पूरा विश्व इस समय उस दौर से गुजर रहा है जब हर किसी को अपने धर्म और मजहब से ऊपर उठकर कोरोना से जंग जीतने की चाह है। आज इजराइल हो या फिर अमेरिका, ब्राजील हो या दुबई, भारत हो या पाकिस्तान हर देश सिर्फ़ इसी जद्दोजहद में है कि किस तरह कोरोना को हराया जाए और देश के नागरिकों को बचाया जाए। मगर, इस बीच कुछ अराजक तत्व ऐसे हैं जो हर देश में स्वास्थ्यकर्मियों को उनका काम करने से रोक रहे हैं। भारत के संदर्भ में इन्हें तबलीगी जमात से जुड़े लोगों की हरकतों से जोड़कर देखा जा सकता है। इसके अलावा एक वर्ग और भी है जो सोशल मीडिया पर मानवता की बात जरूर कर रहा है लेकिन धर्म और मजहब को देखकर, इसलिए वो भी किसी उपद्रवी से कम नहीं है।
पाकिस्तान में तो इस काम के लिए पूरा प्रशासन और वहाँ की बहुसंख्यक आबादी को उत्तरदायी ठहरा सकते हैं। लेकिन भारत में इसके लिए मीडिया गिरोह एक मात्र जिम्मेदार है। जिसकी सूची में एक नाम RJ सायमा का भी है। जो इन दिनों ट्विटर पर मानवता की दुहाइयाँ दे रही हैं। मगर, स्वास्थ्यकर्मियों की दुर्दशा पर मूक बनी बैठी हैं। पिछले 24 घंटे की यदि बात करें तो सोशल मीडिया पर इंसानियत का पताका लहराने वाली RJ सायमा ट्विटर पर अपने सैंकड़ों फॉलोवर्स को ये बता रही हैं कि आज के दौर में झूठ बोलना सामान्य हो गया हैं। फेक न्यूज ही असली खबर हो गई है। कट्टरता ही पूण्य बन गया है और ईमानदारी एक बुराई हो गई है। अब सोचिए, इन दिनों ऐसा क्या हो रहा है, जो आरजे सायमा को इन शब्दों की नई परिभाषाएँ बतानी पड़ रही हैं।
Lying is the new normal.
— Sayema (@_sayema) April 16, 2020
Fake news is the real news.
Bigotry is virtue.
Honesty is vice.
तो बता दें, इन दिनों तबलीगी जमात के लोग देश में कोरोना हॉट्सपॉट बनने और अपने दुर्व्यवहार के कारण खबरों में हैं। जिनकी संलिप्ता के कारण हर न्यूज मीडिया संस्थान उन्हें कवर कर रहा है, उनकी मंशा पर सवाल उठा रहा हैं?
उदाहरण देखिए। पिछले दिनों मुरादाबाद में एक घटना हुई। बेहद शर्मनाक! यहाँ कोरोना जाँच के लिए एक इलाके में गई मेडिकल टीम पर समुदाय विशेष की भीड़ ने हमला कर दिया और डॉक्टर को इतना पीटा कि वे बुरी तरह लहुलुहान हो गए। हमले के बाद आई तस्वीरें हृदयविदारक हैं। इससे पहले दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भी तबलीगी जमात से जुड़े लोगों ने दो डॉक्टरों को अपना निशाना बनाया था। जहाँ पहले महिला डॉक्टर पर फबब्तियाँ कसी गई थी और बाद एक पुरूष डॉक्टर के आवाज उठाने पर उनपर हमला हुआ था। इसी तरह हरियाणा में आशाकर्मियों पर समुदाय विशेष की भीड़ ने हमला किया था। साथ ही राँची, हैदराबाद, मुजफ्फरपुर जैसी अनेकों जगहों से ऐसे मामले सामने आए थे।
इन सभी मामलों को देखते हुए देश भर के लोगों ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी। हर किसी ने अपना गुस्सा जाहिर किया। लेकिन मजाल RJ सायमा ने इनमें से किसी भी मुद्दे पर कोई भी बात की हो। वो अपने ट्विटर पर लगातार ऐसी चीजें शेयर करती रहीं, जिनका इन घटनाओं से कोई भी सरोकार नहीं था। मगर, जब मुरादाबाद की घटना घटी, तो रंगोली चंदेल जैसे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। नतीजतन उन्होंने खून से लथपथ डॉक्टर की तस्वीर देखकर आवाज उठाई, अपना आक्रोश दिखाया। लेकिन, तब तबलीगी जमात की हरकतों को मात्र गलती बताने वाली सायमा ने इसपर एफआईआर की माँग को अपना समर्थन दे दिया।
RJ सायमा ने विनोद कापड़ी का ट्वीट रीट्वीट किया और माँग की कि नरसंहार की वकालत करने वाली रंगोली चंदेल का ट्विटर अकॉउंट सस्पेंड होना काफी नहीं है। इसलिए ऐसे व्यक्ति पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई करने की भी बात होनी चाहिए।
इसके बाद सायमा ने राहुल गाँधी की इमेज बिल्डिंग करने के लिए उनकी सराहना की, उन्हें सुलझा हुआ नेता दिखाया। साथ ही रोहिणी सिंह का ट्वीट रीट्वीट किया। जिसमें लिखा था मु###नों और लिबरल लोगों को मारने की बात कहना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में नहीं आता। ये हिंसा भड़काना होता है। ये हेट स्पीच हैं। इसके लिए रंगोली को अरेस्ट किया जाना चाहिए। ये हैरानी की बात है कि अब तक रंगोली के ख़िलाफ़ शिकायत क्यों नहीं दर्ज हुई।
राहुल गांधी @RahulGandhi आज एक सुलझे और ज़िम्मेदार नेता की तरह लगे. उनका ये कहना कि देश किसी भी बीमारी से बड़ा है. कोरोना से लड़ाई कठिन है लेकिन हम मिल कर लड़े तो कामयाब होंगे … इस संकट की घड़ी में राजनीति नहीं, सबका साथ ज़रूरी है
— Pankaj Jha (@pankajjha_) April 16, 2020
अब हालाँकि, यहाँ तक सायमा सिर्फ़ रीट्वीट करके काम चला रही थीं। लेकिन थोड़ी देर बाद जब उन्हें यूजर समझाने लगे कि वे गलत लोगों के ख़िलाफ़ आवाज उठाएँ और राजनीति में न फँसे। तो उन्होंने ट्वीट किया कि, “मैं हैरान हूँ, इंसानियत और इंसाफ़ की बात करो तो वो कहते हैं कि ‘आप politics में मत पड़ो।” यहाँ सोचिए! सायमा कौन सी इंसानियत की बात कर रही हैं? सायमा कौन से इंसाफ के बारे में बात कर रही हैं? क्या इंसानियत और इंसाफ ये नहीं है कि वे देश भर में स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रहे हमलों की निंदा भर ही कर दें या फिर जो लोग उनपर हिंसक हो रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की माँग कर दें, ताकि कोरोना योद्धाओं को हिम्मत मिले।
लेकिन नहीं, आरजे सायमा को इस समय सबसे जरूरी काम लग रहा है वो ये कि आखिर कैसे जमातियों के अपराधों को एक गलती में बदला जाए और कैसे ये कि साबित किया जाए कि कोरोना संक्रमण के पीछे जमाती जिम्मेदार नहीं है। वे चाहती हैं कि लोग इस समय राहुल गाँधी का सुलझापन जाने, न कि ये जानें कि आखिर उस हमलावर भीड़ की क्या सोच थी जिसने डॉक्टर को अपना निशाना बनाया। आखिर क्यों उन्होंने पूरी मेडिकल टीम पर हमला कर दिया। वो चाहती हैं कि वे समाज को रंगोली का आक्रामक रवैया दिखाएँ और उसे कट्टर चेहरा बताएँ, लेकिन ये नहीं चाहतीं कि असल में जो कट्टरपंथी है, जो दुर्व्यवहार कर रहे जमाती कोरोना वाहक हैं वो इस समाज में उजागर हों।
वो चाहती हैं प्रेम-शांति-इंसानियत के नाम पर लोग जमातियों के ख़िलाफ़ अपनी प्रतिक्रिया देना बंद कर दें और उनकी हरकतों को मात्र नादानी मानें। जैसे कि वो मानती हैं। लोग हर जगह हो रही घटनाओं को नजरअंदाज कर दें और कुछ अपवादों को देखकर तसल्ली कर लें कि अभी भी कुछ ऐसे मजहबी हैं जो कोरोना संकट में लोगों की मदद कर रहे हैं। प्रशासन की बात मान रहे हैं। हर नियम का पालन कर रहे हैं।
नोट: मालूम हो कि ऐसा नहीं कि RJ सायमा स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों को कोरना योद्धा मानने से इंकार कर रही हैं। लेकिन परेशानी बस यही है कि जब समुदाय विशेष उनपर हमला करता है तो वे अपने इन योद्धाओं के लिए न आवाज उठाती हैं और न इंसाफ माँगती हैं। वे सिर्फ़ मामले को डायवर्ट करने में लग जाती हैं और अपराधियों के ख़िलाफ़ एक्शन लेने की बात नहीं करती बल्कि जो अपराधियों की हरकत पर प्रतिक्रिया देते हैं, उन्हें समाज में खतरा बताती हैं।