राजस्थान का एक ऐसा नेता या एक मौलवी कह लीजिए, जिसके सामने अधिकारियों की एक नहीं चलती। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता क्योंकि उसकी सत्ता सरहद के इस पार भी चलती है और उस पार भी। मजहब विशेष के सिंधी उसे रहनुमा के रूप में देखते हैं। अपने इलाक़े में कॉन्ग्रेस का झंडा बुलंद करने वाले फ़क़ीर के रसूख का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आपराधिक रिकॉर्ड-बुक खोलने वाला कोई भी अधिकारी इलाक़े में नहीं टिकता। एक और ख़ास बात यह कि अशोक गहलोत की सरकार आते ही उसका प्रभाव बढ़ जाता है। उसके परिवार और रिश्तेदारी में दर्जनों लोग अलग-अलग महत्वपूर्ण पदों पर काबिज़ हैं। जैसलमेर स्थित उसके गाँव से लेकर अजमेर जिला परिषद और राज्य मंत्रिमंडल तक हर जगह उसके लोग हैं।
आगे बढ़ने से पहले बता दें कि गाज़ी फ़क़ीर का बेटा सालेह मोहम्मद अभी राजस्थान सरकार में मंत्री है। वह पिछले 66 वर्षों में जैसलमेर जिले से मंत्री बनने वाला पहला व्यक्ति है। यह गाज़ी का ही प्रभाव था कि उसने अपने बेटे को 23 वर्ष की उम्र में ही पंचायत समिति का प्रधान बनवा दिया था। इसके बाद जिला प्रमुख से विधायक और फिर मंत्री तक के सफर में सालेह ने अपने पिता के हाथ को मजबूत किया। आज हम गाज़ी फ़क़ीर की बात इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि इससे जुड़ी एक बड़ी ख़बर आई है। उसके इतिहास और भूगोल को समझने से पहले हमें आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के केस को समझना पड़ेगा, जिन्हें आज गुरुवार (मार्च 7, 2019) को बर्ख़ास्त कर दिया गया। इसीलिए पहले इस ख़बर को जानते हैं।
पंकज चौधरी को आज इसीलिए बर्ख़ास्त किया गया क्योंकि उनकी एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करने का दोषी पाया गया। लेकिन, कुछ लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार व नेताओं के ख़िलाफ़ मुखर रहने के कारण उन पर गाज गिरती आई है। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारी राजीव दावोस पर सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा है कि वे इस आदेश को चुनौती देंगे। पंकज पहली बार तब चर्चा में आए थे जब जैसलमेर से उनका तबादला करा दिया गया था। उनका अपराध बस इतना था कि उन्होंने तथाकथित डॉन गाज़ी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खोल दी थी। साढ़े पाँच दशकों से अपराध, राजनीति और वर्चस्व की दुनिया का माहिर खिलाड़ी गाज़ी साठ के दशक से ही अपराध की दुनिया में सक्रिय है।
पोखरण पर राज करने वाले गाज़ी फ़क़ीर के बारे में पंकज चौधरी ने कई सनसनीखेज ख़ुलासे किए थे। देशद्रोह सहित कई मामलों में आरोपित गाज़ी कई वर्षों से भारतीय एजेंसियों के पकड़ में नहीं आ पाया क्योंकि उसके ख़िलाफ़ सबूत ही नहीं होते हैं। पुलिस हिस्ट्रीशीट में उसका नाम 1965 से ही आता रहा है लेकिन कॉन्ग्रेस में उसके वर्चस्व के कारण कोई उसका बाल भी बाँका नहीं कर सका। पंकज चौधरी ने कहा था कि उनके पूर्ववर्तियों ने गाज़ी के बारे में फाइल्स में कई भयानक बातें लिख रखी थी। उन्होंने उसका अधिक विवरण देने से इनकार कर दिया था लेकिन उनके इस बयान से स्थिति की गंभीरता को समझा जा सकता है। उसके ख़िलाफ़ जुलाई 1965 के एक तस्करी वाले मामले को फिर से खोला गया था।
स्थानीय प्रशासन में उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि ऊपर से आदेश के बावजूद उसको छुआ तक नहीं जा सका। उसके ख़िलाफ़ तैयार की गई फाइल 1984 में गायब हो गई। उस समय राज्य में कॉन्ग्रेस की सरकार थी। 1990 में एक एसपी आए जिन्होंने गाज़ी पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। एसपी सुधीर प्रताप सिंह को राजस्थान सरकार ने चुपचाप ट्रांसफर कर दिया। 2011 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने फिर से उस हिस्ट्रीशीट को बंद करवा दिया। इसके बाद दृश्य में पंकज चौधरी की एंट्री हुई जिन्होंने गाज़ी पर नकेल कसी। लेकिन अफ़सोस, उनका कार्य भी अधूरा रह गया और इससे पहले कि वे किसी नतीजे पर पहुँच पाते, उनका भी ट्रांसफर करवा दिया गया। आज उन्हें सेवा से बर्ख़ास्त ही कर दिया गया। ऐसे में, इस सिक्के के कई पहलू हो सकते हैं।
गाजी फकीर फैमिली के खिलाफ पक्के सबूतः SP पंकज चौधरीhttp://t.co/apIVb5Z7iP
— News18 India (@News18India) August 5, 2013
राजस्थान में फिर से कॉन्ग्रेस की सरकार है। अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री हैं। गाज़ी का बेटा उनके मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा है। ऐसे में गाज़ी का वर्चस्व फिर से सर चढ़ कर बोलने लगा है। हालाँकि, 80 से भी अधिक के उम्र में उसकी सक्रियता ज़रूर कम हो गई है, लेकिन उसका प्रभाव अभी भी उतना ही है। गाज़ी के बारे में सबसे बड़ी बात श्रीकांत घोष की पुस्तक ‘Pakistan’s ISI: Network of Terror in India‘ में कही गई थी। इस पुस्तक के पृष्ठ संख्या 55 पर गाज़ी फ़क़ीर का जिक्र किया गया है और बताया गया है कि कैसे वह भारत में रह कर पाकिस्तान का कार्य करता आया है। घोष इस पुस्तक में लिखते हैं कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई राजस्थान में काफ़ी सक्रिया हो चली है और सरकार समय रहते जागृत नहीं हुई तो राज्य की हरेक गली में आईएसआई के आदमी होंगे।
घोष लिखते हैं कि भारतीय क्षेत्रों में इस्लामी कट्टरवाद को बढ़ावा देना पाकिस्तान का एकमात्र लक्ष्य है। राज्य सरकारों ने वोट्स के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने एक बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि राजस्थान में स्थित मदरसों में आईएसआई एजेंट किसी न किसी रूप में घुसते रहे हैं और हज़ार किलोमीटर से भी अधिक की राजस्थान-पाकिस्तान सीमा से अवैध घुसपैठ कर पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय मदरसों में स्थापित किया जाता है। उन्होंने सीमा क्षेत्र में सक्रिय एक इस्लामी संस्था तबलीग-ए-जमात का जिक्र करते हुए लिखा है कि इलाक़े में सैयाद शाह मर्दान शाह-II यानी पीर पगारो का प्रभाव पढ़ रहा है। पीर पगारो पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ) का अध्यक्ष है।
इसके आगे श्रीकांत घोष ने जो लिखा है, वो आपको गाज़ी फ़क़ीर के बारे में बहुत कुछ साफ़ कर देगा। उन्होंने लिखा है कि गाज़ी फ़क़ीर पाकिस्तान के इसी अभियान का एक हिस्सा है जो पीर पगारो का भारतीय एजेंट है। जैसलमेर निवासी गाज़ी फ़क़ीर पाकिस्तान की सीमा पर की जा रही आतंकी गतिविधियों में उसकी मदद करता है। इसके अलावा वह पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय सीमा पर स्थित गाँवों में बसाने में मदद करता है। राज्य में भले ही कॉन्ग्रेस की सरकार हो लेकिन अजमेर, जैसलमेर सहित अन्य सीमावर्ती जिलों में गाज़ी ही सरकार होता है।
गहलोत ने
— प्रशान्त पटेल उमराव (@ippatel) August 4, 2013
कांग्रेसी गुंडे ग़ाज़ी फ़क़ीर पर कार्रवाई करने पर
जैसलमेर के S.P.पंकज चौधरी का ट्रान्सफर किया,
लोगों में भारी रोष . .
लगभग यही बात पंकज चौधरी ने भी कही। चौधरी ने बताया था कि कॉन्ग्रेस नेता सालेह मोहम्मद (गाज़ी का बेटा) के पेट्रोल पंप से एक पाकिस्तानी जासूस को गिरफ़्तार किया गया था। वह भारतीय वायु सेना के ‘ऑपरेशन फिस्ट वॉर एक्सरसाइज’ के बारे में पाकिस्तान को जानकारियाँ भेज रहा था। चौधरी ने कहा था कि राजनीतिक रसूख के कारण उसके पेट्रोल पंप से पाकिस्तानी जासूस के गिरफ़्तार होने के बावजूद उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। एक एसपी का 1990 में हिस्ट्रीशीट खोलने के 28 दिन बाद तो दूसरे का 2013 में 48 घंटे बाद ट्रांसफर करवा दिया गया।
2013 में राजस्थान पुलिस के एक कॉन्स्टेबल ने अपना तबादला कराने की माँग की थी। जैसलमेर में तैनात कॉन्स्टेबल को अपनी जान का डर सताने लगा था। पप्पू राम ने यहाँ तक कहा था कि गाज़ी के बेटे ने (जो उस समय विधायक था) उसे पेट्रोल छिड़क कर जान से मार देने की धमकी दी थी। अपने और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित पप्पू राम ने सरकार से कहा था कि उसे कहीं भी भेज दिया जाए, सिवाय जैसलमेर के। गाज़ी के बारे में यह जान कर आप दंग रह जाएँगे कि 2011 में तत्कालीन एसपी की अनुमति लिए बिना एक ASP रैंक के पुलिस अधिकारी ने उसकी फाइल बंद कर डाली थी। तत्कालीन अपराध सहायक ने इसका विरोध भी किया था। नियमानुसार एसपी ही फाइल बंद कर सकता है।