Saturday, November 16, 2024
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‘2002 में सबक सिखाया, तब से गुजरात में शांति’: अमित शाह के बयान में NDTV ने की बार-बार छेड़छाड़, कॉन्ग्रेस का नाम छिपाया

अमित शाह ने अपने भाषण में साफ कहा कि साल 2002 के पहले कॉन्ग्रेस दंगाइयों का समर्थन करती थी, जिसके कारण गुजरात में पहले हर समय कहीं ना कहीं दंगे होते रहते थे और कर्फ्यू लगाना पड़ता था। उन्होंने उस दौर के कुख्यात डॉन इज्जू शेख, पीरजादा और लतीफ को भी याद किया और कहा कि ऐसे लोग अब कहीं नहीं हैं।

गुजरात में जारी विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) की प्रक्रिया के बीच सोशल मीडिया पर फेक न्यूज फैलाने का दौर शुरू हो गया है। इसके जरिए एक बार फिर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) एवं गृहमंत्री अमित शाह (MHA Amit Shah) को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।

गुजरात में गृहमंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए भाषण को अपने हिसाब से मैनुपुलेट कर मामले को विवादास्पद और अपने हिसाब से रंग देने की कोशिश की जा रही है। सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा फैलाने वाले लोग स्पीच की क्लिपिंग को शेयर कर साल 2022 में ‘मुस्लिमों पर अत्याचार करने’ का आरोप लगाकर अमित शाह को गिरफ्तार करने की बात कह रहे हैं।

सोशल मीडिया पर बयान को तोड़-मरोड़ किया गया पेश

ऐसे ही एक ट्विटर यूजर शिवम ने NDTV की खबर के लिंक को शेयर करते हुए लिखा, “भारत के गृहमंत्री ने 2002 के मुस्लिम नरसंहार का महिमामंडन कर रहे हैं, जो अपनी पार्टी के लोगों को उकसाने के लिए जेल भी गए थे। मोदी पुलिस, कानून और व्यवस्था के प्रभारी थे, जिनके इरादे गलत थे। उन्होंने समय पर कार्रवाई न करके दंगों का समर्थन किया। इस नफरत के लिए अमित शाह को गिरफ्तार किया जाना चाहिए था।”

rizoven नाम के ट्विटर हैंडल ने लिखा, “मेरा दृढ़ विश्वास है कि एक गृह मंत्री को भड़काऊ और संवेदनशील भाषणों से बचना चाहिए। वह राष्ट्र की माँ की तरह हैं और उन्हें अपने बच्चों के बीच नफरत नहीं फैलानी चाहिए।”

ilalsuf नाम के ट्विटर हैंडल ने इस खबर को लेकर लिखा, “ऐसा गृहमंत्री जो दंगों का आनंद लेते हैं और गर्व करते हैं। बहुत खूब।”

NDTV ने अमित शाह के बयान पर तीन बार बदली हेडिंग

दरअसल, पहले NDTV ने गृहमंत्री अमित शाह के भाषण वाली खबर को ट्विटर पर शेयर किया था। खबर में NDTV ने कैप्शन में लिखा, ‘उन्हें 2002 में सबक सिखाया गया, अब गुजरात में स्थायी शांति’: अमित शाह।’ हालाँकि, इस दौरान NDTV अपने हेडलाइन को तीन बार बदला।

बुधवार की शाम 4:55 मिनट पर एनडीटीवी ने हेडलाइन दिया ‘साल 2002 में उन्हें सबक सिखाया गया, गुजरात में स्थायी शांति है’। इसके बाद शाम 7:02 बजे एनडीटीवी ने हेडलाइन को बदलकर ‘साल 2002 में भाजपा ने सबक सिखाया… गुजरात में स्थायी शांति है’ कर दिया। इसके बाद 7:17 बजे एनडीटीवी ने फिर हेडलाइन बदला और ‘साल 2002 में दंगाइयों को सबक सिखाया गया… गुजरात में स्थायी शांति है’ कर दिया।

लगातार हेडलाइन बदलने के बाद ndtv ने इन ट्वीट को डिलीट कर दिया। मगर इस बीच NDTV की भ्रामक हेडलाइन से पाठक भ्रमित हो गए और उन्होंने वही समझा, जो बताने की कोशिश की गई। इस खबर पर कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डब्बे जलाने के बाद स्वत: हुई प्रतिक्रिया के रूप में साल 2002 के गोधरा दंगे का गृहमंत्री द्वारा महिमामंडन बताया है।

अमित शाह ने रैली में क्या कहा?

अब आते हैं अमित शाह की बातों पर। गुजरात चुनाव के प्रचार के दौरान खेड़ा जिले महुधा शहर में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में आयोजित एक रैली में अमित शाह ने कहा, “कहीं भी कर्फ्यू ना लगाना पड़े, ऐसा कोई राज्य बना है तो वह आपका और मेरा गुजरात है। ये 2002 में कॉन्ग्रेसियों ने आदत बनाई थी, इसलिए दंगे हुए थे। लेकिन, 2002 ऐसा सबक सिखाया कि वे हिंसा के रास्ते भूल गए। 2002 से 2022 तक हिंसा करने की उन्होंने सोचा भी नहीं।”

अमित शाह ने आगे कहा, “गुजरात में सांप्रदायिक दंगे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करके गुजरात की भाजपा सरकार ने गुजरात में अखंड शांति की स्थापना की है।” गृहमंत्री ने सा के भाषण में भाषा और तथ्य बहुत स्पष्ट हैं, जिसे कोई भी आसानी से समझ सकता है।

अमित शाह ने अपने भाषण में साफ कहा कि साल 2002 के पहले कॉन्ग्रेस दंगाइयों का समर्थन करती थी, जिसके कारण गुजरात में पहले हर समय कहीं ना कहीं दंगे होते रहते थे और कर्फ्यू लगाना पड़ता था। उन्होंने उस दौर के कुख्यात डॉन इज्जू शेख, पीरजादा और लतीफ को भी याद किया और कहा कि ऐसे लोग अब कहीं नहीं हैं।

अमित शाह ने साफ कहा कि साल 2002 में कॉन्ग्रेसियों की आदत के कारण दंगे हुए, लेकिन भाजपा सरकार ने दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की, जिसके बाद आज तक वहाँ दंगे नहीं हुए और गुजरात में स्थायी शांति बहाल हुई। अमित शाह ने अपने भाषण में दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है। ये दंगाई सिर्फ दंगाई थे।

हालाँकि, सोशल मीडिया पर ‘दंगाइयों के खिलाफ’ और कॉन्ग्रेसियों के खिलाफ कार्रवाई को ‘मुस्लिमों के खिलाफ कार्रवाई’ के तौर पर प्रचारित कर प्रोपेगेेंडा फैलाया जा रहा है। इस प्रोपेगेंडा से यह साफ भी जाहिर हो रहा है कि अमित शाह की बात सही है कि कॉन्ग्रेस अपनी राजनीति के लिए दंगे को एक टूल के रूप में इस्तेमाल करती थी।

सबक सिखाने का क्या था अर्थ?

अमित शाह की यह बात भी साफ है कि दंगाइयों के खिलाफ भाजपा सरकार ने कड़ी कार्रवाई की, जिसके कारण आजतक दंगे नहीं हुए। बता दें कि गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन मोदी सरकार ने गुजरात में दंगा करने वालों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के बड़े पैमाने पर कार्रवाई की थी, जिसमें दर्जनों लोग गिरफ्तार किए गए थे। इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग थे। इसलिए कार्रवाई को मुस्लिमों के खिलाफ प्रचारित करना चुनावी प्रोपेगेेंडा के सिवाय और कुछ नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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