भ्रष्टाचार पर बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। मीडिया सत्ताधारी दल और मौजूदा केंद्र सरकार से सवाल पूछ-पूछ यह साबित करना चाहती है कि वो जागरूक है। ऐसा ही वाकया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एबीपी इंटरव्यू के दौरान हुआ। ऐसे फर्जी सवालों पर उन्होंने कहा, – राफेल पर मीडिया सुप्रीम कोर्ट, फ्रांस सरकार और कैग जैसी संस्थाओं की बातों को नज़रअंदाज़ करते हुए एक पार्टी विशेष द्वारा खड़े किए गए झूठ पर चिल्लाती रही। एक ऐसे मुद्दे पर सरकार से सवाल पूछे जाते रहे, जिस पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है, कैग द्वारा सरकार की बातों को सत्यापित किया जा चुका है और फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा मीडिया रिपोर्ट्स को नकारा जा चुका है। लेकिन, राफेल में भ्रष्टाचार की बात करनेवाले नेताओं से कभी नहीं पूछा गया कि वो किन सबूतों और गवाहों के आधार पर ये आरोप लगा रहे हैं?
अब ताज़ा मामले पर आते हैं। भ्रष्टाचार, हवाला, बेनामी संपत्ति, अवैध लेनदेन और चुनाव के दौरान धन का दुरुपयोग सहित अरबों की हेराफेरी के कई मामले उजागर हो रहे हैं और शक की सूई कई बड़े नेताओं पर है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के क़रीबी अधिकारी के ठिकानों पर छापा पड़ा और कई अहम ख़ुलासे हुए। गाँधी परिवार के ख़ासमख़ास अहमद पटेल के क़रीबी के यहाँ छापेमारी हुई और कई राज़ पता चले। सबसे पहले इस पूरे घटनाक्रम को समझते हैं कि कहाँ से क्या बरामद हुआ और कौन सा तार कहाँ जुड़ा हुआ है।
इनकम टैक्स की छापेमारी: अब तक क्या हुआ?
सोमवार (अप्रैल 8, 2019) देर शाम एसएम मोईन क़ुरैशी के घर पर आयकर विभाग की रेड पड़ी। मोईन क़ुरैशी कौन है? वह कॉन्ग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय में कर्मचारी है। वह कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल का क़रीबी है। उसके यहाँ छापेमारी की सूचना से बेचैन अहमद पटेल रात को 10 बजे क़ुरैशी के घर पहुँचे। क़ुरैशी के घर में सोफा पर बैठ कर मोबाइल फोन चला रहे अहमद पटेल की फोटो देखी जा सकती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क़ुरैशी के यहाँ छापा क्यों पड़ा? ऐसा इसलिए, क्योंकि जाँच एजेंसियों को सूचना मिली थी कि उसके यहाँ किसी बड़े प्रमुख पार्टी के नेताओं के 20 से 30 करोड़ रुपए पड़े हो सकते हैं। चूँकि वो खुद कॉन्ग्रेस नेता है, तो ये रुपए किस पार्टी के हो सकते हैं?
20 घंटे से भी अधिक देरी तक चली छापेमारी में आयकर विभाग को कई अहम जानकारियाँ मिलीं। उसके घर से कई दस्तावेज भी मिले। और तो और, इस छापे को कवर करने पहुँचे मीडियाकर्मियों को पिटवाया गया। एक महिला तक को नहीं बख्शा गया। लोकतंत्र का चौथा खम्भा अपने ही लोगों की पिटाई पर चुप है, पता नहीं क्यों? एक कॉन्ग्रेस नेता के घर के बाहर पत्रकारों की पिटाई होती है, महिला के साथ बदतमीजी होती है, लेकिन चारों ओर सन्नाटा है। कैमरामेन के कैमरे तोड़ दिए जाते हैं। इस पर हम आगे कुछ और गंभीर सवाल करेंगे लेकिन पहले मामले को समझते हैं। अहमद पटेल से किसी ने कुछ भी सवाल नहीं किया। वो क़ुरैशी के घर किस हड़बड़ी में पहुँचे थे? क़ुरैशी के यहाँ उनका कौन सा हित दाँव पर था? आयकर विभाग से उन्हें क्या डर है?
आयकर विभाग की बातों पर गौर करें तो क़ुरैशी ने हवाला के जरिए 20 करोड़ रुपए प्राप्त किए और उसे कॉन्ग्रेस मुख्यालय पहुँचाया। सब कुछ साफ़ है लेकिन मीडिया में सन्नाटा है। ऑपइंडिया के ख़ुलासे पर देश के वित्त मंत्री का प्रेस कॉन्फ्रेंस को ब्लैकआउट करने वाले मीडिया को जब पीएम द्वारा आइना दिखाया जाता है तो वो तिलमिला उठता है। 4 राज्यों के 52 ठिकानों पर पड़े रेड में 300 से भी अधिक इनकम टैक्स अधिकारियों ने हिस्सा लिया। आयकर विभाग भाजपा नहीं है। आयकर विभाग मोदी नहीं है। यह एक सरकारी एजेंसी है, एक संस्था है। यह कॉन्ग्रेस के समय भी थी – काम करती थी, काम करती रहेगी।
मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ के विशेष कार्याधिकारी (OSD) प्रवीण कक्कड़ के घर पर छापा मारा गया। उसके दो अन्य क़रीबियों अश्विन शर्मा और प्रतीक जोशी के ठिकानों पर भी आयकर विभाग की रेड पड़ी। यह बहुत बड़ा नेक्सक्स है। इसके तार मीडिया से भी जुड़े होने से इनकार नहीं किए जा सकते। अगर ऐसा नहीं होता तो मीडिया सवाल पूछती। अगर बिना सबूत राफेल पर सवाल करना जायज है तो सबूत सामने पड़े होने के बावजूद आँख मूँद लेना प्रोपेगंडा है, ऐसे गिद्धों पर लानत है। भोपाल, गोवा, इंदौर से लेकर दिल्ली तक फैले इस नेक्सस के अवैध लेनदेन का कारोबार व्यापक है, विस्तृत है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के साले दीपक पुरी द्वारा फेक बिल का प्रयोग कर के 242 करोड़ रुपए को डॉलर में बदलने की बात पता चली है। एक डायरी भी मिली है, जिसमें ये जिक्र है कि रुपया कहाँ-कहाँ से आया और कहाँ-कहाँ गया। मध्य प्रदेश में छापों के दौरान 281 करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन की बात पता चली है। इनकम टैक्स ने एक के बाद एक ट्वीट कर आधिकारिक रूप से स्थितियों को साफ़ किया है। तुग़लक़ रोड में एक सीनियर नेता के आवास से 20 करोड़ रुपया एक बड़े पार्टी के मुख्यालय भेजा गया। तुग़लक़ रोड में किस बड़े नेता का घर है? मीडिया पूछेगी? प्राइम टाइम होगा? मामला अरबों का है। ये देश का रुपया है। एजेंसियाँ पता करने में लगी हुई हैं लेकिन मीडिया अपना काम नहीं कर रही।
Searches in Delhi (group of a close relative of the senior functionary) have further led to seizure incl. cash book recording unaccounted transactions of ₹ 230cr, siphoning off money through bogus billing of more than ₹ 242 cr & evidence of more than 80 companies in Tax havens.
— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) April 8, 2019
आईटी विभाग का ये कहना भी गंभीर है कि इस नेक्सस में बड़े नेता, व्यापारी और अधिकारी सहित कई प्रोफेशन के लोग शामिल हैं। इनके तार हर जगह हैं। किसका कितना रुपया कहाँ लगा है, ये पता लगने के बाद ही इस नेक्सस का पर्दाफाश हो पाएगा। इन छापों में कई शराब की बोतलें मिली हैं। 14.6 करोड़ रुपए नकद ज़ब्त किए गए हैं। मीडिया के वर्ग विशेष में शामिल कई लोगों का मानना है कि कॉन्ग्रेस सांसद अहमद पटेल के आरोपों से घबराए मोदी ने उनके क़रीबी के घर छापा मरवाया है। अगर ऐसा है तो क्या आयकर विभाग के अधिकारी वो सारे दस्तावेज अपने साथ लेकर गए थे, जो क़ुरैशी के घर से मिला? कल को ये गिरोह विशेष यह भी कह सकता है कि आईटी विभाग ने चुपके से रात में मोदी के कथित दुश्मनों के घर रुपया रख दिया और सुबह जाकर पकड़ लिया।
मध्य प्रदेश में पड़े छापों में कई हथियार मिले, जानवरों की खालें मिली। ये सारी क़ीमती चीजें होती हैं। कई हाथ से लिखे दस्तावेज, कंप्यूटर फाइल्स, एक्सेल शीट्स आयकर विभाग के हाथ लगे हैं, जिनसे और भी कई ख़ुलासे होने की उम्मीद है। दिल्ली में क़ुरैशी के घर से एक कैशबुक मिला है, जिसमें 230 करोड़ रुपए के अवैध लेनदेन का पता चला है। आइए एक लिस्ट बनाते हैं और देखते हैं कि अब तक के छापों में क्या मिला:
- दिल्ली: एक कैशबुक, जसमें 242 करोड़ रुपयों के अवैध लेनदेन की रिकॉर्डिंग है।
- दिल्ली: बोगस बिलिंग के द्वारा 230 करोड़ रुपए की वसूली के दस्तावेज मिले।
- टैक्स हैवन कहे जाने वाले देशों में 80 कम्पनियाँ होने की बात पता चली।
- दिल्ली में कई पॉश वीआईपी इलाक़ों में अवैध सम्पत्तियाँ होने के सबूत मिले।
- आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया गया, मामला चुनाव आयोग के पास भेजा गया है।
- मध्य प्रदेश: व्यापारियों, नेताओं, अधिकारियों के एक सुव्यवस्थित रैकेट के बीच अवैध 281 करोड़ रुपए का पता चला।
- 20 करोड़ रुपया दिल्ली में एक बड़े नेता के घर से एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय भेजा गया।
- डायरी, कंप्यूटर फाइल्स, एक्सेल शीट्स मिले जो उपर्युक्त की पुष्टि करते हैं।
- 14.6 करोड़ रुपए नक़द बरामद किए गए।
- 252 शराब के बोतल मिले, जानवरों की खालें मिली, और कई हथियार बरामद किए गए।
गर अभी तक मिले कुल अवैध रुपयों के हिसाब-किताब को जोड़ दें तो ये 767 करोड़ रुपया आता है। ऊपर से ज़ब्त चीजों को भी जोड़ दें तो ये रक़म आसमान छूने लगेगी। 80 कंपनियों में किसका कितना अवैध रुपया लगा है, किसके कितने शेयर्स हैं, उनका प्रयोग कर के कितना कालाधन सफ़ेद किया गया होगा, इसका तो कोई हिसाब-किताब ही नहीं है। ‘द हिन्दू’ में आज एन राम का नया लेख आया है। कॉन्ग्रेस वाले भी उस पर अब प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं कर रहे। वो भी बोर हो चुके हैं। सत्यहिंदी कह रहा है कि मोदी पर अहमद पटेल ने आरोप लगाया, इसी लिए मोदी ने उन्हें लपेटे में ले लिया। स्क्रॉल का कहना है कि आयकर विभाग के ‘क्लेम’ के अनुसार, इतने रुपए ज़ब्त हुए हैं।
ये सारे के सारे अजीब व्यवहार कर रहे हैं। गाँधी परिवार के सबसे ख़ास आदमी से इसके तार जुड़ रहे हैं, फिर भी मीडिया मौन है। बिजली के एक पोल पर पूरा का पूरा एक घंटे का प्राइम टाइम करने वाले रवीश कुमार अरबों रुपए की हेराफेरी पर चुप हैं। पीएम मोदी के भाषण को गलत अर्थ में दिखाने वाला आजतक चैनल भी इस पर बहस नहीं कर रहा। पीएम से बिना सबूत राफेल पर सवाल पूछने वाला एबीपी सामने सबूत पड़ा होने के बावजूद आँख मूँद कर खड़ा है। कुछ के तो हमने ऊपर उदाहरण भी दिए।
Pictures provided by Income-Tax Sources of cash recovered during raid at residential premises of Prateek Joshi in Bhopal, Madhya Pradesh. I-T searches are underway at 50 locations including Indore, Bhopal, Goa and Delhi. pic.twitter.com/TAMe4J1Nii
— ANI (@ANI) April 7, 2019
तीन दिन से रेड चल रही है। इस कारण मीडिया ये कहने का भी हक़ खो चुका है कि ये कोई छोटा-मोटा मामला है। अगर सत्ता से सवाल पूछना ही पत्रकारिता है तो सत्ता खोने वालों को देश लूटने का अधिकार है क्या? कॉन्ग्रेस कई बड़े राज्यों में सत्ताधारी पार्टी है। उसके कई विधायक और सांसद हैं। अगर भाजपा केंद्र और कई राज्यों में सत्ताधारी है तो कॉन्ग्रेस भी बेचारी नहीं है। जिस पार्टी से अरबों के हवाला लेनदेन के तार जुड़ रहे हों, उससे सवाल पूछने के लिए उसके सत्ता में लौटने का इन्तजार किया जाना चाहिए क्या? सवाल अपराधी और अपराध से जुड़े हर एक व्यक्ति से किया जाना चाहिए। हमने सारे घटनाक्रम को आपके सामने रख दिया है क्योंकि कोई और ऐसा नहीं करेगा।