कॉन्ग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी के गढ़ रायबरेली से ही पार्टी के एक विधायक ने उत्तर प्रदेश में श्रमिकों के बसों के लिए हो रही राजनीति पर सवाल उठाया है। विधायक अदिति सिंह ने अपनी ही पार्टी को आड़े हाथों लिया है।
अदिति सिंह ने अपनी पार्टी से पूछा कि कोरोना की आपदा के समय इतनी ‘ओछी राजनीति’ करने की क्या आवश्यकता थी? बता दें कि अदिति सिंह को कॉन्ग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी ने अगस्त 2018 में महिला कॉन्ग्रेस का नेशनल जनरल सेक्रेटरी मनोनीत किया था।
अदिति ने उत्तर प्रदेश के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और अपनी पार्टी की उसमें भागीदारी पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि जो 1000 बसों की सूची भेजी गई है, उसमें आधी से ज्यादा बसों में फर्जीवाड़ा है।
उन्होंने बताया कि इनमें 297 कबाड़ बसें, 98 आटो रिक्शा व एबुंलेंस जैसी गाड़ियाँ और 68 वाहन बिना कागजात के हैं। उन्होंने अपनी पार्टी से सवाल दागा कि अगर इतनी संख्या में बसें थीं ही तो उन्हें पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में क्यों नहीं लगाया गया?
बता दें कि पंजाब और राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सरकार है। राजस्थान की ही अधिकतर बसों को यूपी भेजा जा रहा है। महाराष्ट्र में पार्टी शिवसेना और एनसीपी के साथ मिल कर सत्ता की मलाई चाभ रही है। अदिति सिंह ने आगे कहा:
“राजस्थान के कोटा में जब उत्तर प्रदेश के हजारों बच्चे फँसे हुए थे, तब कहाँ थीं ये तथाकथित बसें? तब कॉन्ग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए, बॉर्डर तक भी नहीं छोड़ पाई। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रातोंरात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुँचाया। तब खुद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने भी इसकी तारीफ की थी।”
कोटा में जब UP के हजारों बच्चे फंसे थे तब कहां थीं ये तथाकथित बसें, तब कांग्रेस सरकार इन बच्चों को घर तक तो छोड़िए,बार्डर तक ना छोड़ पाई,तब श्री @myogiadityanath जी ने रातों रात बसें लगाकर इन बच्चों को घर पहुंचाया, खुद राजस्थान के सीएम ने भी इसकी तारीफ की थी।
— Aditi Singh (@AditiSinghINC) May 20, 2020
बता दें कि नवम्बर 2019 में कॉन्ग्रेस ने रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह की सदस्यता खत्म करने को लेकर यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को नोटिस दिया था।
अदिति कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉंधी के संसदीय क्षेत्र की सीट से विधानसभा के लिए चुनी गई थीं। वे कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गॉंधी की करीबी मानी जाती हैं। उन पर पार्टी के व्हिप का उल्लंघन कर के विधानसभा सत्र में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। ये सत्र 2 अक्टूबर को बुलाया गया था।
अदिति ने तब पार्टी के कारण बताओ नोटिस का मजाक उड़ाया था। अपनी पार्टी से मिले ‘कारण बताओ नोटिस’ का जवाब देते हुए अदिति ने कहा था कि उन्हें नोटिस मिला ही नहीं है। उन्होंने तंज कसा था कि पार्टी नेता ने मीडिया में नोटिस दिया होगा।
राष्ट्रपति महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के मौके पर अक्टूबर 2, 2019 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में विशेष सत्र आयोजित किया गया था। राज्य की विधानसभा के इस विशेष सत्र का कॉन्ग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने बहिष्कार किया था।
इसके पहले उन्होंने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का भी समर्थन पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर किया था। इसके अलावा उन्होंने प्रियंका गाँधी-वाड्रा के गाँधी जयंती पर किए गए ‘शांति मार्च’ से भी किनारा कर लिया था।
अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर और सत्र में शामिल होकर सभी को चौंका दिया था। वो न सिर्फ़ सत्र में शामिल हुई थीं बल्कि उन्होंने स्वच्छता व पानी जैसे कई मुद्दों पर अपनी बात भी रखी थी। पार्टी अब भी उनसे नाराज़ रहती है।