Sunday, November 17, 2024
Homeविचारसामाजिक मुद्देमैकाले-मैक्समूलर के जले हिन्दू को ‘फिरोज खान’ फूँक-फूँक कर पीना चाहिए

मैकाले-मैक्समूलर के जले हिन्दू को ‘फिरोज खान’ फूँक-फूँक कर पीना चाहिए

अंग्रेज विद्वानों ने जो सबसे बड़ा झूठ गढ़ा वो ये कि संस्कृत ब्राह्मणों की भाषा है। संस्कृत की जड़ में डाला गया ये वो मट्ठा था, जिसका नतीजा है कि यह भाषा लुप्त होने की कगार पर है। भारतीय संस्कृति के खिलाफ ये खेल जिन दिनों चल रहा था उन्हीं दिनों मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कल्पना की थी।

बीएचयू में धर्मशास्त्र के मुस्लिम टीचर के मामले की गंभीरता को बहुत सारे हिंदूवादी भी नहीं समझ पा रहे हैं। गलती उनकी नहीं है। गलती हमारी शिक्षा व्यवस्था की है, जिसने हमें ज्ञान तो बहुत दिया लेकिन संदर्भों से काट दिया। हिंदुओं में जाति व्यवस्था जैसी ढेरों बुराइयों की जड़ में यही असली कारण है। इसे समझने के लिए हमें नीचे के बिंदुओं को ध्यान से पढ़ना होगा:

  • 1832 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में संस्कृत की चेयर शुरू की गई थी। इसमें मैक्समूलर को संस्कृत ग्रन्थों खास तौर पर वेदों के अनुवाद का काम सौंपा गया।
  • जब यह खबर महर्षि दयानंद तक पहुंची तो उन्होंने इसका विरोध करते हुए लिखा- “यस्मिन् देशे द्रुमो नास्ति तत्रैरण्डोऽपि द्रुमायते” यानी जिन देशों में विशाल वृक्ष नहीं होते, वहां के लोग अरंड (Castor) की झाड़ियों को ही पेड़ समझते हैं।
  • तब के महान क्रांतिकारी और वकील श्यामजी कृष्ण वर्मा ने भी इसका विरोध किया था। मोदी जी अक्सर श्यामजी कृष्ण वर्मा का जिक्र करते रहते हैं।
  • विरोध का कोई नतीजा नहीं हुआ। वेदों से लेकर मनुस्मृति तक के कई श्लोकों का अनुवाद ब्रिटिश और जर्मन लोगों ने किया।
  • उनकी जितनी समझ थी उन्होंने हमारे धर्मग्रंथों को वैसा ही समझा और फिर वही अधकचरा ज्ञान हमें स्कूलों-कॉलेजों के जरिए पिला दिया गया।
  • इन अंग्रेज विद्वानों ने जो सबसे बड़ा झूठ गढ़ा वो ये कि संस्कृत ब्राह्मणों की भाषा है। संस्कृत की जड़ में डाला गया ये वो मट्ठा था, जिसका नतीजा है कि यह भाषा लुप्त होने की कगार पर है।
  • यह झूठ भी मैक्समूलर ने गढ़ा था कि वेद सुनने वाले ‘निम्न जाति’ के लोगों के कानों में पिघला शीशा डालने को कहा गया है। अगर ऐसा है तो वाल्मीकि, द्वैपायन व्यास जैसे लोग महाऋषि कैसे बन गए?
  • अंग्रेज विद्वानों ने संदर्भ समझे बिना अधकचरे अनुवादों से साबित कर दिया कि संस्कृत धर्मग्रंथों में दलितों का बहुत अपमान किया गया है।
  • मैक्समूलर जैसे विद्वान समझ ही नहीं पाए कि उपनिषदों में जिस ‘ब्रह्म’ की बात की गई है वो और ब्राह्मण अलग-अलग हैं।
  • ईशवास्य उपनिषद में तो कर्मकांडी ब्राह्मणों को असुर तक कहा गया है। तो क्या उपनिषदों को ब्राह्मणों का विरोधी कहा जाए?
  • मैक्समूलर ने कई जगहों पर लिखा है कि “वेद प्राचीन भारतीय गड़रियों के गीत हैं”। हमने उसे वैसा ही मान लिया।
  • वेदों, उपनिषदों का यही अधकचरा अनुवाद आर्य और द्रविड़ के बँटवारे का आधार बना।
  • भारतीय संस्कृति के खिलाफ मैक्समूलर और मैकाले का ये खेल जिन दिनों चल रहा था उन्हीं दिनों के महामना मदन मोहन मालवीय ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कल्पना की थी।
  • उन्हें पता था कि प्राचीन भारतीय ज्ञान पर मौलिक शोध जरूरी है, इसलिए उन्होंने इस काम के लिए जो फैकल्टी बनाई उसमें गैर-सनातन धर्मों के लोगों के प्रवेश पर भी पाबंदी लगा दी।
  • कई लोगों के मुताबिक अगर मालवीय जी धर्मांध या Bigot होते तो यही पाबंदी वो पूरे बीएचयू में लगा सकते थे।
  • अगर किसी फिरोज खान को हिंदू धर्म की शिक्षा देने की जिम्मेदारी दी जा रही है तो क्या यह पूछा नहीं जाना चाहिए कि मालवीय जी के आदेश का क्या होगा?
  • फिरोज खान जिस धर्म से ताल्लुक रखते हैं वो हिंदुओं को काफिर और वाजिबुल कत्ल मानता है। अगर वो इससे सहमत नहीं हैं तो घर वापसी कर लें।
  • अगर वो इस्लाम में बने रहते हुए हिंदुओं को धर्म सिखाएंगे तो क्या गारंटी है कि उनकी शिक्षा में पूर्वाग्रह और मिलावट नहीं होगी?

हिंदू धर्म मैकाले और मैक्समूलर का जला है इसलिए फिरोज खान को फूँक-फूँक कर पीना चाहिए। इस विषय में विस्तार से जानकारी के लिए राजीव मल्होत्रा की पुस्तक ‘द बैटल फॉर संस्कृत’ पढ़ें। आँखें खुल जाएँगी कि एक समाज के तौर पर हम कितने बड़े सांस्कृतिक हमले के बीच में हैं।

(यह लेख चंद्र प्रकाश जी के फेसबुक पोस्ट से ली गई है)

ये भी पढ़ें: ‘केवल हिन्दुओं’ के लिए बने BHU धर्म संकाय में डॉ. फ़िरोज़ खान की नियुक्ति कैसे हो गई
ये भी पढ़ें: हम नहीं चाहते कि सनातन धर्म की इस्लामी और ईसाई चश्मे से व्याख्या हो

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

घर की बजी घंटी, दरवाजा खुलते ही अस्सलाम वालेकुम के साथ घुस गई टोपी-बुर्के वाली पलटन, कोने-कोने में जमा लिया कब्जा: झारखंड चुनावों का...

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बीते कुछ वर्षों में चुनावी रणनीति के तहत घुसपैठियों का मुद्दा प्रमुखता से उठाया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -