Friday, April 26, 2024
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प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने दिए थे सिखों की हत्या के आदेश: सीनियर एडवोकेट फूलका

चौधरी चरण सिंह, देवी लाल, शरद यादव, और रामविलास पासवान ने भी सिखों के कत्लेआम को रोकने के लिए सेना बुलाने का आग्रह राष्ट्रपति से किया था। लेकिन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने सेना नहीं बुलाई और दंगे होने दिए।

दिल्ली उच्च न्यायालय में सीनियर एडवोकेट हरविंदर सिंह फूलका ने दिवंगत प्रधानमंत्री राजीव गाँधी पर संगीन आरोप लगाए हैं। फूलका ने कहा कि 1984 दंगों के समय सिखों की हत्या करने के लिए आदेश सीधा प्रधानमंत्री कार्यालय से आते थे।

फूलका ने अपनी बात को विस्तार देते हुए कहा कि शांति भूषण (जो मोरारजी देसाई के समय मंत्री थे) ने नानावटी आयोग के सामने बयान दिया था कि उन्होंने 1 नवंबर 1984 को तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हा राव से सेना बुलाने का आग्रह किया था जो राव ने स्वीकार कर लिया था।

फूलका ने ANI को बताया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि सिखों को मारने के आदेश सीधा राजीव गाँधी के कार्यालय से आते थे और जानबूझकर दंगों को रुकवाने के लिए सेना नहीं बुलाई गई थी। फूलका के अनुसार उन्होंने दंगों की जाँच कर रहे नानावटी आयोग और मिश्रा आयोग के सामने भी यह बात कही थी।

नरसिम्हा राव ने शांति भूषण के आग्रह पर RAX फोन द्वारा किसी मंत्री से बात की थी लेकिन उधर से दंगों को रोकने के लिए सेना की तैनाती के संबंध में कोई उत्तर नहीं मिला जिसके बाद राव चुप हो गए थे तब शांति भूषण वहाँ से चले गए थे।

उस समय चरण सिंह, देवी लाल, शरद यादव, और रामविलास पासवान ने भी सिखों के कत्लेआम को रोकने के लिए सेना बुलाने का आग्रह राष्ट्रपति से किया था। लेकिन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने सेना नहीं बुलाई और दंगे होने दिए। सेना की एक टुकड़ी सफदरजंग पहुँच चुकी थी और सैनिकों ने दंगे रोकने की कोशिश की थी लेकिन तभी एक सैन्य अधिकारी ने उनसे कहा कि हमें दंगे रोकने के आदेश नहीं मिले हैं, और फिर सेना की टुकड़ी वापस कैंटोनमेंट चली गई।

फूलका के अनुसार ये सभी बातें दंगों की जाँच कर रहे आयोग के सामने दर्ज की गई थीं। फूलका ने कहा कि 1 नवंबर 1984 को सिखों का नरसंहार हो रहा था और 5000 सैनिक दिल्ली में मौजूद थे लेकिन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने उन्हें दंगे रोकने के आदेश नहीं दिए जिसके कारण 2000 सिखों की जान गई।

फूलका ने कहा कि कमलनाथ रकाबगंज गुरुद्वारा गए थे। गुरुद्वारा जल रहा था और गुरुद्वारे में दो सिखों को ज़िंदा जला दिया गया था। यह पुलिस रिपोर्ट में दर्ज है कि कमलनाथ गुरुद्वारा गए थे और उन्हें प्रधानमंत्री ने भेजा था। फूलका के अनुसार कॉन्ग्रेस पार्टी के लोगों ने सत्ता का लाभ उठाते हुए सभी सबूत मिटा दिए लेकिन अभी भी बहुत से साक्ष्य ऐसे हैं जो 1984 के सिख नरसंहार में राजीव गाँधी की प्रत्यक्ष संलिप्तता को सिद्ध करते हैं।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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