अधीर रंजन चौधरी लोकसभा में कॉन्ग्रेस संसदीय दल के नेता हैं। मोदी सरकार को नीचा दिखाने की कोशिश में देश को शर्मसार करने वाले बयान वे कई बार दे चुके हैं। इसका सिलसिला इस लोकसभा के पहले ही सत्र में कश्मीर पर उनके विवादित बयान से शुरू हुआ था। इसी कड़ी में आज (मंगलवार, 10 दिसंबर 2019) उन्होंने लोकसभा में कहा कि भारत ‘मेक इन इंडिया’ से ‘रेप इन इंडिया’ की तरफ़ बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री, जो हर मुद्दे पर बोलते रहते हैं, इस मुद्दे (महिलाओं के साथ अपराध) पर शांत हैं। ‘मेक इन इंडिया’ से भारत धीरे-धीरे ‘रेप इन इंडिया’ की तरफ़ बढ़ रहा है।” जैसा कि कोई भी अंदाज़ा लगा सकता है, चौधरी का यह बेतुका बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही निशाना बनाने के चक्कर में निकला है।
अधीर रंजन चौधरी यह भूल गए कि इसी फेर में पिछले दिनों वे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से माफ़ी माँगने पर मजबूर हुए थे। उन्होंने वित्त मंत्री के नाम को तोड़ते-मरोड़ते हुए उन्हें “निर्बला” कहा था। इसके बाद चारों ओर से आलोचनाओं में घिरने के बाद उन्हें कहना पड़ा था, “निर्मला जी मेरी बहन जैसी हैं और मैं उनके भाई की तरह हूँ।”
अधीर रंजन चौधरी का बयान अरुचिपूर्ण तो है ही तथ्यों और आँकड़ों के आलोक में भी कहीं नहीं टिकता। जिस भारत को वो ‘रेप इन इंडिया’ बता रहे हैं, वह एक सालाना सर्वे में 117 देशों में बलात्कार के मामलों में 94वें नंबर पर है। सर्वे के अनुसार भारत में जहाँ 10 लाख में केवल 18 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना सामने आती है, वहीं इस सर्वे की चोटी पर काबिज़ दक्षिण अफ़्रीका में 10 लाख पर यही आँकड़ा 1324 का है।
यही नहीं, बड़े और वैश्विक पटल पर प्रभावशाली देशों में भारत में पुरुषों को अदालत में सज़ा मिलने की दर दुनिया में कदाचित सबसे अधिक है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आँकड़ों के अनुसार भारत में बलात्कार दोष सिद्धि दर (रेप कन्विक्शन रेट) 32 से 35% है, जिसे हमेशा भारत को नीचा देखने की कोशिश में लगे रहने वाला बीबीसी भी दुनिया में सबसे अधिक में गिनने पर मजबूर होता है। इसका अर्थ यह है कि अगर 100 महिलाएँ अपने साथ बलात्कार का मुकदमा दायर करेंगी, तो भारत में 35% मामलों में अदालतें महिला के आरोप को सही ठहराते हुए पुरुष को बलात्कारी मानते हुए सजा देंगी। वहीं अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और रूस में यही दर क्रमशः 1.5%, 3.3%, 8% और 2.7% है।
यानी, अधीर रंजन चौधरी का बयान न उनके पद और पार्टी की गरिमा के अनुरूप है और न ही आँकड़ों के आधार पर इसे किसी भी तरह से जायज़ ठहराया जा सकता है। यह केवल हर बात में प्रधानमंत्री मोदी को घसीटने, नीचा दिखाने और उन पर (या उनके कार्यक्रमों पर) कीचड़ उछालने की कोशिश है।