अपने एक ट्वीट में आरफा खानुम शेरवानी ने अयोध्या इस्लामी कट्टरपंथियों को महान दिखाते हुए उनकी पत्थरबाजी और हिंसा को जायज दिखाने का प्रयास किया है। आरफा ने अपने ट्वीट में लिखा, “भारत के मुसलमानों से भारत की सुप्रीम कोर्ट का वादा था अयोध्या सिर्फ़ एक अपवाद होगा। मुसलमानों ने दिल पर पत्थर रखकर अपने देश के अमन-चैन के लिए एक मस्जिद को क़ुर्बान किया। अब संघी अदालतें ‘हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग’ ढूँढने को हरी झंडी दे रही हैं। सुप्रीम कोर्ट का वादा भी झूठा निकला?”
भारत के मुसलमानों से भारत की सुप्रीम कोर्ट का वादा था अयोध्या सिर्फ़ एक अपवाद होगा
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) November 24, 2024
मुसलमानों ने दिल पर पत्थर रखकर अपने देश के अमन-चैन के लिये एक मस्जिद को क़ुर्बान किया।
अब संघी अदालतें ‘हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग’ ढूँढने को हरी झंडी दे रही हैं
सुप्रीम कोर्ट का वादा भी झूठा निकला? pic.twitter.com/eT7mqOMbRn
अपने अगले ट्वीट में आरफा खानुम शेरवानी ने पुलिस को विलेन के तौर पर पेश करते हुए ऐसे दिखाया कि पुलिस बेवजह मुस्लिमों पर बंदूक ताने हुए हैं और मुस्लिम नहीं बल्कि हिंदू जय श्रीराम कह कहकर हमला कर रहे हैं। आरफा ने लिखा, “‘चलाओ बे गोली चलाओ’ संघी जज एक घंटे के भीतर सैंकड़ों साल पुरानी मस्जिदों का ‘सर्वे’ करा ले रहे हैं। क़ानून की किताब नहीं जय श्रीराम के नारों के साथ ‘सर्वे टीम’ मस्जिद की ओर कूच कर रही है। संघी पुलिस गोली चला रही है। क्या यही है हिंसा और नाइंसाफ़ी की ज़मीन पर खड़ा विश्वगुरु?”
“चलाओ बे गोली चलाओ”
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) November 24, 2024
संघी जज एक घंटे के भीतर सैंकड़ों साल पुरानी मस्जिदों का ‘सर्वे’ करा ले रहे हैं।
क़ानून की किताब नहीं जय श्रीराम के नारों के साथ ‘सर्वे टीम’ मस्जिद की ओर कूच कर रही है।
संघी पुलिस गोली चला रही है।
क्या यही है हिंसा और नाइंसाफ़ी की ज़मीन पर खड़ा विश्वगुरु ? pic.twitter.com/G92E0Udaod
इस्लामी पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी के इन दोनों ट्वीटों का तथ्यों से कोई लेना-देना नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ एक मजहबी भीड़ के उन्माद का बचाव करना है और अपनी कुंठा निकालना है। वो अपने ट्वीट में ये तो बता रही हैं कि पुलिस ने गोली चलाई, लेकिन ये नहीं बता रहीं कि कैसे भीड़ ने छतों से पत्थरबाजी की और पुलिस पर हमले किए।
देख सकते हैं कि एक तरफ वो ट्वीट में वो ये बता रही हैं मुस्लिमों ने अपनी मस्जिद कुर्बान की, जबकि हकीकत यह है कि अयोध्या रामजन्मभूमि को हिंदुओं ने 30 साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद जीता, किसी मुस्लिम ने उस भूमि को देश में अमन-चैन की खातिर हिंदुओं को नहीं दिया। उस भूमि के लिए कारसेवकों ने अपना बलिदान दिया, अपना खून बहाया, तब जाकर उन्हें वापस उसी स्थान पर अपना मंदिर मिल पाया।
If they search for a shivling under every mosque then there won’t be any peace in our country and society. https://t.co/cycWDz8zLq
— shahid siddiqui (@shahid_siddiqui) November 24, 2024
गौरतलब है कि संभल मामले में सिर्फ इस्लामी पत्रकार ही नहीं बल्कि इस्लामी नेता भी हिंसा का आरोप हिंदुओं पर मढ़ने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ये कहा है कि अगर ये लोग हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग खोजेंगे तो देश और समाज में कोई शांति नहीं रह जाएगी। शायद ऐसे पत्रकार और नेताओं के मुताबिक हिंदुओं को आज के समय में अपने कानूनी अधिकारों का प्रयोग करके भी अपने धर्म और धर्मस्थलों के लिए बात नहीं करनी चाहिए और न ही ये बताना चाहिए कि कैसे इस्लामी बर्बरता के चलते हजारों मंदिर ध्वस्त किए गए, उनके मलबे पर मस्जिद खड़े किए गए। इन्हें डर है कि अगर ऐसा होता रहा तो सिर्फ मस्जिदों की दीवारों से हिंदू मंदिर के प्रतीक ही नहीं निकलेंगे बल्कि ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की हकीकत भी सामने आ जाएगी।