Tuesday, November 5, 2024
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कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान में 11.5 लाख कोविड वैक्सीन की खुराक बर्बाद

"प्रधानमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि कोविड के टीके की एक खुराक बर्बाद करना किसी व्यक्ति को जीवन कवच से वंचित करने जैसा है, लेकिन जिनकी लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की आदत ही बन चुकी हो तो उन्हें कैसे सुधारेंगे?"

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन, कई जगहों में वैक्सीन की बर्बादी भी हो रही है। राजस्थान इस मामले में सबसे आगे है। पत्रिका की रिपोर्ट के मुताबिक, कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान में कुल 11.5 लाख (करीब 7 फीसदी) वैक्सीन के डोज खराब हो गए हैं।

चुरू जिले में सबसे ज्यादा 39.7 प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हो गई है। इस मामले में 24.60 फीसदी के साथ हनुमानगढ़ दूसरे नंबर पर है, जबकि 17.13 प्रतिशत वैक्सीन भरतपुर में बेकार हो गई है। वैक्सीन बर्बादी के मामले में यह जिला तीसरे नंबर पर है। वहीं 16.71 फीसदी वैक्सीन को बर्बाद करके कोटा चौथे नंबर पर है।

वैक्सीन की बर्बादी पर राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने सीएम को फटकार लगाई और कहा कि इससे राज्य में कोरोना का संकट घटने की बजाय बढ़ा है।

शेखावत ने कहा, “प्रधानमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि कोविड के टीके की एक खुराक बर्बाद करना किसी व्यक्ति को जीवन कवच से वंचित करने जैसा है, लेकिन जिनकी लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की आदत ही बन चुकी हो तो उन्हें कैसे सुधारेंगे?” उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया कि आखिर वैक्सीन की बर्बादी के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए?

केंद्रीय मंत्री ने वैक्सीन की बर्बादी को अपराध बताते हुए कहा, “ये लोगों के जीवन का सवाल है इसलिए इस कृत्य नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”

उन्होंने आगे कहा कि ये गहलोत की जिम्मेदारी है कि वे अपराधियों को सजा दें, अन्यथा हम ये मान लें कि इसके लिए मुख्यमंत्री खुद ही जिम्मेदार हैं।

वैक्सीन की बर्बादी पर पीएम मोदी कर चुके हैं आगाह

कोरोना संक्रमण के कारण वैक्सीन की कमी के बीच इसकी बर्बादी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (20 मई 2021) को सभी जिलाधिकारियों से कोविड -19 टीकों की कम से कम बर्बादी सुनिश्चित करने का आग्रह किया था।

पीएम ने कहा था, “वैक्सीन की बर्बादी एक गंभीर मुद्दा है। एक भी खुराक बर्बाद करने का मतलब है किसी के जीवन को ढाल देने से वंचित कर देना।”

उन्होने कहा था, “जब आप सभी को टीके दिए जाते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह बर्बाद न हो। आप सभी को शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में इस पर नजर बनाकर रखना चाहिए।”

वैक्सीन विरोधी अभियान चला रही कॉन्ग्रेस

भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए चलाए जा रहे वैक्सीनेशन अभियान के खिलाफ पिछले कुछ महीनों से गैर-एनडीए दल खासकर कॉन्ग्रेस और आम आदमी पार्टी टीकाकरण अभियान पर ओछी राजनीति कर रहे हैं।

कॉन्ग्रेस भाजपा शासित केंद्र सरकार की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है। वह कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली भारतीय कंपनियों के खिलाफ कैंपेनिंग करते हुए विदेशी कंपनियों के महंगे टीकों का प्रचार कर रही है। इसी साल जनवरी में केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज के लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के एमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दे दी थी। लेकिन उसे बदनाम करने के लिए कॉन्ग्रेस ने अभियान चलाया।

अपने प्रोपेगैंडा के शुरुआती चरण में कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर, मनीष तिवारी और छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव जैसे कॉन्ग्रेस नेताओं ने टीकाकरण के अभियान को ही सीमित कर दिया। उसके इस प्रोपागैंडा में वामपंथी मीडिया कॉन्ग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहा है और लोगों में वैक्सीन के प्रति भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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