एक सांसद थे। संसद में आने से पहले उसने IAS अधिकारी का ही मर्डर कर दिया था। कोर्ट ने फाँसी की सजा भी सुना दी। बाद में उम्रकैद हुई। उस हत्यारे ने जेल में सजा भी काट ली। अब मीडिया को कह रहा है – “मेरे लिए क्रिमिनल शब्द का प्रयोग मत करो।” बात हो रही है बहार वाले बिहार की। कानून ने जिसे हत्यारा माना है, वो शख्स है आनंद मोहन सिंह।
बिहार की नीतीश सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 में संशोधन किया। इससे बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो गया। आनंद मोहन गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या में शामिल था और आजीवन कारावास की सजा काट रहा था।
आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की सगाई के सिलसिले में पेरोल पर बाहर आया। 26 अप्रैल को उसका पेरोल खत्म हो रहा था, इसलिए वो सहरसा जेल वापस चला गया। अब बिहार सरकार की तरफ से जेल नियमावली संशोधन संबंधी नोटिफिकेशन जारी किए जाने के बाद IAS अधिकारी के हत्यारे को 27 अप्रैल को ही जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
पेरोल पर बाहर निकलने के बाद आनंद मोहन ने पत्रकारों से अपनी रिहाई को लेकर खूब चर्चा की। नेटवर्क 18 को दिए गए एक इंटरव्यू में तो उसने खुद को क्रिमिनल कहे जाने को लेकर आपत्ति भी जताई। नेटवर्क 18 जब आनंद मोहन का इंटरव्यू कर रहा था, उस वक्त उसके साथ पत्नी लवली आनंद और बेटा चेतन भी मौजूद थे। इस दौरान आनंद मोहन ने कहा कि उसे जो सजा हुई, उसे किस्मत समझकर काट लिया।
पत्रकार ने जब पूछा कि उसकी छवि तो क्रिमिनल की बन गई थी, इस पर सवाल पूरा हुए बिना आनंद मोहन ने आपत्ति जताते हुए पत्रकार से ही सवाल करना शुरू कर दिया। उसने कहा कि क्या उस पर रंगदारी माँगने का आरोप है? क्या रेप के आरोप हैं? उसने आगे यह भी पूछा कि क्या किसी क्रिमिनल को अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता साथ बैठाएँगे? लालू, नीतीश या मोदी क्यों साथ बैठाएँगे। आनंद मोहन ने कहा कि वो फ्रीडम फाइटर्स के परिवार से आता है और जेपी आंदोलन से राजनीति में कदम रखा। उसने कहा कि वो लोगों के लिए लगातार सत्ता से लड़ाई लड़ा है, जो कोई क्रिमिनल नहीं कर सकता।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आनंद मोहन ने कहा कि क्रिमिनल शब्द को न दोहराएँ क्योंकि यह शब्द उसके लिए उसके विरोधी भी इस्तेमाल नहीं करते। इस नेता से जब यह पूछा गया कि क्या उसकी रिहाई बीजेपी के अपर कास्ट वोट बैंक को तोड़ने के लिए की जा रही है, तो उसने कहा कि वो सभी तबकों की राजनीति करता है। लोग अलग-अलग आईने से इसे देखते हैं। बता दें कि आनंद मोहन राजपूत तबके से आते हैं।
आनंद मोहन से जब पूछा गया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने उसकी रिहाई के फैसले पर सवाल उठाया है, तो इस पर उसने तंज कसते हुए पूछा – “कौन मायावती? हम बचपन से कलावती को जानते हैं। सत्यनारायण भगवान की कथा में है। मायावती कौन है, हम नहीं जानते।”
#WATCH | We are not happy, we feel it is wrong. There is caste politics in Bihar, he is a Rajput, so he will get Rajput votes and that is why he is being taken out (from jail), otherwise, what is the need of bringing a criminal. He will be given election ticket so that he can… pic.twitter.com/dfWgGZ5KEx
— ANI (@ANI) April 25, 2023
बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया की विधवा उमा देवी ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा है, “मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। उसने एक ईमानदार अधिकारी को मारा था। उसको जैसी सजा मिलनी चाहिए, वो नहीं मिली। उसकी रिहाई का सबको विरोध करना चाहिए।”
साथ ही उन्होंने इस फैसले के लिए बिहार की जातीय राजनीति को भी जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा, “बिहार में जाति की राजनीति है। वह (आनंद मोहन) राजपूत है। राजपूतों का वोट पाने के लिए उसे जेल से छोड़ा जा रहा है। यदि ऐसा नहीं होता तो एक अपराधी को बाहर लाने की क्या जरूरत थी।”
The Central IAS Association expresses its deep dismay at the decision of the State Government of Bihar to release the convicts of the brutal killing of Late Shri G Krishnaiah, IAS, former District Magistrate of Gopalganj, by a change in classification rules of prisoners. pic.twitter.com/a84s7pYL20
— IAS Association (@IASassociation) April 25, 2023
उधर आईएएस एसोसिएशन ने भी आनंद मोहन को रिहा किए जाने के फैसले की निंदा की। आईएएस एसोसिएशन ने ट्वीट कर फैसले को निराशाजनक बताया। एसोसिएशन की तरफ से लिखा गया कि आनंद मोहन ने जी कृष्णैया की नृशंस हत्या की थी। ऐसे में उसकी रिहाई दुखद है। बिहार सरकार जल्दी से जल्दी फैसला वापस ले। ऐसा नहीं हुआ तो इस फैसले को न्याय से वंचित किए जाने के तौर पर देखा जाएगा।