पिछले साल झारखंड में विधानसभा चुनाव के बाद एक विधायक का ढोल मीडिया ने खूब पीटा था। ये थीं राज्य की सबसे कम उम्र की विधायक अंबा प्रसाद। बड़कागॉंव से कॉन्ग्रेस की इस विधायक ने एक ‘बड़ा’ कारनामा किया है।
लॉकडाउन में सैकड़ों लोगों की सभा को अंबा प्रसाद ने संबोधित किया है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इस दौरान पूलिस मूकदर्शक बनी रही। सोशल डिस्टेंसिंग का किसी को ख्याल नहीं था।
अंबा प्रसाद ने रविवार (31मई 2020) को केरेडारी प्रखंड के पांडू गाँव में सभा की। इसके लिए प्रशासन से इजाजत नहीं ली गई थी। उल्लेखनीय है कि कोरोना की वजह से लॉकडाउन के साथ इलाके में धारा 144 भी लागू है।
दरअसल विधायक ने एनटीपीसी कोयला खनन परियोजना क्षेत्र के कार्यों को लेकर विस्थपितों और प्रभावित भू-रैयतों के साथ बैठक की थी। बता दें केरेडारी के पांडू और तरहेसा गाँव में कनवेयर बेल्ट के लिए रास्ता बनाने का काम शुरू किया गया है। इस काम को रोकने के लिए अंबा प्रसाद ने ग्रामीणों के साथ बैठक की थी।
जानकारी के अनुसार इस सभा के आयोजन के दौरान केरेडारी के बेलतु पिकेट के पुलिसकर्मी बेंगवरी मोड़ के समीप गश्ती कर रहे थे। सिर्फ 300 कदम की दूरी पर मौजूद पुलिस वालों ने भी इतनी भारी संख्या में मौजूद लोगों की भीड़ ओर ध्यान नहीं दिया या फिर देख कर भी अनदेखा कर दिया।
कल हुई बैठक को लेकर झारखंड के भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाह ने ट्विटर के जरिए, सोशल डिस्टेंसिग को ताक पर रखते हुए की गई जनसभा को लेकर कई फ़ोटो शेयर किए। जहाँ उन्होंने विधायक की इस लापरवाही को लेकर उनपर कार्यवाही की माँग की है।
@INCIndia की विधायक @AmbaPrasadINC ने केरेडारी(पांडु) में #CoronaPandemic के काल में #Lockdown को तोड़ कर सभा की। #Social_distancing की धज्जियां उड़ी।उपस्थित सैकड़ों लोगों की जान को सांसत में डाला।सभा की सूचना भी प्रशासन को नहीं थी।
— Pratul Shah Deo (@pratulshahdeo) May 31, 2020
उम्मीद है @JharkhandPolice इस पर कार्यवाई करेगी pic.twitter.com/aXtt3Mwc6r
सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में डाल सभा के आयोजन ने तूल तब पकड़ा जब लोगों ने इसकी फ़ोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया।
इसके बाद कॉन्ग्रेस विधायक ने सफाई देते हुए कहा कि बैठक गाँव वालों ने अपनी समस्या के समाधान के लिए आयोजित की गई थी। विशेष आग्रह पर ही वो उनकी स्थिति को समझने वहाँ पहुँची थी। लेकिन लोगों की भीड़ देखते ही उन्होंने दूरी बना ली। उनकी बातों को सुनने के बाद वो वहाँ से तुरंत चली गई थीं। सोशल डिस्टेंसिग को मद्देनजर रखते हुए उन्होंने ग्रामीणों से उनके आवेदनों को जमा करा लिया और उन्हें समझ-बुझाकर वापस भेज दिया था।
जिला प्रशासन बताया कि किसी भी अधिकारी को इस बैठक की खबर नहीं थी। बैठक के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति भी नहीं ली गई थी। सीओ अरुण कुमारी तिर्की ने बताया कि रैयतों के साथ बैठक के बारे प्रशासन को कोई सूचना नहीं दी गई थी।