Tuesday, November 19, 2024
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मोइली-सिब्बल ने कॉन्ग्रेस में बड़े सुधार की जरूरत बताई, कहा- नहीं हुई ‘मेजर सर्जरी’ तो खत्म हो जाएगी पार्टी

“यदि हमारा मुखिया ही हमें नहीं सुनेगा तो पार्टी लगातार गिरती चली जाएगी, इसलिए कॉन्ग्रेस पार्टी को हमारे सुझाव सुनने चाहिए।“

उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद कॉन्ग्रेस के भीतर सुधार की माँग उठने लगी है। कॉन्ग्रेस के ही वरिष्ठ नेता पार्टी में सुधार की माँग कर रहे हैं। इनमें कपिल सिब्बल और पूर्व केन्द्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली प्रमुख रूप से शामिल हैं। दोनों नेताओं ने कॉन्ग्रेस में संभावित सुधारों पर बल दिया और कहा कि कॉन्ग्रेस को एक ‘मेजर सर्जरी’ की जरूरत है। कपिल सिब्बल और वीरप्पा मोइली उन 23 नेताओं में से हैं, जिन्होंने अगस्त 2020 में कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी को पत्र लिखकर पार्टी में सुधार किए जाने की माँग की थी।

मोइली ने जितिन प्रसाद पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने निजी महत्वकांक्षाओं को सबसे ऊपर रखा। मोइली ने पार्टी को यह सलाह भी दी कि किसी भी नेता को जिम्मेदारी प्रदान करने से पहले उसके वैचारिक समर्पण को प्राथमिकता देनी चाहिए। मोइली ने कहा कि जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वहाँ पार्टी का प्रदर्शन शून्य रहा। इससे पता चलता है कि जितिन प्रसाद ऐसी किसी भी बड़ी जिम्मेदारी के लिए अयोग्य थे।

मोइली ने 2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद कॉन्ग्रेस को खुद में सुधार करने के लिए एक मेजर सर्जरी करने की सलाह दी थी और कहा था कि कॉन्ग्रेस ने उस सर्जरी में देर कर दी है और अब उसकी तत्काल आवश्यकता है। मोइली ने यह भी कहा कि कॉन्ग्रेस को सिर्फ अपनी विरासत पर टिके नहीं रहना चाहिए, बल्कि नरेंद्र मोदी द्वारा की जाने वाली प्रतिस्पर्धात्मक राजनीति के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

वीरप्पा मोइली के अलावा कपिल सिब्बल ने भी कॉन्ग्रेस के भीतर सुधारों पर बल दिया। सिब्बल ने कहा कि कॉन्ग्रेस को उसी पुरानी पार्टी के रूप में लौटना होगा जैसी वो थी, लेकिन इसके लिए पार्टी में बड़े बदलाव और सुधार करने की आवश्यकता है। सिब्बल ने भी जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने को वैचारिक समझौता बताया। उन्होंने कहा कि हम अपनी ही व्यवस्था के अंदर लड़ रहे हैं और हमें लगातार ये मुद्दे उठाने होंगे। सिब्बल ने कहा, “यदि हमारा मुखिया ही हमें नहीं सुनेगा तो पार्टी लगातार गिरती चली जाएगी, इसलिए कॉन्ग्रेस पार्टी को हमारे सुझाव सुनने चाहिए।“ सिब्बल ने कहा कि यदि पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं की ही नहीं सुनेगी तो उसका बुरा समय निश्चित है।

हालाँकि, कॉन्ग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के प्रश्न पर कपिल सिब्बल ने कहा कि वो पक्के कॉन्ग्रेसी हैं और यदि पार्टी उन्हें छोड़कर जाने को कहती है तो वो विचार कर सकते हैं, लेकिन अपने जीते जी कभी भाजपा में शामिल नहीं होंगे।

कॉन्ग्रेस के नेताओं द्वारा आलोचना किए जाने पर भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद ने कहा था कि वो ऐसे बयानों पर ध्यान नहीं देते हैं। उन्होंने कहा, “मैं उन सभी लोगों का स्वागत करता हूँ जो मेरी आलोचना कर रहे हैं। इसे मैं प्रसाद के रूप में स्वीकार करता हूँ।

कॉन्ग्रेस छोड़ने के प्रश्न पर प्रसाद ने कहा था वैचारिक मतभेदों के चलते और अपने अंतर्मन की आवाज सुनके उन्होंने यह निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों के भाव और विचारों को देखते हुए ही वो इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे।

ज्ञात हो कि जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद कॉन्ग्रेस नेता लगातार उनकी आलोचना कर रहे हैं। मध्य प्रदेश की कॉन्ग्रेस इकाई ने तो उनकी तुलना कूड़े से एवं भाजपा की तुलना कूड़ेदान से कर दी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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