Saturday, July 27, 2024
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ये दिवाली पटाखों वाली… केंद्र सरकार ने लॉन्च किए पर्यावरण के अनुकूल ग्रीन क्रैकर्स, SC ने लगाई थी रोक

ग्रीन क्रैकर्स के बारे में CSIR की मुख्य वैज्ञानिक डॉ साधना का कहना है कि इन पर NEERI का ग्रीन ‘Logo’ और एक QR कोड है, जो इनकी पहचान है। इसकी जाँच करके इनकी असलियत का पता लगाया जा सकता है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार (6 अक्टूबर) को कहा कि इस बार दीपावली पर देशभर में कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन क्रैकर्स उपलब्ध रहेंगे, जो पर्यावारण के अनूकल होंगे। डॉ हर्षवर्धन ने अनुसंधान भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंन्स में कहा कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद इस तरह के पटाखों को बनाने के बारे में सोचा गया और इसी दिशा में काम करते हुए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) ने ग्रीन क्रैकर्स के विकास में अहम भूमिका निभाई। इस चुनौतीपूर्ण कार्य में CSIR की आठ सहयोगी प्रयोगशालाओं ने भी सहयोग दिया।

इस अवसर पर डॉ हर्षवर्धन ने कहा,

“मुझे बहुत ख़ुशी है कि एक तरफ, हम इस दिवाली पर पर्यावरण के अनुकूल पटाखे का इस्तेमाल करेंगे और दूसरी तरफ, रोशनी और पटाखों के साथ हमारे पारंपरिक त्योहार का उत्सव बरकरार रहेगा। लाखों घर जो आतिशबाज़ी की बिक्री और निर्माण पर निर्भर हैं, वे भी इस त्योहार का आनंद लेंगे। हमारे वैज्ञानिकों को धन्यवाद!”

उन्होंने कहा कि CSIR के पटाखों के बारे में फॉर्मूलेशन के बाद पटाखा उत्पादकों ने इसी आधार पर पटाखे बनाए हैं और पटाखा उत्पादकों के साथ लगभग 230 आपसी सहमति पत्रों और 165 नॉन डिसक्लोजर एग्रीमेंट्स (NDA) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने पटाखा उत्पादकों से CSIR की तरफ से सुझाए गए फॉर्मुलेशन के आधार पर पटाखे बनाने और बाजार में उतारे जाने से पहले इनकी जाँच तथा उत्सर्जन का आग्रह भी किया। CSIR द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (NEERI) तथा राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (NABL) की प्रयोगशालाओं में इनकी जाँच की जा सकेगी। इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी और सुतली बम आदि शामिल हैं। 

इस अवसर पर CSIR के महानिदेशक डॉ शेखर सी मांदे ने बताया कि CSIR के लिए ग्रीन क्रैकर्स के बारे में फॉर्मूलेशन तैयार करना और इस तरह के पटाखों की परिभाषा को तैयार करना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है ताकि ऐसे पटाखों से कम से कम उत्सर्जक तत्व वातावरण में छूटें। CSIR ने ग्रीन क्रैकर्स के लिए बेंचमार्क के लिए तकनीकी कानूनी और नीतिगत हस्तक्षेप में अपनी तरफ से योगदान दिया और पारंपरिक पटाखों तथा ग्रीन क्रैकर्स में बेरियम के स्तर की जाँच की।

इस मौके पर NEERI के निदेशक डॉ राकेश कुमार ने बताया कि ग्रीन क्रैकर्स के विकास में द्विस्तरीय प्रकिया अपनाई गई और CSIR के साथ मिलकर उनके संस्थान ने पांरपारिक पटाखों में इस्तेमाल होने वाले बेरियम नाईट्रेट के स्तर की जाँच कर ग्रीन क्रैकर्स के लिए एक नया मानक अपनाया। इस विधि से ग्रीन क्रैकर्स में 30 से लेकर 90 प्रतिशत बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल कम किया गया और कईं पटाखों में यह बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया। इन पटाखों में ऑक्सीडेंट के तौर पर पोटेशियम नाईट्रेट का इस्तेमाल किया गया। 

उन्होंने बताया कि ग्रीन क्रैकर्स बनाने वाली इकाइयों को नई एवं संशोधित विधियों को पूरा कर एक निश्चित बेंचमार्क तक पटाखे बनाने के लिए 530 उत्सर्जन प्रमाणपत्र दिए गए हैं। 

ग्रीन क्रैकर्स के बारे में CSIR की मुख्य वैज्ञानिक डॉ साधना रायालु और उनकी टीम का कहना है कि इन पर NEERI का ग्रीन ‘Logo’ और एक QR कोड है जो इनकी पहचान हैं। इस कोड की जाँच करके इनकी असलियत का पता लगाया जा सकता है।

ग्रीन क्रैकर्स के संबंध में किसी भी जानकारी के लिए मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर पर सम्पर्क किया जा सकता है। इसकी इमेल आईडी [email protected] और हेल्पलाइन नंबर +918617770964 और +919049598046 है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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