सोशल मीडिया युग में बिना फोटो/क्रिएटिव के शुभकामनाएँ अधूरी लगती हैं। आज गणेश चतुर्थी के दिन यह बात फिर से साबित हुई। राहुल गाँधी ने एक क्रिएटिव अटैच करते हुए ट्विटर पर लोगों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएँ दीं पर उस क्रिएटिव में गणेश जी नहीं दिखे। मोदक, दीया, फूल वगैरह तो थे पर गणेश जी नहीं। लोगों ने पूछा कि गणेश चतुर्थी पर बने क्रिएटिव में गणेश जी क्यों नहीं हैं? कुछ ने यह अनुमान भी लगाया कि शायद राहुल गाँधी ने जानबूझकर ऐसा किया है और क्रिएटिव में से गणेश जी को क्रॉप कर दिया। ऐसे अनुमान के पीछे कारण भी हैं।
हमारे देश की उन्नति के रास्ते का हर विघ्न दूर हो!#गणेश_चतुर्थी pic.twitter.com/4ftJNWlgIx
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 10, 2021
हाल ही में राहुल गाँधी द्वारा परालिम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले सुमित अंतील को बधाई देते हुए उन्हीं की एक फोटो का इस्तेमाल किया। राहुल गाँधी ने सुमित की जिस फोटो का इस्तेमाल किया था, उसमें उनके गले में ॐ का एक लॉकेट दिखाई दे रहा था जो राहुल गाँधी द्वारा इस्तेमाल किए गए फोटो में दिखाई नहीं दे रहा था। इसकी वजह ने सोशल मीडिया यूजर्स ने राहुल की आलोचना करते हुए यह कहा कि उन्होंने जानबूझकर उसे क्रॉप कर दिया क्योंकि उन्हें हिन्दुओं के देवी-देवताओं और उनके धार्मिक प्रतीकों से चिढ़ है।
आज भी कई ट्विटर यूजर्स की यही शिकायत थी। अधिकतर शिकायतें यह कहते हुए की गई कि राहुल गाँधी ने जानबूझकर गणेश जी को क्रिएटिव से निकाल दिया। कुछ शिकायतों का आधार यह था कि गणेश चतुर्थी पर बधाई के लिए ऐसा क्रिएटिव कौन इस्तेमाल करता है, जिसमें गणेश जी की उपस्थिति ही न हो? यह प्रश्न मुझे तर्कपूर्ण लगता है।
हिन्दू देवी-देवताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय गणेश जी ही हैं। मूर्तिकार भी सबसे अधिक उनकी ही प्रतिमाएँ और मूर्तियाँ बनाते हैं। ऐसे में गणेश चतुर्थी के दिन क्रिएटिव बनाने वाला कोई व्यक्ति उन्हें ही कैसे भूल सकता है? ऐसे में यदि कोई शंका जाहिर करे तो इस बात में आश्चर्य कैसा?
राहुल गाँधी इस समय वैष्णो देवी के दर्शन खातिर जम्मू की यात्रा पर हैं। तो क्या यह यात्रा दिखावे की है? क्या यह साबित करने के लिए है कि राहुल गाँधी हिन्दू हैं? कोई हिन्दू है, यह बात बार-बार साबित करने की आवश्यकता क्यों पड़ती है? वैसे भी जो दो दिनों की धार्मिक यात्रा पर है, वह गणेश चतुर्थी पर ऐसा क्रिएटिव इस्तेमाल करने की सोचेगा जिसमें गणेश जी न हों? हाल ही में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शुभकामना वाले ट्वीट के साथ अटैच किए गए क्रिएटिव में भी श्रीकृष्ण नहीं थे।
आप सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ। pic.twitter.com/27wc3KpWtT
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 30, 2021
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं यह राहुल गाँधी या कॉन्ग्रेस पार्टी का राजनीतिक दर्शन है कि हिंदू देवताओं या हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं करना है। यदि ऐसा है तो फिर लोगों की यह शिकायत तथ्यपूर्ण है कि वे अपने ट्वीट में जानबूझकर देवी-देवताओं या हिन्दू धार्मिक प्रतीकों को जगह नहीं देते।
यदि पिछले कुछ वर्षों की राजनीति की जाँच हो तो पता चलेगा कि एक नेता के तौर पर राहुल गाँधी और एक दल के तौर पर कॉन्ग्रेस का इस बात में पुख्ता विश्वास है कि राजनीति में सच से अधिक महत्वपूर्ण धारणाएँ होती हैं। ऐसे में यह आश्चर्य की बात है कि धारणाओं में विश्वास करने वाला नेता और उसका दल किन परिस्थितियों में देश के हिंदुओं के मन में पनपने वाली धारणाओं को नहीं समझ रहे?
अगले वर्ष कई राज्यों में चुनाव होने हैं। हिंदू वोट लेने की कवायद में कॉन्ग्रेस पार्टी असम में अपने मित्र बदरुद्दीन अज़मल से किनारा कर चुकी है पर उसके नेता हिंदुओं के साथ अपने संवाद में हिंदुओं के देवी-देवताओं और धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल करने से क्यों बचते हैं? यह ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर राहुल गाँधी ही दे सकते हैं।