नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नाम पर हिंसक प्रदर्शनों के पीछे की मंशा को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें ऐसे प्रदर्शनों में शामिल लोगों को यह तक नहीं मालूम था कि आखिर वे क्यों इकट्ठा हो रहे हैं? समुदाय विशेष के लोगों को भड़काने की बातें भी सामने आई है। हिंसा का दोष हिंदुओं और भाजपा के मत्थे मढ़ने की कोशिश भी हुई है। इसी कड़ी में गोरखपुर से एक घटना सामने आई है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद यहॉं हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान पुलिस ने एक पत्थरबाज को पकड़ा। पुलिस को झॉंसा देने के लिए उसने अपना नाम पंकज तिवारी बताया। जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसके मुँह से ‘अल्लाह कसम’ निकल गया।
दैनिक जगारण की रिपोर्ट के अनुसार बवाल पर काबू पाने के बाद पुलिस पत्थरबाजों की धर-पकड़ में जुटी थी। पुलिस की एक टीम में सदर तहसीलदार भी शामिल थे। संदेह होने पर उन्होंने एक युवक को रोका। पूछने पर उसने अपना नाम पंकज तिवारी बताया। जब उससे पिता नाम पूछा गया तो थोड़ी देर सोचने के बाद उसने गौरी तिवारी बताया। हालॉंकि एक पुलिसकर्मी ने उसे पत्थर फेंकते देखा था। उसने कहा- साहब यह भी पत्थरबाजी कर रहा था। पथराव करते इसे मैंने खुद देखा है। सिपाही ने जैसे ही यह बात कही खुद को पंकज तिवारी बताने वाला युवक बोल पड़ा- अल्लाह कसम मैं पत्थर नहीं चला रहा था। इससे उसका भेद खुल गया और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गोरखपुर में हिंसा भड़कने के पीछे बाहरी लोगों का हाथ होने का संदेह भी है। बताया गया है कि शुक्रवार की सुबह से ही शहर के शाहमारूफ इलाके में युवकों का कुछ समूह सक्रिय था। पहले इन्होंने दुकानें बंद कराई फिर काली पट्टी लगाकर नमाज अदा करने का फैसला किया। ये युवक एक-दूसरे के हाथ में काली पट्टी बॉंधने लगे। पुलिस ने इन पर नजर बना रखी थी। बाद में ये युवक जामा मस्जिद के पास भी लोगों को काली पट्टी बॉंधते दिखे।
दैनिक जागरण की खबर के अनुसार यह देख एलआइयू की टीम ने अधिकारियों को एक रिपोर्ट भेजी थी। इसमें कहा गया था कि कुछ बाहरी युवक लोगों को काली पट्टी बॉंध भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। तय किया गया कि नमाज के बाद ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा। लेकिन, उससे पहले ही बवाल शुरू हो गया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पुलिस की जॉंच से यह बात सामने आई है कि बाहरी तत्व पिछले कई दिनों से कुछ खास व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज डालकर गोरखपुर के युवकों के संपर्क में थे। कुछ युवकों को फोन कर भी उकसाया गया था। बाहरी लोग सीएए पर दूसरे शहरों में हुए बवाल का हवाला देकर लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। जॉंच में यह बात भी सामने आई है कि पत्थरबाजी के लिए ऐसी ईंटे जमा की गई थी जिसे थोड़ी सी ऊंचाई से गिराने पर भी कई टुकड़े हो जाएँ ताकि पथराव के दौरान उनका आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।