कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी जिस समय कैंब्रिज के दौरे पर हैं, उसी समय भारत में वेब सीरिज ‘पंचायत’ का दूसरा सीजन चर्चा में है। इस सीरिज के एक दृश्य में फुलेरा ग्राम निवासी विनोद खुले में हगने की जिद करता दिखाया गया है। पंचायत का यह दृश्य इस देश के कॉन्ग्रेसियों, वामपंथियों, लिबरलों और सेकुलरों पर पूरी तरह फिट बैठता है। मौका, दस्तूर, मंच कुछ भी हो उन्हें खुले में हगना ही है।
अब राहुल गाँधी को ही ले लीजिए। 23 मई 2022 को एक वैचारिक उल्टी में उन्होंने कहा कि भारत एक राष्ट्र नहीं है। उन्होंने वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द प्रिंट’ की स्तंभकार श्रुति कपिला के साथ चर्चा में कहा कि भारत यूरोपीय यूनियन की तरह राज्यों का संघ है न कि ब्रिटेन जैसा राष्ट्र। इस बीच उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें एक सवाल पर वे ऐसे निरुत्तर हुए नजर आए और अब इसी पर उनका मजाक बन रहा है।
पहले राहुल गाँधी के वैचारिक दस्त पर बात करते हैं और समझते हैं कि कैसे कॉन्ग्रेस नेता ने ‘इंडिया एट 75’ नामक सम्मेलन में उपस्थिति दर्ज करवाकर अपनी उस स्तर पर थू-थू करवा ली है, जितनी शायद वो राजनीतिक रैलियों में मीम कंटेंट बनकर नहीं करवा पाते। सूट-बूट में डैडीज बॉय की छवि लेकर जब वो कार्यक्रम में शामिल हुए तो उन्हें देखकर ही पता चल गया था कि भीतर में कन्फ्यूज आत्मा और बाहर से खुद को बुद्धिजीवी दिखाने की जिद कुछ ही मिनट में उनकी छीछालेदर करवाने वाली है। थोड़ी देर बाद हुआ भी कुछ ऐसा ही।
संविधान की एक लाइन रटकर कार्यक्रम में पहुँचे राहुल गाँधी
राहुल ने वहाँ बोलना शुरू किया और दूसरी तरफ उनकी वीडियो देखते ही सोशल मीडिया पर उनकी निंदा शुरू हो गई। ऐसा होता भी क्यों न। राहुल गाँधी कैंब्रिज में बैठकर विदेशियों को समझा रहे थे कि भारत राज्यों का एक संघ है न कि एक राष्ट्र और इसी के तहत राज्यों के बीच बातचीत चल रही है। अपनी ‘बौद्धिकता’ का प्रमाण देते हुए राहुल ने कार्यक्रम में बता भी दिया कि कॉन्ग्रेस पार्टी भारत को एक राष्ट्र के तौर पर नहीं बल्कि राज्यों के संघ के दौर पर देखती हैं और इसीलिए जो आरएसएस भारत को एक राष्ट्र मानता है उनके मुताबिक वो उनसे बहुत अलग है।
अब अखंड भारत को खंड-खंड करने वाले इस बयान को सही साबित करने के लिए संविधान को कोट किया और बताया कि भारत को राज्यों का संघ बताने वाली परिभाषा उन्होंने ने नहीं दी, ये तो संविधान कहता है। हालाँकि इस दौरान राहुल स्कूल में पढ़ाए गए उस बेसिक ज्ञान को भूल जाते हैं जहाँ समझाया जाता था कि रटने से ज्यादा चीजों संदर्भ सहित समझना जरूरी है।
उन्होंने विदेशियों के सामने लीडिंग नेता की तरह भारत की अवधारणा को समझा दिया। बस ये नहीं बता पाए कि जिस संविधान का उल्लेख वह कर रहे हैं उसी में ये बात भी लिखी है कि भारत एक संघ जरूर है लेकिन यह राज्यों के बीच हुए किसी समझौते का परिणाम बिलकुल भी नहीं है। पुष्टि के लिए नीचे संविधान में उल्लेखित अनुच्छेद 1 की परिभाषा पढ़ी जा सकती है और समझा जा सकता है कि राज्यों को संघ से अलग होने का अधिकार नहीं है। ये ऐसी है यूनियन है जो तितर-बितर नहीं हो सकती।
राहुल गाँधी कार्यक्रम में भारत के राज्यों को अलग-अलग दिखाने की इतनी कोशिश करते हैं कि जब उनसे डॉ श्रुति भारत को अन्य देशों से अलग बताते हुए उदाहरण देती हैं कि वहाँ दो पार्टी वाला सिद्धांत है लेकिन भारत में ऐसा नहीं है तो विदेशी सिद्धांतों के मुरीद राहुल दोबारा से कहते हैं भारत को एक राष्ट्र की तरह नहीं, राज्यों की संघ की तरह देंखें और पाएँ कि हर जगह दो दो पार्टियाँ ही हैं। चाहे वो तमिलनाडु हो या उत्तर प्रदेश। हद्द तब हो जाती है जब राहुल गाँधी भारत को भारत की तरह न देखने की सलाह देते हैं और कहते हैं भारत-भारत होने से ज्यादा यूरोप जैसा है इसलिए उसे वैसे ही देखा जाना चाहिए।
चीन के प्रवक्ता बने कॉन्ग्रेस नेता
यूनियन ऑफ स्टेट के सवाल पर पर जी भर के उल-जुलूल बातें उगलने के बाद राहुल गाँधी चीन के प्रति अपने प्रेम को जाहिर करने से भी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में नहीं चूँकते और वहाँ पर चीन की घुसपैठ का बचाव करते हैं। वह पड़ोसी देशों से भारत के संबंध वाले सवाल पर जब जवाब देते हैं तो किसी चीनी प्रवक्ता से कम उनकी छवि नहीं दिखती। राहुल जहाँ भारत को लेकर कहते हैं यहाँ की लोकतांत्रिक व्यवस्था चरमरा गई है और लोकतंत्र संस्थाएँ कमजोर हो गई है। वहीं चीन की तारीफ समझाते हुए कहते हैं, “बीते 100 सालों में दुनिया के सामने एक ही विजन था वो था मैरीटाइम विजन यानी समुद्री विस्तार का विजन है। इससे पहले लैंड पर आधारित विजन था। लेकिन अब पहली बार दुनिया के सामने दो विजन हैं- एक है चीन का टैरेस्टियल विजन और दूसरा है अमेरिका का मैरीटाइम विजन (जिसका भारत भी हिस्सा है)।”
राहुल गाँधी कहते हैं कि अभी चीन का बेल्ट एंड रोड सिस्टम दुनिया को एक टेरेस्टियल ट्रेडिंग सिस्टम में बदलने की मुहिम है और जैसे-जैसे चीन इसका विस्तार कर रही है वो अन्य देशों के साथ समृद्ध होने के आइडिया को शेयर कर रही है। राहुल चीन के विजन के इतने कायल दिखते हैं कि उन्हें अमेरिका और भारत दिशाहीन नजर आने लगते हैं। वो चीन की ओर से उसकी नीति का बखान करते हैं और बताते हैं चीन को हकीकत में दूसरे देशों से ये कहता है- “हम (चीन) आपको इंफ्रास्टक्चर दे रहे हैं, 5g दे रहे हैं, आगे बढ़ने के लिए देश को बेहतर बनाने के लिए पैसे दे रहे हैं।’
अब ज्ञात रहे कि राहुल गाँधी जिस योजना की इतनी तारीफ करके कैंब्रिज में गर्व से घूम रहे हैं वो वही योजना है जिससे अब तक चीन ने पाकिस्तान को अपनी अधीन बनाया और श्रीलंका को कर्ज में डुबोकर उसे शून्य होने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा कई छोटे-छोटे देशों की संपत्ति पर वो पहले ही कब्जे कर चुका है। सब इसी योजना के बदौलत। मगर, राहुल की शिकायत है कि जैसा ऑफर चीन दे रहा है वैसा पश्चिमी देश नहीं दे रहे, बस कहते हैं चीन को रोको। राहुल गाँधी आगे अपनी बात रखते हुए चीन से सुलह न करने पर भी पीएम मोदी के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हैं। उनके अनुसार देश में कई लोग विदेशी मामलों के जानकार हैं जो इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं लेकिन पीएम सुनें तभी तो…। आगे चीन के महिमामंडन में राहुल इतना खो जाते हैं कि भारत और चीन के बीच तनाव को वह रूस-यूक्रेन युद्ध से जोड़ देते हैं।
हिंसा-अहिंसा पर ब्लैंक
इस इंटरव्यू में हर मुद्दे पर विशेषज्ञ बनने के दौरान एक समय ऐसा भी आता है जब राहुल अपनी दुनिया में खो जाते हैं और उनसे सवाल हुआ है इसका ध्यान लंबी चुप्पी के बाद देते हैं। इंटरव्यू का ये स्लॉट इतना हास्यासपद है कि लोग राहुल की खिल्ली उड़ा रहे हैं और सलाह दे रहे हैं कि वो प्रेस से बात करने से पहले ट्यूशन लिया करें। दरअसल इंटरव्यू में श्रुति उनसे हिंसा और अहिंसा को लेकर उनके दृष्णिकोण पर सवाल करती हैं लेकिन वो अचानक मंच पर बैठे-बैठे चुप होकर इधर-उधर देखते जाते हैं और रुक-रुक कर जवाब देना शुरू करते हैं। ये क्षण ऐसा भी नहीं होता कि ये सोचकर तसल्ली की जाए कि राहुल गाँधी विदेशी मंच पर बोलने से अंदर चिंतन-मनन कर रहे थे क्योंकि इसके बाद भी वो सटीक जवाब देने की जगह बातों को घुमाते रहते हैं। पहले महान दिखाने के लिए ये कह देते हैं कि क्षमा करने को वो सही मानते हैं फिर कहते हैं लेकिन सटीक तरीका भी नहीं है।
Please do a scripted conversation with a journalist for max impact… pic.twitter.com/M1WOKrKX4M
— Amit Malviya (@amitmalviya) May 24, 2022
…और इस तरह राहुल गाँधी लगभग 38 मिनट के इंटरव्यू में हर मामले पर टुकड़ों में इकट्ठा ज्ञान राहुल गाँधी कैंब्रिज में देकर आते हैं और फिर अलग अलग पोज में फोटो खिंचा कर उन्हें सीरियस नेता दिखाने का काम कॉन्ग्रेस के हर छोटे-बड़े कार्यकर्ता द्वारा किया जाता है।
अब आखिर में फिर से पंचायत पर लौटते हैं। फुलेरा एक ओडीएफ घोषित गाँव है। विनोद के घर का शौचालय एक मानवीय भूल की वजह से तैयार नहीं हो पाया है। उसे पूरा होने में करीब एक सप्ताह लगेगा। उसके पास शौच के लिए उप प्रधान के घर के शौचालय में जाने का विकल्प भी है। लेकिन, वह बनराकस के उकसावे में खुले में हगने का विकल्प चुनता है। दुर्भाग्य से इस देश के विपक्ष में बनराकस की भरमार है। लेकिन, जब इन बनराकस की मिलीभगत से विनोद विदेश में भी खुले में हगने की जिद पकड़ लेता है तो हँसी का पात्र भारत का लोकतंत्र भी बनता है। सो, भारत के लोकतंत्र को ऐसे बनराकस और विनोद से सावधान रहने की जरूरत है।