Saturday, July 27, 2024
Homeराजनीति'पीके' के मीडिया मैनेजमेंट से उपजे दिल्ली के Exit Polls?: उनकी ही कोर टीम...

‘पीके’ के मीडिया मैनेजमेंट से उपजे दिल्ली के Exit Polls?: उनकी ही कोर टीम के सदस्य का बड़ा खुलासा

प्रशांत किशोर ने क्या आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपने हिसाब से एग्जिट पोल्स तैयार किए? क्या मीडिया ने वही किया जो 'सेटिंग-गेटिंग' के तहत उन्हें पाठ पढ़ाया गया? जिस तरह से केजरीवाल मीडिया में रह-रह कर मोदी के मुकाबले खड़े किए जाते हैं, उनके प्रति मीडिया के एक बड़े वर्ग की वफादारी छिपी नहीं है।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार का सारा दारोमदार उन्हीं की कम्पनी पर था। उन्होंने ख़ुद व्यक्तिगत रूप से परदे के पीछे से कमान संभाल रखी थी। मोदी की लोकप्रियता के कारण चुनावी गणितज्ञ का तमगा पाने वाले किशोर ने मोदी को धोखा देकर 2015 में नीतीश-लालू गठबंधन का साथ दिया था। हालिया दिल्ली चुनाव में उनके द्वारा मीडिया को मैनेज करने की ख़बर आई। प्रेस क्लब में हुई बैठक में एक-एक पत्रकार को समझाया गया कि माहौल कैसे बनाना है।

मीडिया संस्थान ‘टीवी 9 भारतवर्ष’ के संपादक ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने प्रशांत किशोर की कोर टीम के ही एक सदस्य से बातचीत की। बातचीत के दौरान पता चला कि इस बार के एग्जिट पोल्स भीषण तरीके से ग़लत होने वाले हैं। ऐसा ख़ुद दिल्ली चुनाव की कमान संभाल रहे प्रशांत किशोर की कोर टीम के सदस्य ने कहा। हालाँकि, पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने उक्त व्यक्ति का नाम जाहिर करने से इनकार कर दिया। लेकिन, इससे कई सवाल उभर कर आते हैं? क्या प्रशांत किशोर ने जनता के बीच मेहनत करने से ज्यादा मीडिया में हाइप बनाने में सारा जोर लगाया?

2014 में माहौल ही ऐसा था और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता ही इतनी थी कि उन्हें सत्ता मिली। ज्ञात हो कि केंद्र में होने वाले चुनावों में उनकी लोकप्रियता बढ़ी ही है, घटी नहीं है। इसके बाद प्रशांत किशोर बिहार पहुँचे। मीडिया ने ऐसा प्रचारित किया कि वो राजनीति के ‘चाणक्य’ हो गए हैं और उनसे बड़ा चुनावी रणनीतिकार कोई है ही नहीं। बिहार में लालू-नीतीश की जीत ने मीडिया को इस नैरेटिव को हवा देने में और मदद की। बिहार का समीकरण सीधा है। अगर दो प्रमुख दल मिल जाएँ तो वहाँ सरकार बनने में दिक्कत नहीं आती। राज्य के दो सबसे बड़े जनाधार वाली पार्टियाँ मिल गईं और क्रेडिट प्रशांत ने लूटा।

पंजाब में उन्होंने कॉन्ग्रेस के लिए चुनाव प्रचार किया। बादल परिवार के ख़िलाफ़ माहौल और अकाली-भाजपा सरकार की एंटी-इंकम्बेंसी का उन्होंने ख़ूब फायदा उठाया। कॉन्ग्रेस की जीत की सम्भावना पहले से ही जताई जा रही थी लेकिन प्रशांत किशोर ने फिर लहरिया लूटने की कोशिश की। मीडिया ने फिर उनका साथ दिया। आंध्र प्रदेश में किसे नहीं पता था कि जगनमोहन रेड्डी की सरकार आने वाली है? उनकी बड़ी जीत हुई और प्रशांत किशोर फिर से ख़ुद को बड़ा ‘रणनीतिकार’ साबित करने में जुट गए। श्रेय लेने के लिए वो हर उस जगह गए, जहाँ माहौल अनुरूप था।

प्रशांत किशोर ने क्या आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपने हिसाब से एग्जिट पोल्स तैयार किए? क्या मीडिया ने वही किया जो ‘सेटिंग-गेटिंग’ के तहत उन्हें पाठ पढ़ाया गया? जिस तरह से केजरीवाल मीडिया में रह-रह कर मोदी के मुकाबले खड़े किए जाते हैं, उनके प्रति मीडिया के एक बड़े वर्ग की वफादारी छिपी नहीं है। ऐसे में, सवाल तो पूछे जाएँगे। ‘टीवी 9 भारतवर्ष’ के सम्पादक ने जो खुलासा किया है, उसे आधार बना कर ऐसे कई सवाल पूछे जा सकते हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -