जहाँ एक तरड़ रवीश कुमार के गिरोह के तथाकथित पत्रकारगण ये आरोप लगाते हुए हंगामा मचाए हुए हैं कि मीडिया में तालिबान की बातें क्यों हो रही हैं, वहीं दूसरी तरफ खुद रवीश कुमार फेसबुक के जरिए तालिबान का रट्टा लगा रहे हैं। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई है कि केंद्रीय विदेश मंत्रालय तालिबान से क्यों बात कर रहा है और साथ ही भविष्यवाणी की कि ‘गोदी मीडिया’ अब तालिबान का स्वागत करेगा।
ध्यान दीजिए, ये वही तालिबान है जिसने रवीश कुमार के ही गिरोह के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की क्रूर तरीके से हत्या कर दी थी, जिसके बाद इन सब ने मिल कर हिन्दुओं को निशाना बनाया था। जिस तालिबान ने ये सब किया, उसके खिलाफ एक शब्द तक नहीं कहा गया था। उलटा ‘हिन्दू आतंकवाद’ की बातें की गई थीं, भले ही तालिबान ‘अल्लाहु अकबर’ बोल कर ही क्यों न लोगों की हत्या करता हो।
केंद्रीय विदेश मंत्रालय के बयान को देखें तो स्पष्ट होता है कि भारत नहीं गया था तालिबान से बात करने, बल्कि तालिबान के निवेदन पर ये बातचीत हुई है। क्यों? क्योंकि वहाँ जो भी हिन्दू व सिख हैं, जो भी भारतीय बचे हुए हैं, उन्हें कोई नुकसान न पहुँचे। अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत आने में परेशानी न हो, इसीलिए बातचीत हुई। अफगानिस्तान की मिट्टी का इस्तेमाल भारत के खिलाफ न हो, इसीलिए बातचीत हुई।
यानी, अगर सरकार अपने देश की जनता के हित व सुरक्षा के लिए कोई कदम उठाती है तो इससे भी रवीश कुमार को दिक्कत है। लाशों पर राजनीति करने वाला यही गिरोह तब मोदी सरकार को गाली देते नहीं थकेगा, अगर अफगानिस्तान में फँसे भारतीयों को कोई नुकसान पहुँचे। भारत सरकार ने बस अपने दायित्व का निर्वहन किया है। याद कीजिए, 1990 में कुवैत में फँसे भारतीयों की सकुशल वापसी के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने इराक़ के तानाशाह सद्दाम हुसैन को गले लगाया था।
लेकिन, रवीश कुमार को सिर्फ प्रोपेगंडा का ज़हर बोना है। उन्होंने पूछा है कि तालिबान के बारे में बात क्यों की जा रही है (जबकि वो खुद ऐसा कर रहे)? असल में वो जानते हैं कि सोशल मीडिया की इस दुनिया में तालिबान की एक-एक करतूत लोगों को पता चल रही हैं। पुरुषों से रेप से लेकर महिलाओं की तस्करी, अमेरिकी नागरिक को हैलीकॉप्टर से लटका कर मार डालने और बच्चियों तक के अपहरण के कई वीडियोज लोगों के सामने इस्लामी कट्टरवाद की पोल खोल रहे।
इसीलिए, रवीश चिंतित हैं कि कहीं इस्लामी आतंकवाद के इस मुद्दे से उनका प्रोपेगंडा ध्वस्त न हो जाए। जबरन ‘जय श्री राम’ बुलवाने से लेकर ‘हिन्दू आतंकवाद’ तक की झूठी बातें बेनकाब न हो जाएँ। इसीलिए, ये लोग चाहते हैं कि भारत के लोग कुएँ के मेंढक बने रहें और देश-दुनिया के बारे में न जानें। रवीश कुमार इस बात से भी चिंतित हैं कि भाजपा नेता तालिबान को आतंकी क्यों कह रहे। तालिबान की छवि चमकाने का NDTV ने तो ठेका ही ले रखा है।
लेकिन, यही रवीश कुमार अब कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की सशक्त लड़ाई का जिक्र तक नहीं कर रहे। इसका कारण है। इसका कारण ये है कि भारत ( 31 अगस्त, 2021) को पिछले सारे रिकार्ड्स ध्वस्त करते हुए एक दिन में 1.30 करोड़ लोगों को टीका लगा दिया। इससे कुछ ही दिन पहले एक दिन में 1 करोड़ लोगों का टीकाकरण हुआ था। उससे पहले एक दिन में 80 लाख का रिकॉर्ड बना था।
अब आँकड़े तो सच बोलते हैं और सच तो रवीश कुमार सुनना तक नहीं पसंद करेंगे, लोगों को बताने की बात तो दूर, क्योंकि इसी पता चलेगा कि किस तरह नरेंद्र मोदी की सरकार दुनिया का सबसे व्यापक टीकाकरण अभियान चला रही है। अब वो ‘गोदी मीडिया’ और ‘आईटी सेल’ की रट भी नहीं लगा सकते, क्योंकि ये आँकड़े भाजपा के नहीं हैं। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)’ ने इसके लिए भारत की तारीफ़ की है।
ये वही रवीश कुमार हैं, जिन्होंने कोरोना टीके के दाम को लेकर सरकार पर छींटाकशी की थी। इसीलिए, ये बता ज़रूरी है कि सुदूर गाँवों तक लोगों का मुफ्त टीकाकरण कराया जा रहा है। जून 2021 में रवीश ने सवाल दागा था कि वैक्सीन के लिए समय पर ऑर्डर क्यों नहीं दिए गए। उन्होंने मोदी सरकार को ‘छपास रोग’ का शिकार तक करार दिया था और देश में वैक्सीन की कमी का नैरेटिव आगे बढ़ाया था।
उसी महीने उन्होंने ये भी कहा था कि जिस वैक्सिनेशन प्रोग्राम को विश्व का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान कहकर प्रचारित किया जा रहा था, उसकी पोल खुल गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वो टीका बनाने वाले वैज्ञानिकों का नाम नहीं ले रहे। जबकि सच्चाई ये है कि वैक्सीन के निर्माण के समय ही पीएम मोदी अहमदाबाद और हैदराबाद गए थे व सीरम के अलावा ‘भारत बायोटेक’ के लैब का भी निरीक्षण किया था।
इसके अलावा रवीश अर्थव्यवस्था पर भी चुप हैं। मई 2021 में उन्होंने महँगाई बढ़ने व अर्थव्यवस्था गिरने के आरोप पीएम मोदी पर मढ़े थे। जब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था कोरोना व लॉकडाउन के कारण गिर रही थी, तो उसका ठीकरा भी रवीश ने मोदी सरकार पर ही फोड़ा था। उन्होंने कहा था कि अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है और जो बिज़नेस में हैं, उन्हें सच्चाई मालूम है। उन्होंने थाली बजवाने और सेना द्वारा डॉक्टरों का सम्मान करने पर भी तंज कसा था।
अब रवीश कुमार अर्थव्यवस्था पर चुप हैं। इसका कारण ये है कि इसका कारण ये है कि अप्रैल से जून 2021 के दौरान, यानी मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की GDP ग्रोथ रेट में 20 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल देखने को मिला है। पिछले साल कोरोना महामारी के कारण देश की GDP में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन अब इसमें सुधार दिखने लगा है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी की ग्रोथ में 20.1 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
असली बात तो ये है कि रवीश कुमार को पहले तालिबान की क्रूरता भारत की जनता के सामने छिपानी थी, अब उन्हें GDP विकास दर और कोरोना टीकाकरण पर मोदी सरकार की उपलब्धियों से जनता का ध्यान भटकाना है। इसीलिए, तालिबान की आलोचना हो तो वो अर्थव्यवस्था व वैक्सीनेशन की बातें करते हैं और जब अर्थव्यवस्था व वैक्सीनेशन को लेकर उनका प्रोपेगंडा ध्वस्त होता है तो तालिबान-तालिबान रटते हैं।