Sunday, November 24, 2024
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दूसरे मजहबों पर बनाया ऐसा कार्टून तो जीवन से हो जाएँगे ‘आज़ाद’: उज्जैन में रेप पर हिन्दू घृणा वाला प्रोपेगंडा, मदरसों में यौन शोषण पर कभी बनाया मस्जिद को निशाना?

उन्हें पता है कि जिस अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात वह दिनभर करते हुए हिन्दू धर्म को कोसते हैं, उसे यदि किसी और मत के लिए प्रयोग कर लिया तो वह जीवन से ही कहीं आजाद न हो जाएँ।

उज्जैन का जो वीडियो सामने आया है और जिस प्रकार उस बच्ची को अपने अंगों को ढककर इतने किलोमीटर चलना पड़ा, उससे हर कोई स्तब्ध है। हर कोई जैसे प्रश्न पूछ रहा है कि आखिर यह क्या था और यह क्यों है? इस मामले में जो सबसे अधिक सीमा पार की है, वह की है कथित सेक्युलर लोगों ने, क्योंकि एक तो नगरी है महाकाल की उज्जैन और दूसरा वहाँ पर भाजपा की सरकार है। जहाँ पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार होती है, वहाँ के अपराधों पर शोर और गैर-भाजपा सरकारों के यहाँ हो रहे अपराधों पर चुप्पी इनकी विशेषता होती है।

हाल ही में केरल में एक नहीं बल्कि 2 बच्चियों के साथ बलात्कार की घटना हुई। एक की हत्या कर दी गई मगर एक बच गई। फिर भी मीडिया में इन घटनाओं की चर्चा नहीं है और दोनों ही घटनाओं में आरोपित पहले भी अपराधों के कारण जेल जा चुके थे। फिर भी मीडिया में इन मामलों को लेकर शोर नहीं होता। शोर केवल तभी होता है जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाला राज्य हो। जैसे ही इस घटना का वीडियो वायरल हुआ, उसके बाद ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के कार्टूनिस्ट ने हिन्दुओं को लेकर एक निहायत ही अपमानजनक कार्टून पोस्ट किया।

इसमें हिन्दुओं को गौमाता की पूजा करते हुए और बच्ची को एक तरफ जाते हुए दिखाया गया था। ऐसा दिखाया था जैसे कि हिन्दुओं की पूजा के कारण ही इस बच्ची के साथ यह हुआ हो। इस कार्टून के बाद लोगों ने प्रश्न किया कि पहले जाँच तो लेते? यह कार्टून पूरी तरह से हिन्दुओं के प्रति घृणा से भरा कार्टून था। मगर इससे क्या फर्क पड़ता है! क्या उज्जैन में केवल हिन्दू ही रहते हैं? या फिर महाकाल की नगरी होने के कारण ऐसा किया गया?

खैर, यह कथित सेक्युलर कलाकारों की चाल होती है। सभी को कठुआ वाला मामला याद होगा, जिसमें कला का प्रयोग बच्ची को न्याय दिलाने के स्थान पर महादेव के विकृत चित्र साझा करने आरम्भ कर दिए गए थे। यह भी देखा जाना चाहिए कि जो शोर मचा रहे हैं क्या वह वास्तव में न्याय के लिए है या फिर राजनीतिक अकाउंट सेटल करने के लिए? राजस्थान में एक बच्ची को भट्ठी में मारकर डाल दिया गया था, परन्तु न्याय के लिए शोर मचाने वाले लोग उधर नहीं पहुँचे थे।

मदरसों में यौन शोषण के इतने मामले आते हैं, मगर क्या कभी किसी कार्टूनिस्ट ने या किसी कलाकार ने मस्जिद को निशाना बनाया? क्या उनके मजहबी यकीनों पर कार्टून बनाए? नहीं बनाए! और न ही बनाएँगे! क्योंकि हिन्दू धर्म के अतिरिक्त किसी और धार्मिक मत पर कुछ कहने का, अपमान करने का परिणाम उन्हें पता है। उन्हें पता है कि जिस अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात वह दिनभर करते हुए हिन्दू धर्म को कोसते हैं, उसे यदि किसी और मत के लिए प्रयोग कर लिया तो वह जीवन से ही कहीं आजाद न हो जाएँ।

क्रान्ति का अर्थ केवल हिन्दू धर्म को कोसा जाना न हो कर रह जाए, यह सुनिश्चित करना होगा और हिन्दू धर्म से घृणा करने वाले लोग अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी केवल हिन्दुओं तक ही सीमित न करें, यह आवाज बार-बार उठानी होगी।

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Barkha Trehan
Barkha Trehan
Activist | Voice Of Men | President, Purush Aayog | TEDx Speaker | Hindu Entrepreneur | Director of Documentary #TheCURSEOfManhood http://youtu.be/tOBrjL1VI6A

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