Thursday, April 25, 2024
Homeदेश-समाजकर्नाटक की iPhone फैक्ट्री में लूट: कौन हैं वो बाहरी 2000 लोग, जिन पर...

कर्नाटक की iPhone फैक्ट्री में लूट: कौन हैं वो बाहरी 2000 लोग, जिन पर किया गया FIR, चीन ले रहा दिलचस्पी

इस पूरे मामले में वामपंथी एंगल भी सामने या रहा है। चीन भी इसमें जम कर दिलचस्पी ले रहा है। क्विंगकिंग चेन ने तो 'Foxconn' से पूछ लिया कि क्या वो भी iPhone बनाने की फैक्ट्री भारत ले जाकर अब पछता रहा है?

भारत में आईफोन (iPhone) बनाने वाली कंपनी ‘Wistron Corporation’ की फैक्ट्री में शनिवार (दिसंबर 12, 2020) को जम कर हंगामा और तोड़फोड़ हुआ। कर्मचारियों और मजदूरों द्वारा हुए इस हंगामे के कारण कंपनी को 437.4 करोड़ रुपए की हानि हुई। इसमें वामपंथी ऐंगल भी सामने आ रहा है और चीन की इसमें दिलचस्पी लेने के कारण उसके हाथ से भी इनकार नहीं किया जा सकता। ये फैक्ट्री कर्नाटक के कोलार में स्थित है।

फैक्ट्री में अचानक से हंगामा और तोड़फोड़ शुरू कर दिया गया, जब सुबह के 6:30 बजे शिफ्ट चेंज किया जा रहा था। कई iPhone लूट लिए गए। पत्थरबाजी की गई, शीशे फोड़ डाले गए और फर्नीचर व गाड़ियों को जम कर नुकसान पहुँचाया गया। ऑफिस में रखे गई उपकरणों को नुकसान पहुँचाया गया। हालाँकि, कर्नाटक की सरकार ने स्पष्ट किया है कि वो कंपनी को जरूरी सुरक्षा मुहैरा कराएँगे। उप-मुख्यमंत्री सीएन अश्वनाथ नारायण ने स्थिति की समीक्षा की।

दरअसल, इस पूरे तोड़फोड़ का कारण कर्मचारियों को वेतन समय पर न देने को बताया गया और यही आरोप लगा कर ‘Wistron Corporation’ की फैक्ट्री में इस घटना को अंजाम दिया गया। ये कंपनी Apple की वैश्विक निर्माता कॉन्ट्रैक्टर्स में से एक है। ये iPhone 7 के साथ-साथ SE के सेकेण्ड जनरेशन के फोन्स का निर्माण करती है। इस तोड़फोड़ के दौरान 1.5 करोड़ रुपए के तो सिर्फ स्मार्टफोन्स ही लूट लिए गए।

इस मामले में कुल 7000 लोगों के खिलाफ कंपनी ने मामला दर्ज कराया है। इनमें से 5000 कंपनी में काम करते हैं और 2000 ऐसे हैं, जो बाहर से आए थे। 2021 के अंत तक कंपनी 25,000 लोगों को हायर करने वाली थी, लेकिन अब ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। फिलहाल उसके 12,000 कर्मचारी हैं, जिनमें से 2000 स्थायी हैं। Apple अपने कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल और उचित सम्मान देने की बात करती है, इसीलिए उसने जाँच समिति गठित कर दी है।

इस पूरे मामले में वामपंथी एंगल भी सामने या रहा है। ‘ऑल इंडिया ट्रैड यूनियन कॉन्ग्रेस’ के सदस्य कृष्णा सिद्दी का कहना है कि ये मामला कई महीनों से चल रहा था और 3 शिफ्ट्स को 12-12 घंटे की दो शिफ्ट्स में बदल दिया गया था और कुछ घंटे ओवरटाइम भी हो जाते थे। उनका आरोप है कि कंपनी ओवरटाइम के रुपए नहीं दे रही थी और साथ ही उसने शिफ्ट की सैलरी भी घटा दी थी। ये संगठन CPI से ताल्लुक रखता है।

AITUC के महासचिव एमडी हरिगोविंद ने इस पूरी हिंसा को जायज ठहराते हुए कहा कि ‘Wistron Corporation’ ने मजदूरों का शोषण शुरू कर दिया था और उनके लिए एकदम बुरा माहौल बना दिया था, इसीलिए ये घटना हुई। उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने ही कंपनी को ऐसा करने की अनुमति दी थी। पिछले महीने बिदाई स्थित टोयोटा किर्लोस्कर फैक्ट्री में भी कुछ कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के कारण उसे बंद किया गया था।

हालाँकि, लेबर कमिश्नर अकरम पाशा के बयान CPI से जुड़े संगठन के आरोपों की तस्दीक नहीं करते। उन्होंने आँकड़ों के हवाले से बताया कि कर्मचारियों को वेतन देने में कंपनी ने मात्र 4 दिनों की देरी की थी और नियमित रूप से उन्हें सैलरी दी जाती थी। इस मामले में अब तक 150 की गिरफ़्तारी हुई है। अब वेतन नियमित रूप से मिलने के बावजूद हिंसा क्यों हुई, लेबर कमिश्नर का कहना है कि इसकी जाँच पुलिस ही कर सकती है।

इस पूरे मामले में चीन जम कर दिलचस्पी ले रहा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ की चीफ रिपोर्टर क्विंगकिंग चेन ने इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीन में बाजार को सपोर्ट करने का एक स्थिर सिस्टम है, इसीलिए वहाँ से बाहर अपनी फैक्ट्रियों को ले जाने वाली कम्पनियाँ रिस्क उठा रही हैं। उन्होंने ‘Foxconn’ से पूछा कि क्या वो भी iPhone बनाने की फैक्ट्री भारत ले जाकर अब पछता रहा है?

हाल ही में कई कंपनियों ने अपने दफ्तर व फैक्ट्रियों को चीन से भारत स्थानांतरित करने का फैसला लिया है। ऊपर से भारत में कई चाइनीज एप्स प्रतिबंधित किए जाने से भी चीन को झटका लगा है। हाल ही में योगी कैबिनेट की बैठक में 4825 करोड़ रुपए की लागत वाले सैमसंग डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को मँजूरी दे दी गई, जो चीन से यहाँ आ रही है। अब OLED तकनीक से निर्मित होने वाले मोबाइल डिस्प्ले उत्पादों का निर्माण करने वाले दुनिया का तीसरा देश होगा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस जज ने सुनाया ज्ञानवापी में सर्वे करने का फैसला, उन्हें फिर से धमकियाँ आनी शुरू: इस बार विदेशी नंबरों से आ रही कॉल,...

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज को कुछ समय से विदेशों से कॉलें आ रही हैं। उन्होंने इस संबंध में एसएसपी को पत्र लिखकर कंप्लेन की है।

माली और नाई के बेटे जीत रहे पदक, दिहाड़ी मजदूर की बेटी कर रही ओलम्पिक की तैयारी: गोल्ड मेडल जीतने वाले UP के बच्चों...

10 साल से छोटी एक गोल्ड-मेडलिस्ट बच्ची के पिता परचून की दुकान चलाते हैं। वहीं एक अन्य जिम्नास्ट बच्ची के पिता प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe