लोकसभा चुनाव हाल ही में संपन्न हुए हैं। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की सरकार को दूसरी बार केंद्र में रखकर जनता ने स्पष्ट जनादेश दिया है। और यह स्पष्ट जनादेश भाजपा को मिला है राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दे पर। अब जब सरकार बन गई है, नेताओं के मंत्रालयों का फैसला कर लिया गया है, तो ऐसे में नए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लिए आगे का कार्य बहुत स्पष्ट है।
सेना के साथ-साथ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का कार्य रक्षा मंत्री की प्राथमिकता होनी चाहिए। मेरी समझ से नीचे के 7 पॉइंट राजनाथ सिंह के एजेंडे में यह सबसे ऊपर होने चाहिए।
1. भारतीय नौसेना के लिए 111 हेलिकॉप्टरों का अनुबंध। इस अनुबंध को ‘रणनीतिक साझेदारी’ मॉडल के तहत जमीन पर उतारा जाएगा। इस अनुबंध के लिए पहले से ही भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच EoI जारी किया जा चुका है। अब अगला क़दम RFP जारी करना है। चूँकि नए मंत्री ने कार्यभार संभाला है, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए कैसे तेजी लाई जाए।
2. लड़ाकू जेट की घटती संख्या पर तत्काल निर्णय लेना आवश्यक है। वर्तमान में, भारतीय वायु सेना के एक स्क्वॉड्रन में 30-31 लड़ाकू विमान हैं, जबकि आदर्श स्थिति में यह 42 होने चाहिए। पिछली सरकार द्वारा किए गए 36 राफ़ेल विमानों का सौदा भी अस्थायी रूप से ही इस समस्या को दूर कर सकता है। इसलिए इस पर तत्काल निर्णय की आवश्यकता है।
देश को 114 और फाइटर जेट्स ख़रीदने की तत्काल आवश्यकता है, जिसकी प्रक्रिया भी अभी शुरू नहीं की गई है। ऐसे में, राफ़ेल की ख़रीदारी करना ही एक समझदारी वाला क़दम होगा, लेकिन हाल ही में संपन्न हुए चुनावों को देखते हुए, जहाँ राफ़ेल सौदे को कई बार उछाला गया और केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया गया, उससे मुझे शक़ है कि अब शायद ही राजनाथ सिंह उस रास्ते का रुख़ करें। यहाँ फिर से, सरकार ‘एसपी’ मॉडल मतलब रणनीतिक साझेदारी मॉडल का रास्ता अपनाएगी और इतनी बड़ी खरीद के लिए हमारे रक्षा मंत्री को निश्चित तौर पर तेजी दिखानी होगी।
3. हाल ही में, समाप्त हुए एयरो इंडिया 2019 में, भारत के AMCA कार्यक्रम के लिए एक टाइमलाइन दी गई थी। AMCA की सफलता कावेरी इंजन (स्वदेशी) पर निर्भर करती है। दुर्भाग्य से, ऐसा लगता है कि कावेरी इंजन अपनी मौत मर रही है और किसी को भी इसकी परवाह नहीं है। हमारे नए रक्षा मंत्री को इस मामले को अपने हाथ में लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि कावेरी इंजन को उचित स्थान मिले और वो वायु सेना के काम आ सके।
4. हिंद महासागर में श्रेष्ठता बनाए रखने और चीन से ख़तरे का मुक़ाबला करने के लिए, भारत को एक मज़बूत नौसेना की आवश्यकता है। और इसके लिए एयरक्राफ्ट कैरियर इन उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान में, भारतीय नौसेना के पास केवल एक ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर है और एक निर्माणाधीन है। एक तीसरा विमान वाहक, INS विशाल, बजट के जाल में फँसा हुआ है। एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ पर आधारित 65,000 टन का यह INS विशाल, भारतीय नौसेना को मज़बूती प्रदान करेगी। हमारे नए रक्षा मंत्री को इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए नए तरीक़े खोजने पड़ेंगे।
5. भारतीय नौसेना को तत्काल सी किंग यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों के अपने बेड़े में शामिल करने की जरूरत है। DAC ने पिछले साल 24 एमएच-60आर की खरीद की मंजरी दे दी थी लेकिन अमेरिकी सरकार ने अपनी तरफ से LoA हाल-फिलहाल ही भेजा है। अब दोनों देशों की सरकारों को अंतिम अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की ज़रूरत है। हमारे नए रक्षा मंत्री को ऐसे में यह देखना होगा कि डील फाइनल होने में देरी न हो। यह डील काफी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये डील 123 अतिरिक्त मीडियम मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों की खरीद का रास्ता खोलेगी।
6. युद्ध या युद्ध जैसी स्थिति में, ISR और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद इस व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया गया। चिंताजनक बात यह है कि हमारे पास AWACS की संख्या पाकिस्तान की अपेक्षा कम है। चीजें अभी पाइपलाइन में हैं, लेकिन इसमें तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत है और रक्षा मंत्री अगर हस्तक्षेप करते हैं तो अधिग्रहण में तेजी आएगी।
7. मित्र देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात करना रक्षा मंत्रालय की प्राथमिकताओं में से एक है। साल 2025 तक सालाना ₹35,000 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो कि वर्तमान समय में ₹4000 करोड़ है। हालाँकि, यह एक बेहद ही मुश्किल लक्ष्य है, लेकिन अगर इसे संगठित और अनुकूल तरीके से पूरा करने का प्रयास किया जाए, तो इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इस लक्ष्य को पूरा करने में मित्र देशों को LCA तेजस की बिक्री से मदद मिल सकती है। मलेशिया इस फाइटर जेट को खरीदने की फ़िराक में है और उसे बस आखिरी स्वरूप देने की आवश्यकता है। जहाँ एक तरफ़ एचएएल लागत को नीचे लाने की कोशिश कर रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ़ राजनाथ सिंह को मलेशिया का दौरा करना चाहिए और इस सौदे पर हस्ताक्षर करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
दिवंगत मनोहर पर्रिकर ने रक्षा मंत्री के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी है। उनके कार्यकाल के दौरान एस-400 की खरीद उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पास ऐसे कई अवसर आएँगे और मेरे ख्याल से उनको इन अवसरों को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस बार देश की जनता ने देश को सुरक्षित बनाने के लिए भाजपा को वोट दिया है। जाहिर सी बात है कि इस मंत्रालय के प्रदर्शन पर लोगों की खास नजर रहेगी, इस विभाग के काम को बारीकी से देखा जाएगा।