Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजडियर ‘The (Liar) Wire’, J&K आज भी नहीं है सेक्युलर राज्य, तो RSS के...

डियर ‘The (Liar) Wire’, J&K आज भी नहीं है सेक्युलर राज्य, तो RSS के कम्युनल होने की बात क्यों

जम्मू कश्मीर राज्य में सेक्युलरिज़्म लागू नहीं होता यह जानकर भी पाक-अधिकृत-पत्रकारों के होठ सिले हुए हैं। वे इसी बात पर लहालोट हुए जा रहे हैं कि जम्मू कश्मीर राज्य के सरकारी कर्मचारियों को फलां-फलां संगठन का सदस्य बनने की अनुमति नहीं है।

द वायर, चिरकुट वामपंथियों की ऐसी जमात है जो स्वयं तो मूर्ख है ही अपने पाठकों को भी मूर्ख समझती है। इस जमात के लेखकों ने समय-समय पर बेहूदा तर्कों से भरे अनेकों लेख लिखकर अपना बौद्धिक स्तर सिद्ध किया है। ताज़ा उदाहरण 1 मार्च को प्रकाशित लेख का है जिसमें द वायर की एक स्वघोषित पत्रकार ने लिखा कि जमात ए इस्लामी की भाँति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी जम्मू कश्मीर राज्य में एक प्रतिबंधित संगठन है।

इस निष्कर्ष के समर्थन में यह तर्क दिया गया कि जम्मू कश्मीर सरकारी कर्मचारी नियमों (J&K Government Employees Conduct Rules, 1971) के अनुसार जमात ए इस्लामी और संघ दोनों ‘एंटी सेक्युलर’ और ‘कम्युनल’ संगठन हैं इसलिए जम्मू कश्मीर राज्य का कोई भी सरकारी कर्मचारी इनका सदस्य नहीं बन सकता। बहरहाल, यह तर्क तो सही है लेकिन इन ‘पाक-अधिकृत-पत्रकार’ महोदया को शायद जम्मू कश्मीर राज्य के तथाकथित ‘सेक्युलर’ इतिहास का ज्ञान नहीं है।

हमारे देश में जब भी मज़बूत इरादों वाले प्रधानमंत्री की चर्चा होती है तो प्रायः ‘लोहा लेडी’ श्रीमती इंदिरा गाँधी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। यह अलग विषय है कि तथाकथित लोहा लेडी जी ने 1971 में पाकिस्तानी फ़ौज के एक लाख मुस्टंडों को खिला पिलाकर उनके वतन वापस भेजा था। दस्तावेजों के अनुसार उसी साल जम्मू कश्मीर सरकारी कर्मचारी नियम भी लागू हुए थे जिनमें जमात ए इस्लामी और संघ को एंटी सेक्युलर और कम्युनल घोषित किया गया था।

जानने लायक बात यह है कि सन 1976 में लोहा लेडी जी ने भारत के संविधान में संशोधन कर उद्देशिका (Preamble) में सेक्युलर शब्द जोड़ा था। लेकिन 1957 में लागू हुए जम्मू कश्मीर राज्य के संविधान में सेक्युलर शब्द आज तक नहीं लिखा गया है। यही नहीं 1976 में जब भारतीय संविधान में सेक्युलर शब्द जोड़ा गया था तब जम्मू कश्मीर राज्य ने यह लिखकर दिया था कि हमारे यहाँ सेक्युलर शब्द लागू नहीं होगा।

आज के दौर में जहाँ रसम और भरतनाट्यम के कारण अल्पसंख्यकों की हितकारी सेक्युलर विचारधारा खतरे में पड़ जाती है वहाँ कश्मीरियत की दुहाई देकर 70 वर्षों से लोकतंत्र के सबसे पवित्र ग्रंथ भारतीय संविधान का अपमान किया जा रहा है। इस अपमान के विरोध में आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाली कॉन्ग्रेस भी दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं पड़ती। जम्मू कश्मीर राज्य में सेक्युलरिज़्म लागू नहीं होता यह जानकर भी पाक-अधिकृत-पत्रकारों के होठ सिले हुए हैं। वे इसी बात पर लहालोट हुए जा रहे हैं कि जम्मू कश्मीर राज्य के सरकारी कर्मचारियों को फलां-फलां संगठन का सदस्य बनने की अनुमति नहीं है। जबकि सत्य यह है कि केंद्र और राज्य सरकार के किसी भी कर्मचारी को सर्विस में रहते हुए किसी भी राजनैतिक पार्टी अथवा संगठन का सदस्य बनने की अनुमति नहीं होती। यह सभी सरकारी कर्मचारियों पर समान रूप से लागू होता है।

अब सवाल यह उठता है कि जमात ए इस्लामी पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया था? दिनांक 28 फरवरी, 2019 के गज़ेट नोटिफिकेशन द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी करते हुए लिखा कि यह संगठन ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा है जो आंतरिक सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए हानिकारक है और जिनमें देश की एकता और अखंडता को को भंग करने का सामर्थ्य है।

केंद्र सरकार ने जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) को विधिविरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम (Unlawful Activities Prevention Act) के अंतर्गत प्रतिबंधित किया है। ध्यान देने वाली बात है कि आज देश में आतंकवादी गतिविधियों को परिभाषित करने और उनपर लगाम लगाने वाला एकमात्र कानून UAPA ही शेष है। पोटा तो कॉन्ग्रेस की सरकार ने 2004 में सत्ता में आते ही हटा दिया था।

जमात ए इस्लामी नामक दो संगठन हैं। एक जमात-ए-इस्लामी-हिन्द है जिसे आज़ादी से पहले 1938 में मौलाना मौदूदी द्वारा स्थापित किया गया था। दूसरा जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) के नाम से 1942 में शोपियाँ में मौलवी गुलाम अहमद अहर ने स्थापित किया था जिस पर प्रतिबंध लगाया गया है। जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) आरंभ से ही अलगाववादी संगठन रहा है जिस पर पहले भी (1990 में) प्रतिबंध लग चुका है। यह आतंकवादी संगठन हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन का जनक है और कश्मीर में इसकी हज़ारों करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसको सरकार ने सीज़ किया है।

जगमोहन ने अपनी पुस्तक My Frozen Turbulence in Kashmir में लिखा है कि जमात ए इस्लामी (जम्मू कश्मीर) के (पूर्व) सरगना सैयद अली शाह गिलानी के अनुसार “किसी भी मुस्लिम को सोशलिस्ट और सेक्युलर विचार नहीं अपनाने चाहिए।” गिलानी जैसे लोगों के विचारों से यह स्पष्ट है कि कश्मीर के अलगाववादियों की विचारधारा क्या है।

इसके विपरीत संघ की बात करें तो आरएसएस ने प्रारंभ से ही जम्मू कश्मीर राज्य को भारत का अभिन्न अंग माना है। संघ का किसी भी आतंकवादी संगठन से कभी कोई संपर्क सिद्ध नहीं हो सका। हिन्दू आतंकवाद के शिगूफ़े की असलियत भी आर वी एस मणि ने अपनी पुस्तक The Myth of Hindu Terror में लिख दी है।

वास्तविकता तो यह है कि जब महाराजा हरि सिंह अधिमिलन पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर करने में टालमटोल कर रहे थे तब सरदार पटेल ने द्वितीय सरसंघचालक गुरुजी गोलवलकर को हरि सिंह के पास भेजा था ताकि वे उन्हें अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए मना सकें। वह भेंट 18 अक्टूबर 1947 को हुई थी जिसके बाद 26 अक्टूबर को महाराजा के हस्ताक्षर करते ही जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा बना। यह तथ्य माओवादी अर्बन नक्सल गौतम नवलखा ने भी 1991 में EPW में प्रकाशित अपने लेख में स्वीकार किया है।

लेकिन द वायर के पाक-अधिकृत-पत्रकारों को पाठकों के सामने झूठ परोसने और जमात ए इस्लामी और संघ को एक ही नज़रिये से देखने में मज़ा आता है। इन्हें कम्युनल और सेक्युलर शब्द तो बिना चश्मे के दिखता है लेकिन आतंकवादी और टेररिस्ट जैसे शब्दों को देखने के लिए माइक्रोस्कोप की आवश्यकता पड़ती है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पुलिस ने की सिर्फ पूछताछ, गिरफ्तार नहीं: हज पर मुस्लिम महिलाओं के यौन शोषण की आवाज उठाने वाले दीपक शर्मा पर कट्टर इस्लामी फैला...

दीपक शर्मा कहते हैं कि उन्होंने हज पर महिलाओं के साथ होते व्यवहार पर जो ट्वीट किया, वो तथ्यों पर आधारित है। उन्होंने पुलिस को भी यही बताया है।

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -