Tuesday, November 5, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देहिंदुओं का आरक्षण खा रहे 'क्रिप्टो क्रिश्चियन', भारत माता को बीमारी बताता पादरी: क्या...

हिंदुओं का आरक्षण खा रहे ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन’, भारत माता को बीमारी बताता पादरी: क्या कन्याकुमारी में मिशनरी साजिशों के खिलाफ भारत को जोड़ेगे राहुल गाँधी

आज का भारत यह जानता है कि उसे जुड़ने की जरूरत केवल इस्लामी कट्टरपंथ और ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण अभियानों के खिलाफ ही है। क्या राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस इस सत्य से साक्षात्कार को तैयार हैं?

कन्याकुमारी भारत के दक्षिणतम छोर पर स्थित है। यहीं से 7 सितंबर 2022 को राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) अपनी भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) शुरू कर रहे हैं। कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के करीब दो दशक पुराने राजनीतिक जीवन का यह एक बड़ा चैप्टर है। वे राजनीतिक तौर पर श्रम नहीं करने के लिए कुख्यात हैं। ऐन मौकों पर पार्टी को बेसहारा छोड़ विदेश निकल लेने के लिए चर्चा में रहते हैं। कॉन्ग्रेस को उसके सबसे बुरे दौर में लाकर खड़ा कर देने के जिम्मेदार हैं।

इस तरह की भारी-भरकम उपलब्धियों वाला शख्स जब 150 दिन लंबी राजनीतिक प्लानिंग करे तो उसकी प्रशंसा उदार मन से होनी चाहिए। वैसे भी वाजपेयी कहकर गए हैं- कोई छोटे मन से बड़ा नहीं होता। करीब 3500 किलोमीटर की इस यात्रा में राहुल गाँधी कथित आर्थिक असमानता, सामाजिक भेदभाव और सत्ता के केंद्रीकरण से लड़ेंगे।

2024 के आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने खुद को खड़ा करने के प्रयासों के तहत प्रायोजित इस यात्रा का नाम ‘भारत जोड़ो’ रखना किसी भी तरह से तार्किक नहीं लगता है। ऐसा लगता है कि अपनी राजनीति को चमकाने के लिए कॉन्ग्रेस ने भारत को जानबूझकर घसीटा है, क्योंकि देश के अस्तित्व के सामने ऐसा कोई खतरा नहीं दिखता कि उसे जोड़ने की बात की जाए। बावजूद इसके राहुल गाँधी कन्याकुमारी से नई लकीर खींच सकते हैं। वे उन ताकतों पर वार कर सकते हैं जो भारत को बाँटने की साजिशों में जुटे हैं। मसलन, ईसाई मिशनरी।

जिस कन्याकुमारी में ब्रह्मा-विष्णु-महेश लिंग स्वरूप में मौजूद हैं और जहाँ के मंदिर के स्तंभों से भी संगीत की ध्वनि निकलती है, वहाँ हिंदुओं का हक ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन  (Crypto Christian)’ खा रहे हैं। यह खुद मद्रास हाई कोर्ट ने माना है। इसी साल जनवरी में एक पादरी को राहत देने से इनकार करते हुए हाई कोर्ट ने कन्याकुमारी के जनसांख्यिकी बदलाव की तरफ ध्यान खींचा था।

हाई कोर्ट ने कहा था, “धार्मिक तौर पर कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव देखा गया है। 1980 के बाद से जिले में हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे। हालाँकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48.5 फीसदी आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। पर यह जमीनी हकीकत से अलग हो सकती है। इस पर गौर किया जाना चाहिए कि बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ पाने के लिए खुद को हिंदू बताते रहते हैं।”

जिस पादरी के मामले को लेकर हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की थी, अब उसकी भी करतूत जान लीजिए। उसने ‘भारत माता’ को ‘बीमारी’ बताया था। हाई कोर्ट ने भी कहा था कि पादरी का मकसद हिंदुओं को नीचा दिखाना था। कन्याकुमारी में हिंदुओं को लक्षित कर गतिविधियाँ सामान्य है। यहाँ के सरकारी स्कूल में भी यीशु की प्रार्थना के लिए बच्चों को मजबूर किया जाता है। इसी प्रताड़ना से तंग आकर एक हिंदू छात्रा ने इसी साल अप्रैल में अपने ही शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक छात्रा से कहा जाता था कि ‘भगवदगीता बुरी है। बाइबल में अच्छी चीजें हैं। इसलिए हमें बाइबल पढ़नी चाहिए।’ ये हालिया मामले हैं। कन्याकुमारी की हालत यह है कि ईसाइयों ने उस शिला पर स्मारक बनाने का भी विरोध किया था, जिस पर स्वामी विवेकानंद ने चिंतन किया था।

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गाँधी कन्याकुमारी से हिंदुओं पर हो रहे इस आक्रमण के खिलाफ कुछ बोलने की भी हिम्मत जुटा पाएँगे? वैसे इसकी उम्मीद कम दिखती है क्योंकि कॉन्ग्रेस की पहचान ही इस्लामी कट्टरपंथियों का तुष्टिकरण और ईसाई मिशनरियों को पोषित करने वाले की रही है। ये उस इकोसिस्टम के महत्वपूर्ण अंग हैं, जिनके कारण कॉन्ग्रेस इतने सालों तक देश की सत्ता पर काबिज रही और आज भी भारत विरोधी वैश्विक दुष्प्रचार में उसके काम आते हैं।

लेकिन राहुल गाँधी को यह समझना होगा कि ईसाई मिशनरियों की साजिशों के खिलाफ लड़ाई में भारत को जोड़ने की बात कहे बिना वे 2024 के पहले परिद्श्य में नहीं उभर सकते। क्योंकि आज का भारत यह जानता है कि उसे जुड़ने की जरूरत केवल इस्लामी कट्टरपंथ और ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण अभियानों के खिलाफ ही है। क्या राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस इस सत्य से साक्षात्कार को तैयार हैं?

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अजीत झा
अजीत झा
देसिल बयना सब जन मिट्ठा

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ऑपइंडिया के डोजियर के बाद Wikipedia को भारत सरकार का नोटिस, ‘राजनीतिक पूर्वाग्रह’ से ग्रसित बताया: हाई कोर्ट ने खुद को ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहने पर...

ऑपइंडिया द्वारा विकिपीडिया के भारत विरोधी रुख पर विस्तृत डोजियर जारी करने के कुछ दिनों बाद भारत सरकार ने उसे नोटिस जारी किया है।

आगरा के जिस पार्क से ताजमहल को निहारते थे सैलानी, उसकी 6 बीघा जमीन एक किसान ने ट्रैक्टर से जोत दी; बाड़ लगा प्रवेश...

आगरा के जिस 11 सीढ़ी पार्क से सैलानी सूर्यास्त के समय ताजमहल को निहारते थे, उसके एक बड़े हिस्से को किसान मुन्ना लाल ने ट्रैक्टर से जोत दिया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -