Tuesday, March 19, 2024
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हिंदुओं ने दिया मोदी को वोट, हिंसा और नफरत ही अब भारत का भविष्य: स्वरा भास्कर

जो झाग निकले हैं लिबटार्ड गिरोह के नुमाइंदों के मुँह से, वो एक दर्शनीय घटना। इस गिरोह के कई सदस्यों के विष-फुंकार से लेकर मिर्गी के दौरों की सारी अपडेट यहाँ दी जाएगी।

हाल ही में आए एग्जिट पोल पर तीन दिनों से जो झाग निकले हैं लिबटार्ड गिरोह के नुमाइंदों के मुँह से, वो एक दर्शनीय घटना थी। अब लोकसभा चुनावों के नतीजे सामने आने लगे हैं, तो इसमें इस गिरोह के कई सदस्यों के विष-फुंकार से लेकर मिर्गी के दौरों की सारी अपडेट यहाँ दी जाएगी।

23 मिनट के भीतर स्वरा भास्कर की ‘घर वापसी’

कॉन्ग्रेस को अब मीडिया में भी ‘गठबंधन साथियों’ की कमी पड़ेगी क्या?

इस आक्रोश को जितना दबाओगे, जितना नीचा दिखाओगे, जितनी खिल्ली उड़ाओगे, उतना यह उबलेगा! और तुम्हारी गंदी राजनीति को लावे की तरह लील लेगा।

उम्मीद पर दुनिया कायम है!

लगे रहो!

ये वाला एंगल ट्राई कर लीजियेगा अगली बार… देखिएगा क्या नतीजा होता है!

आपके चिरयुवा नेता के आगे आपको कैप्टन नहीं दिखे?

क्रिकेट में अगर कोई पैसा एक टीम पर लगाए और फील्डिंग दूसरी टीम से करे तो वह भ्रष्टाचारी होता है! मीडिया में ऐसे लोगों को क्या कहेंगे?

कल तक मजाक में कहते थे, आज सच में लगता है ये लोग भाजपा के स्लीपर सेल हैं!

जैसा चल रहा है, वैसा ही चलेगा… आपको दिक्कत है तो 2024 में यही प्रोपेगैंडा आजमा लीजिएगा!

काश, आतंकवाद सच में आपके लिए मुद्दा होता, मन बहलाने का साधन नहीं…

स्वरा जी, अब बस “ये गलियाँ, ये चौबारा…” गा दीजिए!!

रेवती जी, पुरुषार्थ का अर्थ समझने ये किस के पास चली गईं आप?

स्वरा भास्कर आख़िरकार बिल से बाहर आईं, और 2024 में भाजपा की जीत के लिए कैम्पेनिंग शुरू कर दी।

रवीश जी का दिल है, कि मानता नहीं… टिंग-रिंग…

इन दोनों का रिटायरमेंट प्लान

ये बताइए, नेहरू जीत रहे हैं या हार रहे हैं?

इनके नाम का अपभ्रंश जिसने भी बनाया, सही बनाया!

आप पाँच साल भी वहीं रह जाएँ तो भी देश को कुछ फर्क नहीं पड़ना!

आप पहले आतिश तासीर को समझाइए! लड़का अभी पूरी तरह हाथ से नहीं निकला है…

ये कन्फ्यूज्ड टाइप के लिबरल हैं- वैचारिक रूप से नहीं, इस बात में कि गुलाटी मारने में ज्यादा फायदा है, या वफ़ादारी दिखाए जाने में…

प्रिय कारवाँ वालों, सारा जहर आज ही उगल लोगे तो पाँच साल क्या करोगे?

आपको किसी ने रोका था साध्वी के खिलाफ चुनाव लड़ने से?

इतनी तेजी से तो केजरीवाल और मुलायम ने भी यू-टर्न नहीं मारे थे…

एनडीटीवी का लोगो भी भगवा होने वाला है क्या?

समझ नहीं आता इस पर कैसी प्रतिक्रिया दी जा सकती है!!

न्यू यॉर्क टाइम्स की अक्ल अभी भी ठिकाने नहीं आई:

बेरोजगारी का दुःख निखिल वागले से बेहतर तो बरखा दत्त भी नहीं जानतीं! भौत हार्ड, भाई…

मतलब बालाकोट और सर्जिकल स्ट्राइक के श्रेय मोदी को देना गलत, और ऑपरेशनल चूक मोदी की साजिश? वाह हरतोष जी, वाह!

राणा जी को कोई ‘a while’ का मतलब समझाओ! इतना लम्बा while कौन से शब्दकोश से आ रहा है?

राणा जी हमें माफ़ करना, पर गलती थारे से भी हुई थी!

स्वाति चतुर्वेदी से और दुःख बर्दाश्त नहीं होता। लेकिन ये कमबख्त न्यूज़ वाले हैं कि परिणाम के अलावा कुछ दिखा ही नहीं रहे! कृषि दर्शन कहाँ है?

तहसीन पूनावाला ‘The Monk Who Became Chief Minister’ के लेखक शांतनु गुप्ता को ज्ञान दे रहे थे कि भाजपा ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के चुनाव में भी EVM हैक कर ली थी, इसी से उसे प्रतिशत मिला। शांतनु ने पूछा कि भाजपा ने ‘हैकिंग’ के बल पर खुद को केवल प्रतिशत ही दिया, सीटें नहीं?

स्वाति जी, आप एनडीटीवी पर न भी लिखतीं तो भी यह दीवार पर लिखी इबारत थी।

मतलब भाड़े की प्रोटेस्टर कम्युनिस्टों में पाँच साल से ‘अल तकिया’ कर बैठीं थीं? या फिर इस्लाम और कम्युनिज्म में अंतर ही नहीं है?

वैसे भी ये दिल्ली में “आवारा” बन क्रांति करती हैं, और कश्मीर पहुँचते ही चीनी के बोरे लपेट लेती हैं।

मतलब ‘मुस्लिम होने का अहसास ‘मोदी के आने से ज्यादा होता है, चीनी का बोरा ओढ़ लेने से कम ?

ये मैडम शेखर गुप्ता, राहुल कँवल, स्वाति चतुर्वेदी, करुणा नंदी जैसे ‘लिबरलों’ द्वारा फॉलो की जाती हैं। मोदी से पाँच साल ट्विटर पर वह किसे-किसे फॉलो करते हैं, इस पर इस्तीफा माँगने वाले इन लोगों के इस्तीफे माँगेंगे?

नतीजे आने से पहले ही स्पष्टीकरण शुरू:

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

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एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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