मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने फैसला सुनाया है कि महिलाओं के खिलाफ किसी भी तरह का अनुचित व्यवहार, चाहे उसके पीछे कोई भी इरादा हो, यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आएगा। यह फैसला ‘महिला कार्यस्थल यौन उत्पीड़न (PoSH) अधिनियम’ के तहत दिया गया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार (23 जनवरी 2025) को दिए गए आदेश में जस्टिस आर.एन. मंजुला ने कहा, “PoSH अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की परिभाषा में ‘कृत्य (Action)’ को प्राथमिकता दी गई है, न कि इसके पीछे के ‘इरादे (Intension)’ को।” कोर्ट ने ये टिप्पणी उस मामले में की, जिसमें HCL टेक्नोलॉजीज की इंटरनल कमेटी (ICC) ने सर्विस मैनेजर एन. पार्थसारथी के खिलाफ तीन महिलाओं द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जाँच की थी और उन्हें सजा दी थी।
एक महिला कर्मी ने पार्थसारथी पर गलत तरीके से छूने, दूसरी ने शारीरिक माप पूछने और तीसरी महिला ने माहवारी के बारे में पूछने जैसे आरोप लगाए थे। इस मामले में ICC ने पार्थसारथी के 2 साल के इन्क्रीमेंट और उससे जुड़े फायदे को लेने से रोक दिया था और उन्हें गैर-मैनेजमेंट रोल में डाल दिया था।
आईसीसी के फैसले के खिलाफ पार्थसारथी ने लेबर कोर्ट में अपील की थी, जिसने आईसीसी के फैसले को खारिज कर दिया था। हालाँकि अब हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द कर आईसीसी के फैसले को सही बताया है।