Thursday, September 12, 2024
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बिल्ली छींका फोड़े तो मोदी दोषी, लेकिन ममता बनर्जी को ‘विलेन’ मत बनाओ… YouTuber के लिए क्रूर रेप-हत्या ‘छोटी घटना’, रिहाना-पन्नू नहीं बोले इसीलिए बता रहा ‘बाहरी हाथ’

श्चिम बंगाल पुलिस को बचाने के लिए CBI को गाली देने का ये नया तरीका ईजाद किया गया है क्योंकि इन्हें पता है कि बात-बात में सीबीआई प्रतिक्रिया देने नहीं आएगी। ड्रग्स से लेकर अश्लील फिल्मों तक की शूटिंग जैसी चर्चाओं को इसने बिना जाँच अफवाह और कृत्रिम करार दिया है।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में शुक्रवार (9 अगस्त, 2024) की रात एक महिला डॉक्टर के बलात्कार और क्रूर हत्या एक ‘छोटी घटना’ थी। जी हाँ, आपने बिलकुल ठीक पढ़ा है। वो DDLJ का डायलॉग अपने सुना होगा – “बड़े-बड़े देशों में ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं।” गला दबाना, प्राइवेट पार्ट्स में जख्म देना, नाक से लेकर आँख तक से खून बहाना, हड्डियाँ तोड़ डालना – ये सब तो ‘छोटी बातें’ ही हैं न?

जिस कॉलेज में वो पढ़ने गई थी, जिस अस्पताल में उसे अपनी हुनर और प्रतिभा के प्रदर्शन का मौका मिला था, उसी कॉलेज, उसी अस्पताल की दीवारों से टकरा-टकरा कर उसका सिर फोड़ दिया गया। छोड़िए, ‘छोटी घटना’ है। परिवार को फोन कर के कहा जाता है कि उसकी बेटी बीमार है, फिर उन्हें अस्पताल बुलाया जाता है और कहा जाता है कि आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। माँ वहाँ अस्पताल के प्रशासकों के पाँव पर गिर-गिर कर अपनी बेटी की एक झलक देखने की विनती करती रहती हैं।

कोलकाता के RG Kar मेडिकल कॉलेज रेप-हत्या में लीपापोती

आखिरकार उन्हें जब अपनी बेटी को देखना का मिलता रहता है और वो उसे उस अवस्था में देखती हैं, जिसमें कोई अपने दुश्मन को भी देख कर काँप जाए जबकि ये तो उनकी अपनी थी। पाँव 90 डिग्री पर मुड़े हुए और शरीर के कई हिस्सों से खून आता हुआ। कोई अनाड़ी भी देख कर समझ जाए कि बलात्कार और हत्या है ये। फिर जल्दबाज़ी में लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। कोलकाता पुलिस सिर्फ एक शख्स को गिरफ्तार कर मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश करती है, फिर मामला CBI के पास जाता है।

देश भर के डॉक्टर विरोध प्रदर्शन करते हैं, पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य सेवाएँ ठप्प हो जाती हैं। TMC नेता अरूप चक्रवर्ती कहते हैं कि डॉक्टरों को लोग पीटेंगे तो कोई बचाने नहीं आएगा। पार्टी के एक अन्य नेता उदयन गुहा कहते हैं कि CM की तरफ उठने वाली उँगलियों को तोड़ डाला जाएगा। सीएम ममता बनर्जी, जो कि राज्य की गृह और स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, एक रैली निकाल कर न्याय की माँग करती हैं। वही ममता बनर्जी, जिनके शासनकाल में हुई इस घटना के बाद पुलिस क्राइम सीन को सुरक्षित रखने में भी विफल हो जाती है।

अचानक से वहाँ कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया जाता है। आधी रात के समय अचानक से गुंडों की एक भीड़ अस्पताल में घुस कर प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को पीटती है और घटनास्थल पर तोड़फोड़ मचाती है। सांसद सागरिका घोष और महुआ मोइत्रा CBI को गाली देकर इतिश्री कर लेती हैं। जिस पश्चिम बंगाल में विपक्षी पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्या होती है, वहाँ किनके गुंडों ने ये सब किया होगा ये बताने की ज़रूरत नहीं है। हमने संदेशखली में शाहजहाँ शेख और उसके गुर्गों द्वारा जनजातीय समाज की महिलाओं का यौन शोषण और चोपरा में ताजेमुल की शरिया अदालत में महिलाओं को बाँध कर पीटे जाते हुए देखा है।

इन सभी घटनाओं के बीच कोलकाता पुलिस क्या कर रही होती है? कोलकाता पुलिस चुन-चुन कर उन सभी को नोटिस भेज रही होती है, जिन्होंने भी इस घटना में न्याय की आवाज़ उठाई। ये नया नहीं है, संदेशखली वाली घटना की रिपोर्टिंग के समय भी ‘रिपब्लिक’ मीडिया संस्थान के पत्रकार को गिरफ्तार किया गया था। न किसी ने ममता बनर्जी को तानाशाह कहा, न उनकी तुलना हिटलर से की, न कोई अभिव्यक्ति की आज़ादी का झंडा लेकर पश्चिम बंगाल गया।

सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल का ‘झूठ’, 2001 से ही संदिग्ध मौतें

इस ‘छोटी घटना’ के बारे में जितनी बात करें उतना कम है। आपको दिसंबर 2012 में दिल्ली में ‘निर्भया’ की बस में गैंगरेप और हत्या की खबर के बारे में पता होगा। उस घटना के बाद सरकार को कानून में संशोधन करना पड़ा था। तब भी देश भर में कैंडल मार्च से लेकर अन्य तरह के विरोध प्रदर्शन तक हुए थे। ‘निर्भया’ की माँ, जिन्होंने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी, वो भी कह रही हैं कि ममता बनर्जी विफल हो गई हैं। एकाध अपवाद वाली घटनाओं को लेकर भारत को ‘लिंचीस्तान’ कहने वाले लोग पश्चिम बंगाल की घटना को लेकर मुँह में दही जमा कर चुप हैं।

जब सुप्रीम कोर्ट में मामला जाता है तो कपिल सिब्बल वहाँ झूठ बोल कर TMC सरकार को बचाने की कोशिश करते हैं। वहीं कपिल सिब्बल जो सपा के राज्यसभा सांसद भी हैं और सपा उस I.N.D.I. गठबंधन का हिस्सा है जो बात-बात में महिला अधिकारों के लिए लड़ने का दावा करता है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ अब उनसे पूछते हैं कि जब गुंडे अस्पताल में घुसे थे तब पुलिस कहा थी, तो वो जवाब नहीं दे पाते। हत्या की FIR दर्ज करने में देरी क्यों हुई, मुख्य न्यायाधीश के इस सवाल का भी उनके पास कोई जवाब नहीं होता।

असल में इस ‘छोटी घटना’ के पीछे 2001 से लेकर अब तक का पूरा इतिहास है। तब अगस्त में सौमित्र बिस्वास अपने कमरे में फंदे पर लटके हुए मिले थे। फरवरी 2003 में अरिजीत दत्ता की मौत को आत्महत्या बताया गया। फरवरी 2003 में प्रवीण गुप्ता ने आत्महत्या की कोशिश की। अक्टूबर 2016 में प्रोफेसर गौतम पाल का सड़ा-गला शरीर उनके फ़्लैट से मिला। 2020 में पॉलोमी साहा के बारे में बताया गया कि उन्होंने छठी मंजिल से कूद कर आत्महत्या की है। ये सारी घटनाएँ इसी कॉलेज से जुड़ी हैं।

आपको हाथरस की घटना याद है? TMC के नेता सितंबर 2020 में हुई इस घटना के बाद भागते-भागते हाथरस पहुँचे थे, पूरे देश का मीडिया वहाँ जमा था। बाद में अदालत ने कहा कि इसमें गैंगरेप का कोई सबूत नहीं है। फिर भी ये एक दुःखद घटना थी। लेकिन, अब यही टीएमसी के नेता अपने राज्य में हुई घटना को लेकर आवाज़ क्यों नहीं उठा रहे? अब TMC का आरोप है कि भाजपा और लेफ्ट मिल कर भ्रम फैला रहा है, तो क्या पीड़िता का परिजन भी भ्रम फैला रहे हैं क्योंकि पिता ने कहा कि हड़बड़ी में अंतिम संस्कार किया गया।

हाथरस से लेकर कोलकाता के बीच 4 साल बीत गया, नहीं बीता तो कुछ राजनीतिक दलों का अपने शासन वाले राज्य में होने वाले अपराधों को छिपाना और भाजपा शासित राज्यों में अपवाद वाली घटनाओं में भी अपना एजेंडा देख कर बातें करना। एक YouTuber है श्याम मीरा सिंह नाम का। कहता है ममता बनर्जी सरकार ने तो कुछ ज़्यादा ही कार्रवाई कर दी इस मामले में, और माहौल ऐसा बनाया गया जैसे ‘कुछ बड़ा घटा हो’ और पश्चिम बंगाल में कुछ गलत हो रहा हो।

श्याम मीरा सिंह कहता है – ये ‘छोटी बात’, विरोध प्रदर्शन ‘पेड’

उसे गर्व है इस पर कि उसने मृतका के परिवार को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ उठाते हुए वीडियो नहीं बनाया, उसने धिक्कारा है ध्रुव राठी जैसे अपने गिरोह के लोगों को जिन्होंने जनता के दबाव में वीडियो बना दिया। वो भी ध्रुव राठी ने वीडियो क्या बनाया था, उसने तो अन्य राज्यों की घटनाएँ गिना कर ये बताने की चेष्टा की थी कि पश्चिम बंगाल की घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। श्याम मीरा सिंह के अनुसार, बलात्कार-हत्या की घटना को लेकर आवाज़ उठाने का अर्थ है भाजपा के जाल में फँसना।

श्याम मीरा सिंह का कहना है कि कोलकाता की इस जघन्य वारदात पर जो भी टीवी शो बने, YouTube वीडियो बने या फिर ‘X’ पर पोस्ट हुए, वो सब भाजपा की तरफ से पेड थे। क्या दिल्ली में ‘निर्भया’ और यूपी में हाथरस वाली घटना के समय भी जो हुआ सब पेड था? ये सब तो उस समय भी हुआ था। अबकी तो खुलेआम लीपापोती की कोशिश हो रही है, घटना वीभत्स भी है। श्याम मीरा सिंह का कहना है कि ममता बनर्जी को विलेन बनाया गया। यही गिरोह जब थप्पड़ मारने की किसी घटना को सीधे मोदी से जोड़ कर प्रधानमंत्री का इस्तीफा माँगता है, तब किसे विलेन बना रहा होता है?

इसका ये भी मानना है कि लेफ्ट का एक धड़ा भी इसका शिकार बन गया क्योंकि उसने वीडियो बनाए। भाई, वो वीडियो TMC सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से बचाने के लिए ही बने थे। अगर किसी ने कह ही दिया कि बलात्कार पीड़िता के परिवार को न्याय दो, तो क्या ये प्रोपेगंडा हो गया? श्याम मीरा सिंह कह रहा कि दबाव में वीडियो बनाए गए, जबकि इसमें 95% फेक न्यूज़ थे। क्या था फेक न्यूज़? बलात्कार, हत्या, नग्न लाश, टूटी हड्डियाँ, आँख-नाक से बहता खून, हड़बड़ी में अंतिम संस्कार, प्रिंसिपल का तुरंत स्थानांतरण, FIR में देरी, गुंडों का अस्पताल में घुसना – इनमें से क्या था फेक न्यूज़?

ऐसा लग रहा जैसे बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ भड़की हिंसा वाली स्क्रिप्ट को इसने इस मामले में भी घुसा दिया है। इसका कहना है कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट आते थे, फिर उन्हें स्टोरी में लगा लिया जाता था। ऐसा ही तो होता है? गाज़ा में हमले को लेकर ‘All Eyes On Rafah’ वाला स्टेटस को इजरायल के खिलाफ सारी सेलेब्रिटियों ने लगाया था और सेम ही स्टोरी थी सबकी। सबको पता है कि CBI हफ्ता भर में जाँच की रिपोर्ट नहीं देती, वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के ढोल नहीं पीटती, उसका मुख्य लक्ष्य होता है अदालत में अपराधियों को सज़ा दिलाना।

इसीलिए, पश्चिम बंगाल पुलिस को बचाने के लिए CBI को गाली देने का ये नया तरीका ईजाद किया गया है क्योंकि इन्हें पता है कि बात-बात में सीबीआई प्रतिक्रिया देने नहीं आएगी। ड्रग्स से लेकर अश्लील फिल्मों तक की शूटिंग जैसी चर्चाओं को इसने बिना जाँच अफवाह और कृत्रिम करार दिया है। फिर 2001 से लेकर कोरोना काल तक हुईं संदिग्ध मौतों पर इसका क्या कहना है? और हाँ, ये चर्चाएँ डॉक्टर ही आपस में कर रहे हैं, आसमान से उड़ कर नहीं आ गईं ये बातें, वहीं रहने-पढ़ने-ड्यूटी करने वालों ने दबी जुबान से ये सब बताया है।

खुल के कैसे बोलें? जो प्रभावशाली लोग हैं सोशल मीडिया के उन्हें तक नोटिस भेज दिया जा रहा है, फिर ये लोग तो उसी राज्य में उसी पार्टी के शासनकाल में रहते हैं और उस स्थान से उनका दाना-पानी जुड़ा हुआ है। अभी जाँच के निष्कर्ष कहाँ हैं, अदालत में चार्जशीट कहाँ गई है जो श्याम मीरा सिंह कह रहा है कि सारी खबरें फर्जी निकलीं? क्या CBI ने इसका कान में कुछ बता दिया है चुपके से? और ये दुष्प्रचार फैलाने वाले ‘बाहरी हाथ’ कौन हैं? जॉर्ज सोरोस है, एमनेस्टी है, या फिर बीबीसी है?

श्याम मीरा सिंह के अनुसार, कोलकाता में बलात्कार-हत्या की घटना ‘बड़ी बात’ नहीं

‘किसान आंदोलन’ के दौरान कनाडा-अमेरिका से जो वीडियो आते थे वो अंदरूनी हाथ थे या बाहरी हाथ? श्याम मीरा सिंह समेत पूरा गिरोह उस दौरान समर्थन में था न। नूपुर शर्मा के खिलाफ ‘सर तन से जुदा’ गिरोह सक्रिय हुआ और क़तर से जो बयान आया था वो कौन सा हाथ था? रिहाना का ट्वीट भारत के किस गाँव से किया गया था? शाहीन बाग़ के समर्थन में उमर खालिद और शरजील इमाम जैसे दंगाइयों के साथ कहाँ का हाथ था? निर्भया से लेकर हाथरस तक के दौरान हुए आंदोलनों में कहाँ के हाथ थे, श्याम मीरा सिंह को कुछ पता है तो बताए।

जब अपने मालिकों की सरकार में कोई जघन्य से जघन्य वारदात भी हो तो उसकी एक लाइन की खबर छापना भी ‘Conspiracy Theory’ हो जाती है लेकिन जो लोग ये कहते हैं कि CAA नागरिकता छीनने वाला कानून है – झूठे होने के बावजूद उनका समर्थन करना ‘Reality Theory’ है। यही है भारत के इस गिरोह की सच्चाई। श्याम मीरा सिंह इसी गिरोह का नया टुंटपुँजिया है। अभी बड़ा हो रहा है। टूलकिट पर चलने वाले अब भाजपा पर टूलकिट का आरोप लगा रहे हैं।

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अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
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