राम मंदिर भूमिपूजन के दौरान कॉन्ग्रेस ने हिंदुओं को लुभाने के लिए तमाम पैंतरे अपनाएँ। लेकिन जब पार्टी का सॉफ्ट हिन्दू पैंतरा फैल हो गया तो वह वापस से तुष्टिकरण के अपने पुराने तौर-तरीकों पर लौट आई है। इसकी झलक गुरुवार (6 अगस्त, 2020) को तब दिखी जब कॉन्ग्रेस यूथ विंग ने भूमिपूजन के स्वागत का ट्वीट डिलीट कर दिया।
बुधवार को दिल्ली यूथ कॉन्ग्रेस ने एक ट्वीट किया था। इसमें दावा किया गया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने राम मंदिर के ताले खुलवाए थे। यूथ विंग ने यह भी दावा किया कि अयोध्या में ऐतिहासिक स्थल पर आधारशिला रखने वाले वे पहले व्यक्ति थे।
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का श्रेय लेने का दावा करते हुए कॉन्ग्रेस पार्टी की यूथ विंग ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “फीता काटने वाला कोई भी हो राम मंदिर के ताले खुलवाने वाले राजीव गॉंधी थे।”
कॉन्ग्रेस मूल रूप से 1985 में रामजन्मभूमि के दरवाजे खोलने पर तत्कालीन राजीव गाँधी सरकार के फैसले का हवाला दे रही थी।
दिल्ली यूथ कॉन्ग्रेस की तरह ही दमन और दीव कॉन्ग्रेस सेवादल ने भी इसी तरह का एक ट्वीट किया था। इसमें कहा गया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन किसने किया, क्योंकि यह राजीव गाँधी थे जिन्होंने 1985 में राम मंदिर का ताला तोड़ कर उसे मंदिर घोषित किया था। सेवादल ने राजीव गाँधी को ‘हिंदू शेर’ के रूप में संबोधित किया।
हालाँकि राम जन्मभूमि आंदोलन का श्रेय लेने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी का उत्साह, लंबे समय तक नहीं रहा।
गौरतलब है कि राम मंदिर आयोजन के दौरान अपने द्वारा किए गए ट्वीट के लिए कॉन्ग्रेस को अपने वोटरों के समर्थन का डर सताने लगा। जिसके चलते दिल्ली यूथ कांग्रेस और दमन और दीव कॉन्ग्रेस सेवादल दोनों ने ही अयोध्या में राम मंदिर के लिए राजीव गाँधी को श्रेय देने वाले ट्वीट को बाद में डिलीट कर दिया।
भाजपा सरकार पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाते हुए कई मौलवी और संगठन खुले तौर पर भूमि पूजन की निंदा करते रहे हैं। असदुद्दीन ओवैसी जैसे कुछ राजनीतिक नेताओं ने कॉन्ग्रेस पर भी कथित अल्पसंख्यकों को धोखा देने और हिंदू वोटों के लिए सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाया था।
वहीं हनुमान चालीसा का जाप करने और भगवान राम की पूजा करने पर एमपी कॉन्ग्रेस के कमलनाथ की भी एक मजहबी संगठन द्वारा आलोचना की गई थी।