Friday, November 15, 2024
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कॉन्ग्रेस ने CBSE के ‘भारत विभाजन’ पाठ का किया विरोध: सांसद टैगोर ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा- इससे युवाओं में बढ़ेगी नफरत

कुछ दिनों पहले एनसीपी चीफ शरद पवार भी सीबीएसई के इस फैसले पर ऐसी ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने इतिहास के माध्यम से नफरत फैलाने से रोकने की अपील की थी। उन्होंने चिंता जताई थी कि विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस जैसे कार्यक्रमों से नई पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, इसकी वजह से समाज के एक खास तबके को लेकर उनके मन में नफरत पैदा हो सकती है।

कॉन्ग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सीबीएसई द्वारा भारत-पाक विभाजन पर आधारित प्रदर्शनियों के आयोजन पर रोक लगाने की अपील की है। मनिकम टैगोर ने ये पत्र 21 अगस्त 2023 को लिखा था। इसकी जानकारी उन्होंने X पर 24 अगस्त को दी। उन्होंने धर्मेंद्र प्रधान से सीबीएसई के इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए भी कहा है। उन्होंने तर्क दिया है कि इससे युवाओं के मन में नफरत बढ़ सकती है।

‘सीबीएसई के इस कदम को रोके सरकार’

तमिलनाडु के विरुधुनगर लोकसभा सीट से कॉन्ग्रेस के सांसद मनिकम टैगोर ने कहा कि विभाजन की त्रासदी की थीम पर आधारित प्रदर्शनियाँ लगाने से युवा पीढ़ी के मन में सिर्फ नफरत का भाव बढ़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि वो सामाजिक सौहार्द्र की रक्षा करने की कोशिश के तहत इस निर्णय को वापस लें।

‘नफरत का भाव पैदा होगा’

मनिकम टैगोर ने अपने पत्र में लिखा है, “मैं सीबीएसई द्वारा लगाई जाने वाली प्रदर्शनी को लेकर चिंतित हूँ। इस पर फिर से विचार किया जाए और इस फैसले को बदला जाए। इस तरह की प्रदर्शनियों से युवा पीढ़ी के मन में नफरत का भाव जगेगा। इस पर रोक लगाकर हमारे समाज के सामाजिक सौहार्द्र को बचाएँ।” टैगोर का कहना है कि इस तरह की घटनाओं के बारे में समझ विकसित करने के लिए ‘संवेदनशील तरीके’ को अपनाना होगा।

कॉन्ग्रेस सांसद का ये पत्र संवेदनशीलता ‘जताने’ की ‘बैलेंसिंग एक्ट’ ही लगती है। एक तरफ तो वो लिख रहे हैं कि इन महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में जानकारी दी जाए तो दूसरी तरफ ‘संवेदनशीलता’ भी अपनाई जाए। इस पत्र में लिखा है कि इन प्रदर्शनियों में रक्तपात और अत्याचारों का चित्रण किया जाएगा, जो समाजिक सौहार्द्र और एकता को प्रभावित कर सकती है।

सीबीएसई पहले ही कह चुकी है ‘संवेदनशीलता बरती जाए’

बता दें कि सीबीएसई ने 14 अगस्त को इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें ‘विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस’ पर आधारित प्रदर्शनियों की बात कही गई थी। भले ही मनिकम टैगोर बोल रहे हों कि विभीषिका को दिखाने में संवेदनशीलता बरती जाए, तो ये काम सीबीएसई पहले ही कर चुकी है। उसने अपने सर्कुलर में लिखा है कि इन प्रदर्शनियों से ‘समाज में किसी का सेंटिमेंट हर्ट’ न हो।

शरद पवार भी कर चुके हैं अपील

कुछ दिनों पहले एनसीपी चीफ शरद पवार भी सीबीएसई के इस फैसले पर ऐसी ही प्रतिक्रिया दे चुके हैं, जिसमें उन्होंने इतिहास के माध्यम से नफरत फैलाने से रोकने की अपील की थी। उन्होंने चिंता जताई थी कि विभाजन विभीषिका स्मरण दिवस जैसे कार्यक्रमों से नई पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, इसकी वजह से समाज के एक खास तबके को लेकर उनके मन में नफरत पैदा हो सकती है।

वैसे, इस विषय पर ऑपइंडिया कई लेख प्रकाशित करके ये समझाने की कोशिश कर चुका है कि ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत समाज को क्यों है और कैसे समाज को इस तरह से तैयार किया जाए कि फिर से ऐसी विभीषिका की नौबत न आए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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