Wednesday, November 6, 2024
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इस्लाम का राज स्थापित करना चाहता है तबलीगी जमात, आतंकियों से हैं सम्बन्ध: जानिए इसका पूरा इतिहास

इस आंदोलन की शुरुआत ही हुई थी हिन्दुओं से जूझने के लिए। इसका मानना है कि आधुनिक इस्लाम 'हिन्दुओं से निपटने' में नाकाम रहा है, इसीलिए गाँव-गाँव घूम कर सुन्नी इस्लाम की विचारधारा को फैलाया जाए।

बीते कुछ दिनों से दिनों से आप लगातार तबलीगी जमात का नाम सुन रहे होंगे। आपके मन में आ रहा होगा कि ये क्या है और इसका मतलब क्या है। निजामुद्दीन में इसके कई लोग एक मस्जिद में छिपे हुए पकडे गए हैं, तब से लोग इसके बारे में जानना चाह रहे हैं। कहा जाता है कि 2010 में तबलीगी जमात के 150 देशों में 8 करोड़ अनुयाई थे। इस शब्द का अर्थ हुआ एक ऐसा समाज, जो एक प्रकार की आस्था को फैला रहा है। ये एक वैश्विक सुन्नी इस्लामिक संगठन है, जिसकी जड़ें भारत में जमी हुई हैं। मौलाना मुहम्मद इल्यास कांधलवी इस जमात का संस्थापक था।

तबलीगी जमात का उद्देश्य है कि फिर से इस्लाम का राज्य स्थापित किया जाए, खिलाफत का राज स्थापित किया जाए और लोगों को इस्लाम के उस रूप की तरह ले जाया जाए, जैसे पैगम्बर मुहम्मद ने कहा था। चाल-ढाल से लेकर मजहबी प्रक्रियाओं तक, ये चाहता है कि सभी लोग पुराने सुन्नी तौर-तरीकों की ओर लौटें। इस आंदोलन की शुरुआत ही हुई थी हिन्दुओं से जूझने के लिए। इसका मानना है कि आधुनिक इस्लाम ‘हिन्दुओं से निपटने’ में नाकाम रहा है, इसीलिए गाँव-गाँव घूम कर सुन्नी इस्लाम की विचारधारा को फैलाया जाए। हालाँकि, इसके लोगों का कहना है कि धर्मान्तरण का वो कोई कार्य नहीं करते बल्कि सिर्फ अपने अनुयायियों पर ही फोकस रखते हैं।

इसकी शुरुआत 1926 में हुई थी। पहले इस्लामिक उपदेशकों का समूह बनाया गया था, जो इसके समर्थकों को घर-घर जाकर इस्लाम की शिक्षा देता था। ये लोग मस्जिदों में डेरा डालते हैं और फिर स्थानीय लोगों को नमाज और इज्तेमा के लिए बुलाते हैं, जहाँ उन्हें सिखाया-पढ़ाया जाता है। ये इस्लामिक उपदेशक अधिकतर 40 दिनों की यात्रा पर निकलते हैं और मस्जिदों में ही रुकते हैं। हालाँकि, ये उनके अनुभव पर निर्भर करता है कि वो और ज्यादा दिनों की यात्रा पर जाएँ या नहीं- जैसे 120 दिनों की। जम्मू कश्मीर में अचानक से कोरोना वायरस के मामले बढ़ जाने के पीछे भी तबलीगी जमात ही कारण है।

तबलीगी जमात ख़ुद के ग़ैर-राजनीतिक होने के दावे भी करता रहा है। पाकिस्तानी क्रिकेटर शाहिद अफरीदी से लेकर आईएसआई के प्रमुख रहे जावेद नसीर तक इसका अनुयायी रहे हैं। कई अन्य पाकिस्तानी सेलेब्रिटी भी तबलीगी जमात में शामिल हैं। हालाँकि, समुदाय विशेष में इस जमात को लेकर आपस में ही सिर-फुटव्वल चलती रहती है। सऊदी अरब में सुन्नी वहाबी उलेमाओं ने तो मुल्क में तबलीगी जमात द्वारा मजहबी उपदेश की गतिविधियाँ करने पर रोक लगाई ही है। इसके लिए फतवा भी जारी किया गया था।

तालिबान और अलकायदा से लेकर तमाम आतंकवादी संगठनों से इस जमात के सम्बन्ध सामने आते रहे हैं और उनके साथ इनकी बैठकें होती रहती हैं। ग्लासगो एयरपोर्ट पर हुए हमले में कफील अहमद नामक भारतीय नागरिक गिरफ़्तार किया गया ता, जो तबलीगी जमात से जुड़ा हुआ था। लश्कर-ए-तैयबा का सूडानी सरगना हामिर मोहम्मद जमात का सदस्य बन कर ही पाकिस्तान पहुँचा था। अलकायदा के कई बड़े आतंकी भी तबलीगी जमात के नाम पर अपनी गतिविधियाँ संचालित करते रहे हैं।

तबलीगी जमात पर पूरी चर्चा इस वीडियो में सुन सकते हैं

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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