इस बात की अक्सर चर्चा होती रहती है कि शिवसेना के पैदा होने के पीछे कॉन्ग्रेस का हाथ था। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कॉन्ग्रेस की गठबंधन सरकार बनने के बाद से इस बात का प्रचार भी किया जा रहा है। यह प्रचार विपक्षी खेमे से कम सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं की ओर से ज्यादा हो रहा है। इसी कड़ी में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उन दिनों को याद किया है, जब कॉन्ग्रेस ने शिवसेना की स्थापना में मदद की और वामपंथी ट्रेड यूनियनों से निपटने के लिए उसे फलने-फूलने दिया।
रमेश ने इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान दावा किया है कि उनकी पार्टी कॉन्ग्रेस ने ही शिवसेना की स्थापना की थी। ऐसा कर उन्होंने उन चर्चाओं पर मुहर लगा दी है जिनमें कहा जाता है कि कॉन्ग्रेस ने ही बाल ठाकरे को शिवसेना की स्थापना के लिए कहा था और इसमें मदद भी की थी।
शिवसेना की स्थापना जून 1966 में हुई थी। साठ के दशक में मुंबई में ट्रेड यूनियंस का बोलबाला था। ट्रेड यूनियनों के समर्थन से ही उम्मीदवारों की जीत-हार तय होती थी। जयराम रमेश ने बताया कि उस समय ट्रेड यूनियनों पर शिकंजा कसने के लिए ही कॉन्ग्रेस ने शिवसेना की स्थापना की। जयराम रमेश ने कहा कि भले ही शिवसेना और कॉन्ग्रेस वैचारिक रूप से हमेश एक-दूसरे के धुर-विरोधी रहे, लेकिन कॉन्ग्रेस के दो बड़े नेताओं ने ही शिवसेना के गठन में सबसे अहम किरदार निभाया था।
जयराम रमेश ने जिन दो नेताओं का नाम लिया, वो हैं एसके पाटिल और दूसरे वीपी नाइक। एसके पाटिल कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता था, जिन्हें मुंबई का बेताज बादशाह कहा जाता था। वो 3 बार मुंबई के मेयर चुने गए थे। वहीं वीपी नाइक 1963 से लेकर 1975 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। जब शिवसेना की स्थापना हुई, तब मुंबई में हर काम इन्हीं दोनों नेताओं के इशारे पर होता था। जयराम रमेश ने याद दिलाया कि 1980 में अब्दुल रहमान अंतुले को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर सबसे पहले समर्थन देने वाले नेताओं में बाल ठाकरे ही थे। अंतुले राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। रमेश ने यह भी याद दिलाया कि शिवसेना ने 2007 में प्रतिभा पाटिल और 2012 में प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में समर्थन किया था। दोनों ही चुनावों में उन्होंने राजग से अलग रुख अपनाया था।
Jairam Ramesh says Congress created Shiv Sena & functioned as a B-Team and sleeper cell of @INCIndia to fight rival unions. Saamna goes silent & Uddhav swallows insults to the legacy of Balasaheb Thackeray by sacrificing Self respect for Self preservation.https://t.co/pWV4Aebcn6
— GVL Narasimha Rao (@GVLNRAO) November 30, 2019
सुजाता आनंदन ने अपनी पुस्तक ‘हिन्दू ह्रदय सम्राट’ में लिखा है कि 60 के दशक में मुंबई में कम्युनिस्टों का राज़ चलता था और ट्रेड यूनियन सरकार की नाक में दम किए रहते थे। कॉन्ग्रेस समर्थित ट्रेड यूनियन भी थे, लेकिन वामपंथी ट्रेड यूनियनों के प्रभाव के सामने वे बेअसर थे। उस समय कॉन्ग्रेस के लिए ये वामपंथी ट्रेड यूनियन एक बड़ी चुनौती थे। मुंबई के बड़े उद्योगपति भी इन ट्रेड यूनियनों की दादागिरी से परेशान थे। लिहाजा उनसे निपटने के लिए कॉन्ग्रेस ने शिवसेना को पूरी वित्तीय मदद दी। इस दौरान शिवसैनिकों ने क़ानून तोड़ा तो उनके साथ नरमी बरती गई। 80 के दशक तक दोनों दल एक-दूसरे के काफ़ी क़रीब रहे।
अब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कॉन्ग्रेस और एनसीपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने हैं। कॉन्ग्रेस भी लोगों को याद दिलाने में लगी है कि कैसे शिवसेना के उसके साथ पुराने सम्बन्ध रहे हैं। यह भी कहा जाता रहा है कि शिवसेना की स्थापना के समय कॉन्ग्रेस नेता मंच पर मौजूद थे। अब लोगों इस नज़रें इस पर टिकी हैं कि ये गठबंधन कितने दिनों तक चल पता है?