लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। वहीं चीन से कॉन्ग्रेस पार्टी और उनके नेताओं की निकटता और आपसी संबंधों का पता चलने के बाद पार्टी मुश्किलों से घिरती नजर आ रही है।
सबसे पहले यह सामने आया कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने 2008 में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ एक समझौते (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद एक और सच्चाई सामने आई कि सोनिया गाँधी के नेतृत्व वाले राजीव गाँधी फाउंडेशन को चीन से डोनेशन मिलने की बात सामने आई।
चीन के साथ पार्टी के संबंधो का खुलासा होने के बाद सोशल मीडिया में कई लोगों ने चीनी नेताओं के साथ कॉन्ग्रेस नेताओं की तस्वीरें पोस्ट की है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विटर के जरिए सोनिया गाँधी और राजीव गाँधी की तस्वीर चीनी अधिकारी के साथ पोस्ट किया।
Cheers 🍸 pic.twitter.com/gpcfq0fQdR
— Sambit Patra (@sambitswaraj) June 26, 2020
संबित पात्रा के ट्वीट से चिढ़ कर कॉन्ग्रेस नेता और मार्गरेट अल्वा के बेटे, निखिल अल्वा ने एक तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर के जरिए उन्होंने चीन के साथ पीएम मोदी की अंतरंगता साबित करने की कोशिश की। इस चक्कर में तस्वीर में नजर आ रहे किर्गिस्तान के राष्ट्रपति को चीनी बता दिया।
कॉन्ग्रेस का सिपाही बनने के लिए IQ लेवल कोई जरूरत नहीं होती, यह बात निखिल अल्वा ने साबित कर दिया। क्योंकि उन्होंने यह मान लिया कि मोनगोलोइड फीचर्स वाले सभी लोग चाइनीज़ होते है।
बता दे यह तस्वीर 2019 में पीएमओ के ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई थी, जब प्रधानमंत्री मोदी को किर्गिस्तान के राष्ट्रपति जीनबकोव द्वारा पारंपरिक किर्गिस्तान पोशाक भेंट की गई थी।
In Bishkek, President Jeenbekov presented PM @narendramodi a Kalpak, the traditional Kyrgyz hat, a Chapan, a traditional coat from Kyrgyzstan and a Samovar, a container to heat or boil water.
— PMO India (@PMOIndia) June 15, 2019
PM Modi is grateful to President Jeenbekov for this gesture. pic.twitter.com/iDEoWkD5Lm
PMO ने उस समय तस्वीरों को ट्वीट कर लिखा, “बिश्केक में, राष्ट्रपति जेनबकोव ने PM @narendramodi को एक कल्पक, पारंपरिक किर्गिज़ टोपी, एक चापान, किर्गिस्तान का पारंपरिक कोट और समोवर, पानी गर्म करने के लिए एक कंटेनर भेंट किया है।”
कौन है निखिल अल्वा
निखिल अल्वा को 2018 में राहुल की सोशल मीडिया स्ट्रेटजी सॅंभालने वाली दिव्या स्पंदना की जगह जिम्मेदारी दी गई थी। उस समय दिव्या को यह कह कर नौकरी से निकाल दिया गया था, कि वह कॉन्ग्रेस से परेशान थी क्योंकि उसकी भूमिका को सीमित करते हुए कॉन्ग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा के बेटे निखिल अल्वा को कार्यभार संभालने का जिम्मा दे दिया था।
2018 बिजनेस स्टैंडर्ड के रिपोर्ट के अनुसार, “पूर्व मीडिया उद्यमी निखिल जे अल्वा कॉन्ग्रेस के बदलाव के पीछे एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। कॉन्ग्रेस संगठन में 48 वर्षीय अल्वा को गाँधी के ट्विटर हैंडल के ‘गेटकीपर’ के रूप में जाना जाता है।
अपने ट्विटर एकाउंट के बायो में अल्वा ने बताया है कि वह “एक राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ मीडिया उद्यमी है, जो एक न्यायसंगत और समान्य दुनिया का निर्माण करना चाहता है।” अल्वा कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा के तीन बेटों में से एक हैं। अल्वा के साथ उनके बड़े भाई नीरत और छोटे भाई निवेदिथ भी जाने-माने मीडिया उद्यमी हैं। छोटे भाई निवेदिथ भी अब राजनीति की तरफ अपने कदम बढ़ाने शुरू किए है।
दिलचस्प बात यह है कि निखिल अल्वा पर पहले 2018 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाथा। उनके पड़ोसी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कर उन पर घूरने और अश्लील ईमेल भेजने का आरोप लगाया गया था।
निखिल अल्वा के खिलाफ दर्ज एफआईआर में, 47 वर्षीय शिकायतकर्ता ने कहा था, “निखिल अल्वा ने जान-बूझकर और दुर्भावनापूर्ण तरीके से कई ग्रुप्स में ईमेल पोस्ट किए हैं। जिसमें अत्यधिक अनुचित और घोर आपत्तिजनक भाषा का उपयोग किया गया है। मेरे बार-बार मना करने के बावजूद निखिल नहीं रुका और बाद में अश्लील मैसेज भेजने लगा।”
उसने कम से कम 14 बार अल्वा पर अपमानजनक ईमेल भेजने का आरोप लगाया था।
अल्वा के पोस्ट ने बता दिया है कि राहुल गाँधी के ट्विटर हैंडल से जिस तरह के पोस्ट किए जाते है, वह राहुल गाँधी और निखिल अल्वा के दिमाग के घटिया कॉम्बिनेशन का परिणाम है।