Monday, November 18, 2024
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गो तस्कर के परिजनों को ₹20 लाख-सरकारी नौकरी, गौ रक्षकों को फँसाने और टॉर्चर करने के आरोप: क्या जुनैद-नासिर केस में ‘तुष्टिकरण’ देख रही कॉन्ग्रेस

मृतकों के परिवारों को 15-15 लाख रुपए और आश्रितों को नौकरी का ऐलान किया गया। इतना ही नहीं, मंत्री की तरफ से 5-5 लाख रुपए अलग से दिए गए। साथ ही पंचायत ने भी 51-51 हजार रुपए देने का ऐलान किया। यानी, 20.51 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और साथ में सरकारी नौकरी।

राजस्थान आपराधिक घटनाओं के कारण पहले से ही कुख्यात रहा है, तमाम आँकड़े इस बात की तसदीक करते हैं। हिन्दू समाज हमेशा से गाय को माता मानता रहा है और गोरक्षा को अपना धर्म समझता रहा है। हम इसकी बात इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि एक ताज़ा घटना के कारण फिर से राजस्थान पुलिस के दामन पर दाग लगे हैं। ये घटना जुड़ी है हरियाणा के भिवानी में हुई दो मौतों से और गोरक्षक मोनू मानेसर से इसके कनेक्शन से।

सबसे पहले आपको घटना के बारे में बता देते हैं। हुआ कुछ यूँ कि जुनैद और नासिर की जल कर मौत हो गई। इस मामले में मोनू मानेसर को मुख्य आरोपित बनाया गया। जुनैद पर गोहत्या के पहले से ही कई मामले दर्ज हैं और यही उसका पेशा भी था। हालाँकि, मोनू का कहना है कि वो बेगुनाह हैं और घटना के समय वो कहीं और थे। मोनू हमेशा से कहते रहे हैं कि वो गौतस्करों के निशाने पर हैं और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है।

अब इस मामले में ‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ भी कूद गई है और CBI जाँच की माँग की है। इस मामले ने और तूल तब पकड़ लिया, जब इस मामले के एक अन्य आरोपित श्रीकांत कौशिक के परिवार ने आरोप लगाया कि राजस्थान पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की और इस घटना में श्रीकांत की पत्नी का गर्भ भी गिर गया। सोचिए, ये कितना बड़ा आरोप है। हालाँकि, जहाँ हरियाणा पुलिस एडिशनल एसपी से इस मामले की जाँच करा रही है, राजस्थान पुलिस ने आरोपों को नकार दिया है।

राजस्थान पुलिस हरियाणा में जाकर उन दो मौतों के मामले में दबिश दे रही है। बर्बरता के मामले में हरियाणा के नगीना थाने में राजस्थान पुलिस के कर्मचारियों के खिलाफ केस भी दर्ज कराया गया है। हालाँकि, भरतपुर की पुलिस इन आरोपों को भले ही नकार रही हो लेकिन उसने अब तक अपने पक्ष में कोई तथ्य नहीं दिया है। इसके नाम पर उनके पास सिर्फ बयान हैं। पुलिसिया बर्बरता हमारे देश में कोई नई चीज नहीं है, इसीलिए ऐसा भी नहीं है कि राजस्थान पुलिस के कह देने से उस पर विश्वास हो जाए।

ऑपइंडिया से बात करते हुए श्रीकांत के चाचा प्रवीण कुमार ने कहा कि मारपीट से राजस्थान पुलिस का इनकार करना सरासर झूठ है। उन्होंने कहा कि पुलिस दबिश के दौरान उनकी बहू को चोटें आईं और वह गिर कर तड़पने लगी थी। प्रवीण ने राजस्थान पुलिस के रवैये को अमानवीय बताया है। श्रीकांत के चाचा का कहना है कि पुलिस टॉर्चर से पुरुष सदस्य घर में नहीं थे। इसके कारण श्रीकांत की पत्नी को चोट लगने के बाद समय से अस्पताल ले जाने वाला कोई नहीं था।

किसी के घर में तड़के सुबह 3 बजे जा कर दबिश देने कहाँ तक उचित है, वो भी तब जब सामने वाला कोई पेशेवर अपराधी या आतंकी नहीं है? श्रीकांत के चचेरे भाई विष्णु कौशिक ने ऑपइंडिया को बताया कि लगभग 40 घंटे तक उन्हें गोपालगढ़ के पहाड़ी थाने में रखा गया। इस दौरान उन्हें थप्पड़ मारे गए। 2 सादे कागजों पर दस्तखत करवाए गए। विष्णु का भी कहना है कि राजस्थान पुलिस ने उनके सामने श्रीकांत की पत्नी से मारपीट की थी।

मोनू मानेसर अपनी तरफ से तथ्य दे रहे हैं कि घटना के वक्त वो गुरुग्राम के एक होटल में थे। होटल के सीसीटीवी फुटेज में भी इसका सबूत मौजूद होने की बात कही जा रही है। VHP इस मामले में अनावश्यक रूप से ‘बजरंग दल’ का नाम घसीटे जाने का आरोप लगा रही है। कौन नहीं जानता है कि मेवात (नूँह) गौ-तस्करी और मुस्लिमों के अपराधों के लिए कुख्यात है। ये वही जगह है, जहाँ पिछले साल के मध्य में एक डीएसपी की हत्या कर दी गई थी।

डीएसपी के हत्यारों को पकड़ने गई पुलिस के साथ भी अपराधियों की मुठभेड़ हुई। ऐसे में मोनू मानेसर इस कुख्यात क्षेत्र में गौहत्या के खिलाफ काम कर रहे हैं और हिन्दू युवाओं को अपने साथ जोड़ कर गोरक्षा में योगदान दे रहे हैं। कई गौहत्यारे उनके कारण जेल में हैं, ऐसे में किसी साजिश की आशंका को बल तो मिलता ही है। गौ-तस्करों का नेटवर्क बड़ा है और प्रभावशाली भी। इसी साल मोनू मानेसर को घेर कर उनकी हत्या की कोशिश हुई थी

VHP ने भी कहा है कि श्रीकांत के परिवार को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया है। इनामी अपराधियों के परिवारों को जिस तरह से राजस्थान के मंत्री चेक सौंप रहे हैं, उससे भी हिन्दू संगठन नाराज़ हैं। अगर अन्याय हुआ तो VHP सड़कों पर उतरेगी, संगठन के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इसका ऐलान कर दिया है। ऐसे में फ़िलहाल यही सही होगा कि राजस्थान या हरियाणा की सरकार इस मामले में CBI जाँच की अनुशंसा करे और निष्पक्ष तरीके से इन्वेस्टीगेशन होने दे।

अब आते हैं राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार पर, जो मुस्लिम तुष्टिकरण की हदों को पार करती हुई दिख रही है। वहाँ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार है। राजस्थान पुलिस भी सरकार की प्रवक्ता के रूप में काम करते हुए ये दावा कर रही है कि जुनैद और नासिर की हत्या गोरक्षकों ने की है। रिंकू सैनी द्वारा कबूलनामे की बात कही जा रही है, लेकिन श्रीकांत के साथ हुए व्यवहार को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि ये कबूलनामा कैसे लिया गया होगा।

रिंकू सैनी टैक्सी चला कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। साथ में गोरक्षकों के दल से भी जुड़े हुए हैं। राजस्थान की प्रभावशाली कॉन्ग्रेसी-मुस्लिम लॉबी खासी सक्रिय है। वहाँ की शिक्षा मंत्री जाहिदा खान ने आनन-फानन में एक प्रतिनिधिमंडल बना कर सीएम से मुलाकात की और गोरक्षकों की गिरफ़्तारी के लिए दबाव बनाया। ऐसे मामलों में हैदराबाद के सांसद और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियाँ अपनी-अपनी रोटियाँ सेंकने में लगी हुई हैं। ओवैसी की पार्टी ने यहाँ की 40 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है। ऐसे में उन्होंने प्रचार अभियान की शुरुआत जुनैद-नासिर को ‘शहीद’ बता कर की। घाटमीका गाँव में जाहिदा खान की मौजूदगी में एक पंचायत भी बुलाई गई। मृतकों के परिवारों को 15-15 लाख रुपए और आश्रितों को नौकरी का ऐलान किया गया। इतना ही नहीं, मंत्री की तरफ से 5-5 लाख रुपए अलग से दिए गए।

साथ ही पंचायत ने भी 51-51 हजार रुपए देने का ऐलान किया। यानी, 20.51 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और साथ में सरकारी नौकरी – गौहत्या में लिप्त लोगों के परिवारों की इस तरह से राजस्थान सरकार सेवा कर रही है। ‘बजरंग दल’ के कार्यकर्ताओं को इस पंचायत में वसूली करने वाल बताया गया। कॉन्ग्रेस और AIMIM मुस्लिमों के वोटों के लिए इस कदर गिर गई है कि गौ-हत्यारों को संरक्षण मिल रहा है और गौरक्षकों को टॉर्चर।

VHP प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस मामले पर कहा, “राजस्थान पुलिस की जाँच पर हमें विश्वास नहीं है। वहाँ की सरकार पर भी हमें भरोसा नहीं है। ये लोग राजस्थानी परंपरा को कलंकित करने में लगे हुए हैं। जाँच से पहले ही हमारे संगठन को कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है। जाँच को जानबूझकर एक ही दिशा में ले जाया जा रहा है। पहले ही मुआवजे की घोषणा कर दी गई, यानी राजस्थान सरकार ने घोषित कर दिया कि ये निर्दोष हैं।”

राजस्थान के एक SHO का स्टिंग भी वायरल हुआ है, जिसमें वो कहते दिख रहे हैं कि मोनू मानेसर का इस पूरे घटनाक्रम में नाम ही नहीं है, यानी उन्हें सिर्फ घसीटा जा रहा है। राजस्थान पुलिस ने जिस तरह से पत्रकार अमन चोपड़ा को प्रताड़ित किया था, उससे उसकी पोल खुल गई थी। गौ-हत्यारों के सामने राजस्थान सरकार नतमस्तक है, लेकिन इन्होंने आत्मदाह करने वाले जयपुर के पुजारी गिरिराज सिंह की मौत के बाद उन्हें क्या दिया था?

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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