कुछ माह पहले ही मध्य प्रदेश में सत्ता गँवा चुकी कॉन्ग्रेस के सामने अब राजस्थान में भी राजनीतिक संकट मँडराता दिख रहा है। इसी को लेकर आज मंगलवार (जुलाई 14, 2020) को जयपुर के फेयरमोंट होटल में चल रही कॉन्ग्रेस विधायक दल (CLP) की बैठक में उपस्थित 102 विधायकों ने माँग की है कि सचिन पायलट को पार्टी से हटा दिया जाना चाहिए।
जयपुर के फेयरमोंट होटल में चल रही कांग्रेस विधायक दल (CLP)की बैठक में उपस्थित 102 विधायकों ने मांग की है कि सचिन पायलट को पार्टी से हटा दिया जाना चाहिए: सूत्र #Rajasthan pic.twitter.com/dKvT2UdPJH
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इस बैठक में ही सचिन पायलट को डिप्टी CM और PCC अध्यक्ष पद से, रमेश मीणा व विश्वेंद्र सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त करने का फैसला ले लिया गया है। गोविंद सिंह डोटासरा नए PCC चीफ होंगे। इस बात की जानकारी कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने दी है।
Sachin Pilot removed as Deputy Chief Minister, announces Congress leader Randeep Singh Surjewala #Rajasthan pic.twitter.com/5tj3TJxZe8
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कॉन्ग्रेस ने उन सभी विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय लिया, जो आज जयपुर में कॉन्ग्रेस विधायक दल की बैठक में उपस्थित नहीं थे। सचिन पायलट भी इस बैठक में मौजूद नहीं थे। बैठक में अशोक गहलोत का समर्थन जयपुर में कॉन्ग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक में कॉन्ग्रेस विधायकों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन किया।
ज्ञात हो कि राजस्थान राज्य में कॉन्ग्रेस के कई बड़े नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत छेड़ दी है। सचिन पायलट ने पार्टी पर उनकी भूमिका की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, कॉन्ग्रेस पार्टी सचिन पायलट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की योजना बना रही है, जबकि राजस्थान के डिप्टी सीएम खुद अपने समर्थन में 30 विधायकों का दावा करने के लिए और अधिक विधायकों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह विपक्षी दल के समक्ष अपनी स्थिति मजबूत कर सकें।
राजस्थान कॉन्ग्रेस के विधायक भंवरलाल शर्मा का दावा है कि सचिन पायलट के समर्थन में इस समय 22 विधायक और इन समर्थक विधायकों की सचिन पायलट को सीएम बनाने की माँग है। जबकि, कॉन्ग्रेस के ही कुछ अन्य सूत्रों का कहना है कि सचिन पायलट को 15-17 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
सीएलपी की बैठक शुरू होने से पहले, सचिन पायलट खेमे के विधायकों ने ट्वीट कर कहा कि कॉन्ग्रेस में रहना अशोक गहलोत का गुलाम होने के समान है। इन विधायकों ने भी सचिन पायलेट के साथ सीएलपी की मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया है।
राजस्थान कॉन्ग्रेस में चल रहा है ‘डर’ का माहौल
बताया जा रहा है कि अपने तीसरे कार्यकाल में अशोक गहलोत असुरक्षित महसूस कर रहे थे क्योंकि सचिन पायलट ने राजस्थान में कॉन्ग्रेस के प्रदेश मुखिया के रूप में खासी मेहनत की थी। उन्होंने चुनाव के दौरान भी अपने लोगों के नाम टिकट के दावेदारों के रूप में आगे बढ़ाया था।
गहलोत पहले भी ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं क्योंकि 2008 में सीपी जोशी के 1 वोट से चुनाव हारने के कारण उन्हें सीएम पद की कुर्सी नहीं मिल पाई थी और गहलोत की किस्मत चमक गई थी।
मध्य प्रदेश में सिंधिया की बगावत के बाद भी राजस्थान में विधायकों को होटल में डाला गया था। अशोक गहलोत ने अंत में सरकारी मशीनरी का उपयोग कर के अपने विरोधियों को चोट पहुँचाने की कोशिश की लेकिन उनका दाँव उलटा पड़ता हुआ भी दिखा। पार्टी के पुराने वफादार अब भी अशोक गहलोत के साथ ही हैं, ऐसे में कहा जा रहा है कि प्रियंका के हस्तक्षेप पर पायलट से पार्टी ने फिर से बातचीत शुरू की है।
उधर राजस्थान में सियासी संकट के बीच उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 102 विधायकों के समर्थन के दावे को ‘गलत’ बताया है। उन्होंने यह बातें समाचार चैनल आज तक से बातचीत में कही।