पिछले दिनों हमने देखा था कि कैसे मीडिया गिरोह ने सुलेमान को हीरो बनाने की कोशिश की थी। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में यूपी के बिजनौर में हुई हिंसा के दौरान वह मारा गया था। सुलेमान को हीरो बनाने के लिए बताया गया कि वह यूपीएससी की तैयारी करता था। सरकारी अधिकारी बनने के सपने देखा करता था। इसकी आड़ में यह सच्चाई छिपाने की कोशिश की गई कि सुलेमान देशी कट्टा लेकर हिंसा करने पहुॅंचा था। उसने कांस्टेबल मोहित के पेट में गोली मारी थी। आत्मरक्षा में मोहित ने गोली चलाई जिससे सुलेमान मारा गया। सुलेमान को हीरो बनाने की कोशिश करने वालों ने न मोहित की सुध लेने की कोशिश की और न उसके परिवार वालों का हाल जाना। शायद इसलिए क्योंकि मोहित हिंदू था। वह ऐसे प्रदेश की पुलिस सेवा में था जहॉं भाजपा की सरकार है।
इसी तरह शनिवार 28 दिसंबर 2019 को जब कॉन्ग्रेस की महासचिव प्रियंका गॉंधी ने अपनी लखनऊ यात्रा को सुर्खियों में लाने के लिए एक महिला अधिकारी पर गला दबाने का आरोप मढ़ दिया तो मीडिया गिरोह अचानक से सक्रिय हो गया। योगी की पुलिस पर अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने का आरोप लगाया। लेकिन, अपने दावे के समर्थन में प्रियंका कोई सबूत नहीं पेश कर पाई। यहॉं तक कि कॉन्ग्रेस ने जो वीडियो शेयर किया उसमें भी प्रियंका के साथ खड़े लोग ही महिला अधिकारी के साथ धक्का-मुक्की करते नजर आए। बाद में प्रियंका गॉंधी भी गला दबाने की बात से पलट गई।
Shame on @priyankagandhi for labelling false allegations on a woman knowing very well the consequences and media harassment the honest cop might face.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) December 29, 2019
From the video, it was clear that Priyanka pushed her #IStandWithArchanaSingh pic.twitter.com/LzNFj1pb1Y
महिला अधिकारी ने बताया कि कैसे प्रियंका पहले से तय रास्ते को छोड़कर दूसरे मार्ग से निकलने लगी तो अपनी ड्यूटी निभाते हुए उन्होंने उन्हें रोक कर इस संबंध में बात की। कॉन्ग्रेस ने जो वीडियो शेयर किया है उसमें भी यही दिख रहा है। इस महिला अधिकारी का नाम डॉ. अर्चना सिंह है। उन्होंने बताया, “इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। मैं उनकी (प्रियंका गाँधी) फ्लीट इंचार्ज थी। उनके साथ किसी ने भी अभद्रता नहीं की। मैंने सिर्फ अपनी ड्यूटी की। इस घटना के दौरान मेरे साथ धक्का-मुक्की की गई थी।” इस घटना को लेकर उन्होंने वरीय अधिकारियों को जो रिपोर्ट भेजी उसे आप नीचे पढ़ सकते हैं।
मूल रूप से बस्ती की रहने वाली डॉ. सिंह मॉडर्न कंट्रोल रूम में सीओ हैं। वे 2008 बैच की पीपीएस अधिकारी हैं। पीपीएस के लिए उनका चयन पहले ही प्रयास में हो गया था। उनके पति प्रमोद सिंह प्रोफेसर हैं। एक बेटा और एक बेटी है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिस दिन डॉ. सिंह की तैनाती प्रियंका गॉंधी के फ्लीट में की गई थी उसी दिन सुबह उनके भाई की मौत हुई थी। वह छुट्टी चाहती थीं। नहीं मिलीं। लेकिन, टूटी नहीं और अपनी ड्यूटी निभाने निकल पड़ीं।
बताया जाता है कि डॉ. सिंह के चचेरे भाई को पीलिया हो गया था। इसके कारण उनके शरीर में संक्रमण हो गया। दिल्ली के एक अस्पताल में वे कई दिनों से जिंदगी और मौत से लड़ रहे थे। शनिवार सुबह उनकी मौत की खबर आई। लेकिन, वीवीआईपी ड्यूटी की वजह से डॉ. सिंह को छुट्टी नहीं मिली। इसके बाद अपनी भावनाओं को परे रखकर वे यह सुनिश्चित करने में जुट गईं कि प्रियंका गॉंधी की सुरक्षा में कोई सेंध न लगे। लेकिन, तब उन्होंने शायद सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा करते वक्त एक वीवीआईपी उन पर एक घटिया आरोप लगा देगा और उसके साथ चल रहे लोग उनसे ही बदतमीजी पर उतर आएँगे। खाकी का यह एक ऐसा पक्ष है जिसे शायद ही CAA विरोध के नाम पर हिंसा को उकसाने वाले कॉन्ग्रेसी कभी समझ पाएँगे!