Friday, November 15, 2024
Homeराजनीतिकर्नाटक में कॉन्ग्रेस की जीत से नीतीश कुमार और ममता बनर्जी को झटका? PM...

कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की जीत से नीतीश कुमार और ममता बनर्जी को झटका? PM चेहरा बनने की आड़ में अटकेगा रोड़ा, अब तक की बैठकों का असर भी बेनतीजा

भले ही इस मुलाकात के बाद नवीन पटनायक ने खुद को विपक्षी दलों की तथाकथित एकता से अलग करने का ऐलान करते हुए लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कही हो और तमाम नेताओं से मुलाकात का परिणाम सिफर ही रहा हो लेकिन नीतीश कुमार किसी भी नेता से मुलाकात करने में कभी भी पीछे नहीं दिखाई दिए।

हिमाचल प्रदेश के बाद अब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस ने जीत दर्ज की है। इस जीत को लेकर पूर्व सांसद राहुल गाँधी समेत पार्टी के कई नेता खुश नजर आए। वहीं, अखिलेश यादव और उद्धव ठाकरे जैसे नेता कॉन्ग्रेस की जीत में अपनी खुशी ढूँढ़ने की कोशिश करते दिखाई दिए। निश्चित तौर पर इस जीत से कॉन्ग्रेस नेताओं ने अपना खोया हुआ आत्मविश्वास हासिल कर लिया होगा। लेकिन कॉन्ग्रेस की इस सफलता से पीएम पद का ख्वाब देख रहे नीतीश कुमार और ममता बनर्जी के सपनों को गहरा धक्का लगा है।

नीतीश-ममता देख रहे पीएम बनने का ख्वाब

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि बिहार सीएम नीतीश कुमार और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी पीएम बनने का ख्वाब सँजोए हुए हैं। अपने इस ख्वाब को पूरा करने के लिए नीतीश कुमार तो पूरे विपक्ष को एकजुट करने में लगे हुए हैं। वह कॉन्ग्रेस ‘अध्यक्ष’ मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गाँधी, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, बंगाल सीएम ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, झारखंड सीएम हेमंत सोरेन, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, उद्धव ठाकरे से लेकर ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक तक से मुलाकात करते दिखाई दिए हैं।

भले ही इस मुलाकात के बाद नवीन पटनायक ने खुद को विपक्षी दलों की तथाकथित एकता से अलग करने का ऐलान करते हुए लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की बात कही हो और तमाम नेताओं से मुलाकात का परिणाम सिफर ही रहा हो लेकिन नीतीश कुमार किसी भी नेता से मुलाकात करने में कभी भी पीछे नहीं दिखाई दिए। वहीं, ममता बनर्जी भी नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं से मुलाकात कर चुकी हैं। साथ ही खुले मंच से विपक्षी एकता की वकालत करती देखी गईं हैं। ऐसे में इस बात में कोई दो राय नहीं है कि नीतीश और ममता सीएम की कुर्सी में बैठकर पीएम बनने का रास्ता खोज रहे हैं।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने से पहले तक राहुल गाँधी की विपक्ष में भूमिका प्रश्नचिन्ह के घेरे में थी। यहाँ तक कि हिमाचल प्रदेश में जीत के बाद भी राहुल गाँधी पार्टी के चेहरे की तरह नहीं दिख रहे थे। हालाँकि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि राहुल की सांसदी जाने के बाद विपक्ष ने एकजुटता दिखाई थी। लेकिन वह एकजुटता राहुल गाँधी के लिए कम बल्कि भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ अधिक थी। कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद कॉन्ग्रेस तो राहुल गाँधी का कद बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित करेगी, ये तो तय है।

यह बढ़ोतरी विपक्ष के नजरिए से अच्छी हो सकती है। विपक्ष इस बात से संतोष कर सकता है कि लोकसभा चुनाव में सिर्फ मोदी लहर का कहर नहीं झेलना पड़ेगा। बल्कि कॉन्ग्रेस भी बीजेपी का मुकाबला करने के लिए जमीनी स्तर पर मजबूत होती दिख रही है। लेकिन ममता और नीतीश के लिए कर्नाटक में कॉन्ग्रेस की जीत किसी सदमे से कम नहीं होगी। दोनों ही नेताओं को यह पता है कि कॉन्ग्रेस का शीर्ष नेतृत्व राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट करने को तैयार है। वहीं, यह भी साफ है कि राहुल गाँधी के नाम पर विपक्ष को एकजुट करने में किसी के भी दाँत खट्टे हो जाएँगे। ऐसे में, नीतीश और ममता को विपक्ष को एक कर पीएम बनने का सपना टूटता हुआ दिख रहा होगा।

हालाँकि विपक्ष एकजुट होगा या नहीं और यदि एकजुट होता है तो क्या नीतीश कुमार या ममता बनर्जी के नाम पर एकजुट हो पाता है या नहीं यह सब तो भविष्य के गर्त में छिपा हुआ है। लेकिन एक बात साफ है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बाद आम चुनाव में जिस तरह मोदी लहर चली उससे हर कोई वाकिफ है। ऐसे में यदि एक बार फिर मोदी लहर चलती है तो विपक्ष का एक होना और न होना एक बराबर ही है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिनके पति का हुआ निधन, उनको कहा – मुस्लिम से निकाह करो, धर्मांतरण के लिए प्रोफेसर ने ही दी रेप की धमकी: जामिया में...

'कॉल फॉर जस्टिस' की रिपोर्ट में भेदभाव से जुड़े इन 27 मामलों में कई घटनाएँ गैर मुस्लिमों के धर्मांतरण या धर्मांतरण के लिए डाले गए दबाव से ही जुड़े हैं।

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -