लगा दी है। उनके खिलाफ UAPA की धारा-45 के तहत मुकदमा चलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी। अब जुलाई 2024 में इस मामले की अगली सुनवाई होगी।

इसी मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भी फँसाया गया था, हाल ही में वो मुंबई स्थित NIA की अदालत में पेश भी हुई थीं। इस दौरान उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने उन्हें नियमित रूप से सुनवाई में पेश होने को कहा। साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि वो सुनवाई में सहयोग करेंगी। उन्होंने खुद को शारीरिक रूप से बीमार बताते हुए कहा कि जब तक शरीर साथ देगा तब तक वो ट्रायल में हिस्सा लेती रहेंगी। 29 सितंबर, 2008 को महाराष्ट्र के नासिक स्थित मालेगाँव में बम ब्लास्ट हुआ था।

समीर शरद कुलकर्णी को राहत दिलाने के लिए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका दायर की थी। वो वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को इस्लामी अतिक्रमण से मुक्त कराने के अलावा मथुरा और भोजशाला वाले केस भी लड़ रहे हैं। जैन ने कहा कि ये एक प्रताड़ना का मामला है, जिसमें ‘हिन्दू टेरर’ की फर्जी थ्योरी लाई गई। मालेगाँव ब्लास्ट में 6 की मौत हुई थी, जबकि 100+ घायल हुए थे। रमजान का महीना था और लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे।

आज़ाद नगर पुलिस थाने में इस संबंध में FIR दर्ज हुई थी। इस मामले में अब तक 34 गवाह अपने बयान से पलट चुके हैं। एक गवाह ने इसे कॉन्ग्रेस-NCP की साजिश बताते हुए कहा था कि प्रताड़ित कर के उससे गवाही ली गई थी। समीर शरद कुलकर्णी के ट्रायल पर लगी रोक अंतरिम है, अगले आदेश तक ये जारी रहेगी। ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने गैर-कानूनी बताया। जाँच एजेंसी और केंद्र सरकार ने इस मामले में प्रतिक्रिया माँगी गई है।

समीर शरद कुलकर्णी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ही ब्लास्ट के लिए केमिकल की व्यवस्था की थी। वो मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक प्रिंटिंग प्रेस में काम करते थे। मई 2019 में जमानत पर बाहर रहने के दौरान उन्होंने खुद की जान को खतरा बताते हुए महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिख कर सुरक्षा की माँग की थी। इसी मामले में भारतीय सेना के मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय और लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) प्रसाद पुरोहित को भी फँसाया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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