जमीन खरीद से जुड़े एक मामले में अब फिर गाँधी परिवार का नाम उछला है। टाइम्स नाऊ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया गया है कि गाँधी परिवार द्वारा मुंबई में खरीदी गई एक जमीन में अनियमतताएँ पाई गई हैं।
दस्तावेजों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि 3478 वर्ग मीटर की जमीन को दलितों के हॉस्टल के लिए आरक्षित किया गया था। लेकिन बाद में उसे कमर्शियल प्रॉपर्टी बना दिया गया। ईडी ने भी अपने रिकॉर्ड में इस जमीन को गाँधी परिवार से संबंधित बताया है। जिसे एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से खरीदा गया।
रिपोर्ट बताती है, बांद्रा ईस्ट इलाके में स्थित ये जमीन साल 1983 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को मिली थी। जिसे बाद में व्यावसायिक भूमि में तब्दील कर दिया गया। साल 2017 के हिसाब से इसकी कीमत 262 करोड़ रुपए होती है।
#EXCLUSIVE | AJL received ‘reserved land’ which was meant for construction of an SC/ST hostel in 1983. This land was then changed to ‘commercial land’ where permission was given for construction of an 80K sq ft building, 4 times the permissible limit.
— TIMES NOW (@TimesNow) July 14, 2020
Details: Poonam & Bhavatosh pic.twitter.com/QX9JLuIjr4
साल 1967 के एक विस्तृत प्रस्ताव के अनुसार, इस जमीन को तात्कालीन सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए छात्रावास बनाने के लिए आवंटित किया था। लेकिन साल 1983 में इसे AJL के माध्यम से खरीदा गया और 17 साल तक उसमें कोई निर्माण नहीं हुआ। साल 2000 में इस जमीन पर एक इमारत बनी।
दस्तावेज में यह भी उल्लेख है कि निर्माण सिर्फ़ 20,000 वर्गफीट पर हो सकता था। लेकिन कॉन्ग्रेस ने 80,000 वर्ग फुट भूमि पर एक व्यावसायिक संरचना का निर्माण किया।
#Breaking | TIMES NOW SUPER #EXCLUSIVE.@dir_ed had attached 3478 sq metres of land belonging to the Gandhis in Mumbai. The Gandhis received the land through Associated Journals Limited.
— TIMES NOW (@TimesNow) July 14, 2020
This land actually was meant for an SC/ST hostel.
Details by Navika Kumar. pic.twitter.com/slOXzsi3g5
इसके बाद एक ओर जहाँ नियमों के अनुसार आमतौर पर, सरकार को वाणिज्यिक संस्थानों से 50 प्रतिशत राजस्व प्राप्त होता है, और बाकी राजस्व राशि संपत्ति के मालिक के पास होती है। वहीं, कॉन्ग्रेस ने इस प्रॉपर्टी से मिलने वाला 70 प्रतिशत का राजस्व अपने पास रखा और केवल 30 प्रतिशत सरकार के साथ साझा किया।
गौरतलब है पिछले साल राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी पर करीब 100 करोड़ रुपए की देनदारी का मामला सामने आया था। नेशनल हेराल्ड मामले में यूपीए अध्यक्ष और कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष को आयकर विभाग ने 100 करोड़ का टैक्स नोटिस भेजा था।
इस केस में आयकर विभाग ने एजेएल से संबंधित उनकी आय के पुनर्मूल्यांकन के बाद ये नोटिस जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि उन्होंने अपनी आय करोड़ों रुपए कम बताई हैं।
आयकर विभाग के ऑर्डर में कहा गया था कि सोनिया ने 155.4 करोड़ और राहुल ने 155 करोड़ रुपए की आय कम बताई है। यह आय उस आय से काफी अधिक है जिसे घोषित किया गया है। बता दें, वर्ष 2011-12 द्वारा दिए गए आयकर के पुनर्मूल्यांकन के अनुसार राहुल ने 68.1 लाख रुपए की घोषित आय का कर भरा था।