कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में पुत्तूर की सीट इस बार कई कारणों से चर्चा में है। इस जगह से एक ओर SDPI ने BJYM नेता की हत्या के आरोपित शफी बेल्लारे को खड़ा किया था। वहीं दूसरी ओर संघ नेता अरुण कुमार पुथिला भी निर्दलीय खड़े थे। नतीजों में जहाँ बेल्लारे को करारी हार का मुँह देखना पड़ा तो संघ नेता को अच्छा वोट शेयर हासिल हुआ।
13 मई को आए नतीजों में निर्दलीय प्रत्याशी और संघ नेता अरुण कुमार को पुत्तूर विधानसभा में 36.15 फीसदी वोट शेयर मिला। उन्हें लगभग 61628 वोट ईवीएम से वोट मिले और 830 पोस्टल बैलट से। कुल मिलाकर उनके हिस्से 62458 आए। वहीं भाजपा की आशा थिंपा को 37558 वोट मिले और उनका 21.74 फीसदी रहा जबकि कॉन्ग्रेस प्रत्याशी ने यहाँ 66607 वोट पाकर जीत हासिल की। उनके हिस्से 38.55 फीसदी वोट आए।
आँकड़ों से अंदाजा लगा सकते हैं कि इन चुनावों में पुथिला के खड़े होने का यदि किसी को नुकसान हुआ तो वह भाजपा प्रत्याशी को हुआ। बताया जा रहा है कि अरुण कुमार पुथिला को पहले भारतीय जनता पार्टी से टिकट चाहिए था लेकिन पार्टी ने उनकी जगह आशा को चुना। ऐसे में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
दक्षिण कन्नड़ के पुत्तूर जिले पर संघ हमेशा से अच्छा प्रभाव रहा है। ऐसे में कुछ रिपोर्ट्स बता रही हैं कि संघ के लोग भी दक्षिण कन्नड़ जिला पंचायत अध्यक्ष आशा को सीट मिलने से खुश नहीं थे। भाजपा और संघ परिवार के लोगों ने बहुत कोशिश की थी कि पुथिला से नॉमिनेशन वापस ले लें। हालाँकि ऐसा नहीं हो सका।
नतीजे आए तो यह साफ हो गया कि आखिर भाजपा के वोट कहाँ कटे जबकि कॉन्ग्रेस को जेडीएस के वोट शेयर कम होने का सीधा फायदा हुआ।
मालूम हो कि साल 2018 में गौड़ा समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता संजीव मातनदूर को यहाँ से 90,073 वोट हासिल हुए थे और कॉन्ग्रेस की शकुंतला टी शेट्टी को 70,596 वोट मिले थे। अगर इन चुनावों में वोटों का बँटवारा नहीं होता तो बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की होती।