काला बच्चा सोनकर, एक ऐसे रामभक्त का नाम है, जिन पर उत्तर प्रदेश में ‘रामकाज’ के लिए एक ही दिन में 76 FIR ठोंक दिए गए। जिन्हें पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI ने 9 फरवरी 1994 को बम से उड़वा दिया। जिनकी चिता की राख से बम की करीब 40 कीलें मिली थीं। जिनका होना कानपुर में हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी थी। जिन्हें ‘हिन्दुओं का भौकाल’ कहा जाता था।
कौन थे काला बच्चा सोनकर?
‘खटिक’ समाज से आने वाले मुन्ना सोनकर उर्फ़ ‘काला बच्चा’ सोनकर कानपुर के बिल्हौर के रहने वाले थे। खटिक समाज दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। काला बच्चा सोनकर कानपुर में इसी का नेतृत्व करते थे। वह खटिकों के साथ ही पूरे हिन्दू समाज में काफी पॉपुलर थे। वह भाजपा से जुड़े हुए थे। इस्लामी कट्टरपंथियों के आतंक से हिन्दुओं को बचाने वाले काला बच्चा पहले सूअर पालने का काम करते थे। इसी के साथ ही वह स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थे।

हिन्दुओं पर पकड़ और दलितों में बड़ा नाम मुन्ना सोनकर को भाजपा ने 1993 में बिल्हौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बनाया था। हालाँकि, वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गए थे। लेकिन वह हार के बाद भी कानपुर क्षेत्र में भाजपा के पोस्टर बॉय थे। काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर वर्तमान में इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं। वह लगातार अपने पिता के बलिदान और हिन्दुओं के लिए किए गए कामों को याद दिलाते हैं।
राम मंदिर आंदोलन और काला बच्चा
काला बच्चा का नाम पहले से प्रसिद्ध तो था ही, वह हीरो बन कर तब उभरे जब उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद कानपुर के भीतर हिन्दुओं को बचाया था। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद देश के बाकी हिस्सों के साथ कानपुर में भी दंगे भड़के थे। बाबूपुरवा, जूही समेत मुस्लिम बहुल इलाकों के अलावा कई जगह हिंसा हुई थी। 6 दिसम्बर के बाद मुस्लिमों ने एक मार्च निकाला था जिसके चलते खून खराबा हुआ। इस दंगे के दौरान आतातायी मुस्लिम भीड़ से काला बच्चा सोनकर ने हिन्दुओं को बचाया और मुस्लिमों का प्रतिरोध किया।

1994 में हो गई हत्या
1992 में उनके ऊपर मुकदमे लगे लेकिन लोकप्रियता बढ़ती गई। काला बच्चा सोनकर को 1993 चुनाव में भाजपा ने बिल्हौर से टिकट दिया लेकिन वह हार गए। इस चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद 9 फरवरी, 1994 को उनकी हत्या हो गई। हत्या के दिन काला बच्चा सोनकर स्कूटर पर जा रहे थे। उन पर कानपुर में बम चलाया गया था, इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बम धमाके में उनके शरीर का एक ही हिस्सा बचा था। उन पर इतने शक्तिशाली बम मारे गए थे कि बाद में अस्थियों तक से 40 लोहे के टुकड़े निकले थे।

ISI का हाथ सामने आया, मुंबई से हुई थी फंडिंग
काला बच्चा की हत्या मामले में कुछ मुस्लिम आरोपित बनाए गए थे। इनमें से कुछ की बाद में हत्या भी हो गई। इस मामले में जाँच में सामने आया था कि काला बच्चा को निशाने पर लेने वाले ISI से जुड़े हुए लोग थे। सोनकर को मारने के लिए मुंबई से पैसा भेजे जाने की बात भी सामने आई थी। उनके बेटे राहुल सोनकर बताते हैं कि ₹10 लाख मुंबई से भेजे गए थे, जिनमें से ₹4 लाख का इस्तेमाल इस हत्या में हुआ।
मुलायम सिंह ने नहीं दिया शव, परिवार की पिटाई की
काला बच्चा सोनकर के परिवार पर भी मुलायम सिंह यादव की तब की सरकार ने काफी अत्याचार किए थे। काला बच्चा सोनकर के परिवार को उनका शव ही नहीं दिया गया। उनके शव को पुलिस ने जब्त किए रखा। भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी कानपुर पुलिस से बातचीत करने पहुँचे। पहले पुलिस ने शव लौटाने की हामी भरी और भाजपा नेताओं से तैयारी करने को कहा। लेकिन बाद में मुलायम सरकार ने शव लौटाने से इनकार कर दिया। काला बच्चा को पुलिस ने सुबह 4 बजे चुपके से सिंधियों के शमशान में जला दिया।

इसके बाद जब काला बच्चा के परिवार ने प्रदर्शन किया और मामले में कार्रवाई की माँग की तो उनकी विधवा और बूढ़ी माँ को मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने घेर कर मारा पीटा। प्रदर्शन करने पहुँचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया और उनकी बेरहमी से पिटाई हुई। काला बच्चा के परिवार के सड़क पर निकलने पर तक बैन लगा दिया गया। इस मामले में यह तक आदेश दिया गया कि हत्या का विरोध करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह आगे विरोध करने लायक ना रहें।

अब बेटे राहुल हैं विधायक, याद दिला रहे पिता का बलिदान
काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर को 2022 में भाजपा ने बिल्हौर विधानसभा से टिकट दिया था। उन्होंने अपने पिता के काम को आगे बढाते हुए प्रचार किया और 2022 में 1 लाख से अधिक अंतर से चुनाव जीता।
हमारे पिता काला बच्चा जी कानपुर में हिन्दूवादी भौकाल के नाम से जाने जाते थे
— MLA Rahul Bachcha Sonkar (@RahulBachchaBJP) February 8, 2021
लेकिन 1994 में शान्तिदूतों ने हत्या कर दी और बाद हमारे परिवार पर भी हिन्दूविरोधी सत्ता ने खूब जुर्म किए
लेकिन काला बच्चा का नाम कानपुर के इतिहास में अमर हो गया
और ऐसे पिता के पुत्र होने पर मुझे गर्व है pic.twitter.com/kucbhTTchV
2021 में अपने पिता को ट्विटर पर राहुल सोनकर ने ‘कानपुर का भौकाल’ बताया था। वर्तमान में राहुल सोनकर अपने पिता की तरह इस इलाके में दलितों का बड़ा चेहरा हैं।