Tuesday, September 17, 2024
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अब यूँ ही नहीं कोई संपत्ति बन जाएगी वक्फ की, एक नहीं बल्कि 2 बिल लेकर आ रही है मोदी सरकार: बोर्ड और परिषद में गैर-मुस्लिम भी होंगे

केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसमें दो महिलाओं को रखना भी अनिवार्य होगा। इसमें मुस्लिम समुदाय के अन्य पिछड़ा वर्ग- शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, 3 सांसद, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के 2 पूर्व जज, भारत सरकार के सचिव आदि होंगे।

पूर्व महाराजाओं के किलों से लेकर हिंदुओं के पूरे गाँव को वक्फ संपत्ति बताने वाले वक्फ बोर्ड के पर कतरने की तैयारी केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। सरकार वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा दो बिल संसद में जल्दी ही पेश कर सकती है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 44 संशोधन किए जा सकते हैं। वक्फ बोर्ड में संशोधनों को लेकर सरकार ने बिल की एक कॉपी की है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सरकार वक्फ से जुड़े दो बिल संसद में पेश करेगी। एक बिल के जरिए वह मुस्लिम वक्फ कानून 1923 को समाप्त करेगी, जबकि दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में बेहद महत्वपूर्ण संशोधन किए जाएँगे। वक्फ संशोधन बिल 2024 के जरिए केंद्र की मोदी सरकार 44 संशोधन करेगी। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन है।

केंद्र सरकार का कहना है कि बिल में वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जाएगा। इस धारा के तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार दिया गया है। संशोधन बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम 1995 किया जाएगा।

केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम के साथ-साथ गैर-मुस्लिमों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। इसमें दो महिलाओं को रखना भी अनिवार्य होगा। इसमें मुस्लिम समुदाय के अन्य पिछड़ा वर्ग- शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। वक्फ परिषद में एक केंद्रीय मंत्री, 3 सांसद, मुस्लिम संगठनों के 3 प्रतिनिधि, मुस्लिम कानून के 3 जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के 2 पूर्व जज, एक वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त 4 लोग, भारत सरकार के सचिव आदि होंगे।

नए संशोधनों के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील के लिए 90 दिनों का समय दिया जाएगा। वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा। बोहरा और आगाखानी के लिए ‘औकाफ़’ (दान की गई संपत्ति और वक्फ के रूप में अधिसूचित) के लिए अलग से बोर्ड की स्थापना की जाएगी।

वक्फ काउंसिल किसी संपत्ति पर दावा नहीं ठोक सकता। वहीं, वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ के रूप में दर्ज करना चाहता है तो पहले उसे सभी संबंधितों पक्षों को नोटिस जारी करना होगा। यह पंजीकरण एक केंद्रीकृत वेबसाइट पर होना चाहिए। एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करने की भी इसमें व्यवस्था की गई है।

नए संशोधनों के अनुसार, केवल प्रैक्टिस करने वाले मुस्लिमों को ही अपनी चल या अन्यथा संपत्ति वक्फ परिषद या बोर्ड को दान करने की अनुमति होगी। दान करने फैसला सिर्फ कानूनी मालिक ही ले सकता है।वर्तमान कानून के तहत, किसी भी वक्फ संपत्ति को ऐसी संपत्ति नहीं माना जा सकता है, यदि इसके बारे में कोई विवाद हो, खासकर यदि इसके सरकारी संपत्ति होने के बारे में कोई सवाल हो।

ऐसे विवादों में अधिकारी जाँच करेंगे और राज्य को एक रिपोर्ट सौंपेंगे, जिसके बाद रिकॉर्ड समायोजित किए जाएँगे। नए कानून में वक्फ बोर्ड को मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल विधवाओं, तलाकशुदा और अनाथों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए और वह भी सरकार द्वारा सुझाए गए तरीके से। एक प्रमुख प्रस्ताव यह भी है कि महिलाओं की विरासत की रक्षा और सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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