Friday, April 26, 2024
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हिन्दू रीति-रिवाजों से खिन्न कॉन्ग्रेसी गैंग ने आयुध पूजा को लेकर युवा तेजस्वी सूर्या को बनाया निशाना

सेक्युलर-लिबरल-लेफ्टिस्टों द्वारा हिन्दू पर्व-त्योहारों का मज़ाक उड़ाने और उसे बदनाम करने का सिलसिला चल निकला है। कुछ दिनों पहले रूद्र हनुमान के चित्र को इन्होंने निशाना बनाया। फिर, बाघ की खाल पहनकर बैठे गणेश जी की मूर्ति को उग्रवादी बताया था।

कॉन्ग्रेस आईटी सेल ने आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण बेंगलुरु से भाजपा प्रत्याशी तेजस्वी सूर्या को बदनाम करने के लिए उनके हिन्दू रीति-रिवाजों से पूजा करने को मुद्दा बनाया है। बता दें कि हिंदुत्व में आयुध पूजा का विधान है, जिसमें अस्त्र-शस्त्र की पूजा की जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विधि-विधान से आयुध पूजा में हिस्सा लेते रहे हैं। कॉन्ग्रेस को इस हिन्दू पद्धति से आपत्ति हो गई है। सोशल मीडिया पर कॉन्ग्रेस समर्थकों व आईटी सेल के लोगों ने ट्वीट्स के माध्यम से तेजस्वी सूर्या पर निशाना साधा। इसके लिए पेड प्रमोशन का भी सहारा लिया गया। जैसा कि आप नीचे वाले ट्वीट में देख सकते हैं, जिसे प्रमोट किया गया है। प्रमोट करने से यह ट्वीट उन लोगों की टाइमलाइन पर भी दिख सकता है, जो उस यूजर को फॉलो नहीं करते।

प्रमोट किया गया ट्वीट

बता दें कि आयुध पूजा नवरात्री के दौरान की जाती है। इसमें हथियारों और अस्त्र-शस्त्रों की पूजा की जाती है। माँ चामुंडेश्वरी द्वारा महिषासुर राक्षस का वध किए जाने की याद में इस प्रक्रिया को पूरा किया जाता है। ख़ासकर दक्षिण भारत में ये त्यौहार ज्यादा लोकप्रिय है। हाँ, इसकी प्रक्रिया में थोड़ी-थोड़ी भिन्नताएँ हैं लेकिन आयुध पूजा दक्षिण भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है। तेजस्वी भाजपा युवा प्रदेश मोर्चा के सचिव हैं। उन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्री बीके हरिप्रसाद के मुक़ाबले उतारा गया है। प्रखर वक्ता माने जाने वाले सूर्या संघ से जुड़े हुए हैं। वकील सूर्या भाजपा की सोशल मीडिया टीम का भी हिस्सा हैं। यहाँ से भाजपा के दिग्गज नेता अनंत सिंह जीता करते थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। ऐसे में, भाजपा के पास अपना गढ़ बचाने की चुनौती है।

28 वर्षीय तेजस्वी सूर्या आगामी चुनावों में सबसे युवा लोक सभा प्रत्याशियों में से एक हैं। सेक्युलर-लिबरल-लेफ्टिस्ट्स द्वारा भारतीय ख़ासकर हिन्दू पर्व-त्योहारों का मज़ाक उड़ाने और उसे बदनाम करने का सिलसिला चल निकला है। इन्हे कभी दीवाली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण नज़र आता है तो कभी होली को पानी की बर्बादी का कारण बताते हैं। कुछ दिनों पहले रूद्र हनुमान के चित्र को इन्होने निशाना बनाया था। इनका कहना था कि हनुमान के चित्र को देख कर हिंसा भड़कती है। इसी तरह एक पत्रकार ने बाघ की खाल पहनकर बैठे गणेश जी की मूर्ति को उग्रवादी बताया था। तेजस्वी के आयुध पूजा वाले चित्र को उनके तथाकथित ‘हिंसक अतीत’ से जोड़ा जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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