कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी इन दिनों न्याय यात्रा पर हैं और आए दिन उनके भाषणा की कोई न कोई क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है। जनता से मुखातिब होते हुए वह कहीं से भी कोई भी उदाहरण देने लगते हैं जिसके कारण उनका मजाक भी बनता है तो कई बार बवाल भी होता है। हाल की बात करें तो उन्होंने अपने भाषण को दमदार दिखाने के लिए ऐश्वर्या राय बच्चन जैसी नामी हिरोइन का नाम ले लिया। शायद उन्हें लगा हो कि ऐश्वर्या का नाम लेने से जनता का ध्यान उनकी ओर खिंचेगा। लेकिन उन्हें ये एहसास नहीं हुआ कि इससे ऐश्वर्या राय का कितना अपमान हो रहा है।
अपनी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने के लिए राहुल गाँधी ने जनता से कहा कि मीडिया हाउस जनता की आवाज को नहीं सुनाएँगे। उन्होंने कहा, “ये मीडिया हाउस… अडानी जी के अंबानी जी के हैं। ये किसान के बारे में, मजदूर के बारे में, गरीब के बारे में ये कभी नहीं दिखाने वाले। ये कर ही नहीं सकते…इनके मालिक कहते हैं भईया नहीं। हिंदुस्तान के गरीबों के बारे में मीडिया में नहीं दिखाना। मीडिया पूरे दिन नरेंद्र मोदी को दिखाता है और फिर कभी आपको ऐश्वर्या राय नाचती हुई दिखेगी। दूसरी तरफ अमिताभ बच्चन बल्ले-बल्ले करते हुए निकलेगा।”
राहुल गाँधी ऐसा कहते हुए राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल लोगों के प्रति अपनी घृणा दिखा रहे थे। लेकिन यह समझ नहीं आया कि आखिर उन्होंने ऐश्वर्या का नाम क्यों लिया। ऐश्वर्या तो उस कार्यक्रम में शामिल तक नहीं थीं। अगर उन्हें उदाहरण देना ही था तो कार्यक्रम में शामिल लोगों का भी दिया जा सकता है। मगर, नहीं। राहुल गाँधी के मुँह पर पिछले कुछ दिनों से अपमानित करने के लिए ऐश्वर्या राय का नाम बार-बार आ चुका है।
वैसे वो अकेले नेता नहीं है जो अपने भाषणों और बयानों से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए इस तरह बॉलीवुड की महिला कलाकारों के नाम का इस्तेमाल उनके प्रोफेशन, स्किल या फिर उनकी रंग रूप के कारण करते हों।
25 लाख रुपए में रिजॉर्ट में आई हिरोइन तृषा- तमिलनाडु नेता ने बयान देकर माँगी माफी
सबसे हालिया मुद्दा तो दक्षिण के तमिलनाडु नेता से जुड़ा है। वहाँ की हिरोइन तृषा को लेकर नेता एवी राजू ने कहा कि एक रिजॉर्ट में एंटरटेनमेंट के लिए एक विधायक ने जवान लड़की को मँगाया था। तब तृषा कृष्णन 25 लाख रुपए में वहाँ आई थीं। एवी राजू के इस बयान पर तो एक्ट्रेस ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कानूनी कार्रवाई की भी बात कही है। वहीं नेता ने ऐसी प्रतिक्रिया देख उनसे माफी माँग ली है।
लेकिन, सवाल है कि क्या ये राजनीति के लिए हिरोइनों को अपमानित करने का कल्चर ऐसे ही चलता रहेगा।
जया प्रदा के अंडरगार्मेंट पर आजम खान का बयान
साल 2019 में समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान ने अभिनेत्री रहीं जया प्रदा की ओर इशारा करते हुए उनके अंडरगार्मेंट्स पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने शाहबाद में आयोजित जनसभा में आजम खान ने भाजपा की प्रत्याशी और पूर्व सांसद जया प्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। आजम ने जया प्रदा की तरफ इशारा करते हुए कहा था, “उसकी असलियत समझने में आपको 17 साल लग गए। मैं तो 17 दिन में ही पहचान गया कि इनके नीचे का जो अंडरवियर है, वो भी खाकी रंग का है।“
‘जया प्रदा का काफिला निकला…रामपुर की शामें रंगीन हो जाएगी’
समाजवादी पार्टी के ही नेता फिरोज खान ने भी जया प्रदा पर मार्च 2019 में अभद्र टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि एक बार वह बस से कहीं जा रहे थे तो वहाँ से जया का क़ाफ़िला गुज़रा, जिसके कारण जाम लग गया, तो उन्होंने बस से उतर के उन्हें देखने की कोशिश की और ये भी सोचा कि जाम खुलवाने के लिए कहीं वो ठुमके न लगा दें। अपनी ओछी सोच और जया पर ऐसी अभद्र टिप्पणी करने के बाद उन्होंने कहा कि रामपुर की शामें अब रंगीन हो जाएँगी, जब चुनावी माहौल चलेगा।
‘हेमा मालिनी के गाल जैसी सड़क’
इसी तरह कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे पीसी शर्मा ने भी एक बार हेमा मालिनी के गालों पर टिप्पणी की थी। उन्होंने सड़कों पर गड्ढे देखने के बाद कहा था कि भोपाल की सड़कों में गड्ढे देख उन्होंने कहा था– सड़कें कैलाश विजयवर्गीय के गाल जैसी हो गई हैं। 15-20 दिन में सड़क चकाचक हो जाएगी। हेमा मालिनी के गाल जैसी हो जाएगी।”
फिल्मी हिरोइनें भी हैं किसी की बेटी-बहन
आप देखिए कि ये सारे राजनेताओं ने जो भी बयान दिए वो सम्मान देने के संदर्भ में नहीं हैं। जबकि, चाहे ऐश्वर्या राय हों, हेमा मालिनी हों, जया प्रदा हों या फिर दक्षिण की तृषा कृष्णन हों… ये सारी महिलाएँ अपने क्षेत्र में मेहनत करके नाम कमाकर एक ऐसी ऊँचाई तक पहुँचीं हैं कि देश का बच्चा-बुजुर्ग सब इन्हें जानते हैं। और उनकी इसी उपलब्धि का फायदा उठाकर ये नेता जनता से उनका जिक्र करते हैं ताकि एक संवाद स्थापित हो… अपमान करते समय शायद वो भूल जाते हैं कि वो लोग खुद अपना क्षेत्र को यदि छोड़ दें तो किस स्तर पर आते हैं।
राहुल गाँधी को पूरा देश जानता है कि वो समय-समय पर नारी सम्मान की बातें करते रहते हैं। अगर कोई घटना भाजपा प्रदेश में घटित हुई है तो तुरंत नारी को न्याय दिलाने वो उस प्रदेश में पहुँच जाते हैं, लेकिन जब बात अपनी पार्टी द्वारा शासित राज्य की आती है तो वही राहुल गाँधी चुप हो जाते हैं।
इसी तरह जब बात राजनीति की आती है तो भी वो भूल जाते हैं कि अपने घोषणा पत्रों में जो वो नारियों के सम्मान की बातें करती हैं उन नारियों में ऐश्वर्या राय से लेकर तृषा कृष्णन भी आती हैं। ये महिलाएँ भी किसी की माँ, बहन और बेटी हैं। इनका नाम भी मेहनत करने से ही ऊँचाई पर पहुँचा है। सार्वजनिक स्थलों से इस तरह उनका नाम अपमानजनक संदर्भों में उछालना आखिर कितना सही है। क्या ऐसी ही बातें ये राजनेता अपने घरों की बेटियों-बहनों के बारे में सुन पाएँगे।
आज जिस तरह से राहुल गाँधी के बयान का विरोध हो रहा है उससे यही पता चलता है कि जिस जनता का प्रतिनिधि करने वो चले हैं वो उनसे ज्यादा समझदार है… जो उन्हें बता रही है कि ऐश्वर्या राय की फिल्म जगत में उपलब्धि उनकी राजनीति क्षेत्र में हासिल उपलब्धि से कहीं ऊपर है। कम से कम उन्हें अपनी बात कहने के लिए इतने नीचे स्तर तक नहीं गिरना पड़ता। लोग उन्हें जानते हैं, उनके काम की सराहना करते हैं, कुछ उन्हें आदर्श मानते हैं और कुछ उनके संघर्ष से सीखते हैं।