Sunday, November 17, 2024
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तो इमरान ‘तालिबान’ टेरेसा को POP (Pak Occupied Patrakar) कब देंगे नोबल शांति पुरस्कार?

संवेदनशील मुद्दों को अपने पक्ष में भुनाने के लिए ये गिद्ध कुछ भी कर सकते हैं। इमरान ख़ान इनके लिए आज की नई मदर टेरेसा है। ऐसा न हो कि भविष्य में ये इमरान ख़ान की मूर्तियाँ लगा कर नमाज़ शुरू कर दें। हाइब्रिड लोग, हाइब्रिड नमन।

शांति- यह एक ऐसा शब्द है जो भारत का पर्यायवाची रहा है। ऐसे भी दौर (इस्लामिक और अंग्रेजी शासन) आए, जब भारत के कई क्षेत्रों में अशांति थी लेकिन ऐसे हालातों में भी हमारे देश ने दुनिया को शांति का ही पाठ पढ़ाया। लिबरल गिरोह Pluralism (बहुवाद) और Tolerance (सहिष्णुता) की वकालत करते नहीं थकते। उन्होंने Jingoism (अति-राष्ट्रवाद) और Intolerance (असहिष्णुता) जैसे भारी-भरकम शब्दों का प्रयोग कर आज के भारत को ऐसे रूप में पेश करने का प्रयास किया है, जो भारत की असल छवि से बिलकुल अलग है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत को लेकर नकारात्मक विचार छपते हैं और अधिकतर मामलों में लेखक कोई भारतीय पत्रकार ही होता है।

नायक की खोज में खलनायकों का गैंग

ये आज के पत्रकार हैं। ये लगातार नायक की खोज में रहते हैं। कभी राहुल, कभी केजरीवाल, कभी अखिलेश- इन्हे आए दिन एक नया नायक दिख जाता है, जिसे मोदी के ख़िलाफ़ खड़ा कर एक ‘Public Perception’ तैयार किया जा सके। इनकी पूरी की पूरी पत्रकारिता (कथित) ही Propaganda आधारित Narrative पर चलती है। जब इनकी दुकान बंद होने को आती है, इन्हे लालू यादव जैसे भ्रष्टाचारियों में भी नायक दिखने लगता है। इन खलनायकों को अब एक नया नायक मिल गया है। चूँकि अब इन्हे देश के अंदर कोई नायक नहीं मिल रहा, इन्होंने पाकिस्तान का रुख़ किया है।

अगर आप भारतीय लिबरल गैंग के ट्वीट्स देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि उन्हें इमरान ख़ान में एक ऐसा नायक दिख रहा है, जिसे मोदी के ख़िलाफ़ खड़ा किया जा सके। अगर इस गैंग का बस चले तो इमरान ख़ान को बनारस से मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव में उतार दें। इससे पहले कि हम इन मौसमी साँपों के मीठे ज़हर की चर्चा करें, उस से पहले पूरे घटनाक्रम को समझ कर इस अभियान के परिपेक्ष्य को समझना पड़ेगा। इसमें वही लोग शामिल हैं जो जाने-पहचाने हैं, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोवर्स लेकर इतराते हैं और आए दिन मोदी को गाली देकर जीविका निर्वहन करते हैं।

भारत द्वारा पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर बम बरसाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें उसके एक एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया गया। इस क्रम में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनन्दन को वर्तमान में पकिस्तान ने हिरासत में ले लिया। प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे उनकी नज़र में पाक की कोई औकात ही न हो। भारत ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए पाक से साफ़-साफ़ कह दिया कि पायलट को लेकर किसी भी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जाएगा। जेनेवा कन्वेंशन के पालन को लेकर सख़्त भारत की कार्रवाई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी से डरे पाकिस्तान ने भारतीय पायलट को छोड़ने का निर्णय लिया।

गिरोह विशेष के नए पोस्टर बॉय- शांतिदूत इमरान ख़ान

“मोदी के कारण विंग कमांडर अभिनन्दन पकड़े गए” से लेकर “अभिनन्दन को छुड़ाने में मोदी का कोई हाथ नहीं” तक, गिरोह विशेष ने अपना एजेंडा सही समय पर चलाया (उनके लिए सही समय वही है जब देश संकट में हो या किसी निर्णायक मोड़ पर खड़ा हो)। इमरान ख़ान की सेना ने भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले किए- गिरोह विशेष के लिए यह शान्ति स्थापित करने की दिशा में किया गया प्रयास है। माफ़ कीजिए, हम भूल गए थे कि ये इमरान ख़ान की सेना नहीं है बल्कि सेना ने इमरान ख़ान को बिठा रखा है। कभी ‘तालिबान ख़ान’ के नाम से जाने जाने वाले इमरान ख़ान को मसीहा के रूप में देखने वाले इन पत्रकारों के लिए यह सब नया नहीं है।

ओसामा बिन लादेन के ‘मानवीय पक्ष’ से लेकर आतंकियों की ‘ग़रीबी’ की चर्चा कर उन्हें बेचारा बनाने की कोशिशों तक- इनके हथकंडों का एकमात्र लक्ष्य यही रहा है कि कैसे आतंकियों व उनके पोषकों को जनता की नज़र में हीरो बनाया जा सके। एक ऐसा नेता शांति का प्रतीक है जो कभी तालिबान का अनाधिकारिक प्रवक्ता हुआ करता था। वहीं सफाईकर्मियों के पाँव धोने वाले नेता उनके लिए घृणा का प्रतीक है। बात-बात पर भारत को सैन्य ताक़तों का इस्तेमाल कर ‘जवाब’ देने की बात करने वाले नेता मसीहा है जबकि सियाचिन में हमारी रक्षा कर रहे सैनिकों के साथ दिवाली मनाने वाला नेता विलेन है। बुलेट ट्रेन, डिजिटल इंडिया और विकास की बात करने वाला नेता युद्ध भड़काता है जबकि जिससे ईरान, अफ़ग़ानिस्तान सहित सभी परेशां हैं, वह शांतिदूत हैं।

Statesmanship शब्द की माचिस जलाकर छोड़ दी इन्होंने

सैकड़ों ऐसे ट्वीट्स हैं, जिनमें पाकिस्तान के ख़ान को एक बेहतर शासक और कुशल राजनीतिज्ञ बताया जा रहा है। उनकी प्रशंसा में उन्हें क्यूट और कूल बताया जा रहा। इन्हे सबसे पहले एक कुशल शासक का अर्थ समझने की ज़रूरत है। आँख से पट्टी हटा कर देखने पर पता चलेगा कि कुशल शासक वह है जिसने बिना एक शब्द बोले पाकिस्तान को घुटनों के बल ला खड़ा किया। कुशल शासक वह है जिसने पार्टी से लेकर देश तक- किसी पर भी भारत-पाकिस्तान तनाव का गलत असर नहीं पड़ने दिया। कुशल शासक वह है जिसनें बस पिछले 4-5 दिनों में मीडिया, सरकार, पार्टी से लेकर चुनावी कार्यक्रमों तक को भी सम्बोधित किया लेकिन एयर स्ट्राइक के लिए अपनी पीठ नहीं थपथपाई।

कुशल प्रशासक वह नहीं है जिसने एयर स्ट्राइक की ख़बर के तुरंत बाद हुई बैठक में हिस्सा तक नहीं लिया। कुशल प्रशासक वह नहीं है जिसने आतंकियों के ख़िलाफ़ प्रयोग करने के लिए मिले सैन्य साजो-सामान का प्रयोग भारत के विरुद्ध किया। क्या यही शांति का नोबल पुरस्कार मिलने का क्राइटेरिया है? क्या अपने सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान को सीमा पर के देश के सैन्य ठिकानों पर हमला के लिए इस्तेमाल करना आपको गिरोह विशेष के पत्रकारों की नज़र में महान बनाए देता है? पत्रकारों और लिबरल्स का गिरोह विशेष पाकिस्तानी सरकारी मीडिया के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहा है।

वास्तविक दुनिया से जान-बूझ कर दूर रहने वाले और जनता को भी दूर रखने के प्रयास करने वाले इन पाकिस्तान परस्तों को जनता को जानना चाहिए कि विंग कमांडर अभिनन्दन की रिहाई कैसे संभव हुई। हमारे जाँबाज़ पायलट अभिनन्दन की रिहाई संभव हुई क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को विश्व पटल पर मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा है। अभिनन्दन को पाक के चंगुल से निकालने में देश क़ामयाब हुआ क्योंकि भारत ने पाक को जेनेवा कन्वेंशन के पालन की सख़्त हिदायत दी थी। अभिनन्दन आज स्वदेश लौट रहे हैं क्योंकि भारत की आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई से पाकिस्तान को डेमो मिल गया था। हमारे अभिनन्दन हमे वापस मिल गए क्योंकि पाक को पता चल गया था कि अगर उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो भारत क्या कर सकता है।

इनका बस चले तो तालिबान के पूर्व अनाधिकारिक प्रवक्ता को नोबल दे दें। ये इतने बेताब हो उठे हैं कि कल को अगर मसूद अज़हर इनके लिए अच्छी बातें कर दे तो उसे भी क्यूट, बेचारा और मसीहा साबित कर देंगे। संवेदनशील मुद्दों को अपने पक्ष में भुनाने के लिए ये गिद्ध (जैसा कि राजदीप ने ख़ुद की केटेगरी वाले पत्रकारों को बताया था) कुछ भी कर सकते हैं। इमरान ख़ान इनके लिए आज की नई मदर टेरेसा है। वैसे, मदर टेरेसा की सच्चाई बहुत लोगों को नहीं पता है। कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में ये इमरान ख़ान की मूर्तियाँ लगा कर नमाज़ शुरू कर दे। ओह सॉरी, इस्लाम में मूर्तिपूजा की अनुमति नहीं है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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